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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ९८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जंबुद्दीन मन्नती-६/२४९ वासहरपव्वया एगे मंदरे पव्वए एगे चित्तकूड़े एगे विचित्तकूड़े दो जमगपव्यया दो कंचणगपव्वयस्या वीसं बक्खारपव्वया चोत्तीसं दीहवेयड्ढा चत्तारि वट्टवेयड्ढा एयामेव सपुव्यावरेणं जंबुद्दीवे दीवे दुष्णि अउणत्तरा पव्बयसया भवतीतिमक्खायं जंबुद्दीये णं भंते दीवे केवइया यासहरकूडा केवइया बक्खारकूड़ा केवइया वेयड्ढकूडा केवइया मंदरकूड़ा पत्रत्ता गोयमा छप्पनं वासहरकूड़ा छण्णउई वक्खारकूडा तिण्णि छलुत्तरा वेयड्ढकूडसया नव मंदरकूड़ा पत्ताएवमेव सपुव्यावरेणं जंबुद्दीये दीये चत्तारि सत्तट्ठा कूडसया भवंतीतिमक्खायं जंबुद्दीवे णं भंते दीये भर वासे कइ तित्या पन्नत्ता गोयमा तओ तित्था पन्नत्ता तं जहा मागहे वरदामे पभासे जंबुद्दीवे णं मं दीवे एरवए वासे कइ तित्था पत्ता गोयमा तओ तित्था पन्नत्ता तं जहा मागहे बरदामे पभासे जंबुद्दीचे णं भंते दीवे महाविदेहे चासे एगमेगे चक्कवट्टिविजए कइ तित्था पत्ता गोयमा तओ तित्था पत्ता तं जहा मागले वरदामे पभासे- एयामेव सपुव्यावरेणं जंबुद्दीचे दीवे एगे बिउत्तरे तित्यसए भवतीतिक्खायं जंबुद्दीवे णं भंते दीवे केवइयाओ विज्जाहरसेढीओ केवइयाओ अभिओगसेढीओ पन्नत्ताओ गोयमा जंबुद्दीवे दीवे अट्ठसट्ठी विज्जाहरसेदीओ अट्ठसट्ठी अभिओगसेढीओ पत्रत्ताओ एवामेव सपुव्यावरेणं जंबुद्दीवे दीवे छत्तीसे सेढीसए भवतीतिमक्खायं जंबुद्दीवे णं भंते दीये केवइया चक्कवट्टिविजया केवइयाओ रायहाणीओ केवइयाओ तिमिसगुहाओ केबइयाओ खंडप्पवायगुहाओ केवइया कयमालया देवा केवइया नट्टमालया देवा केवइया उसमकूडा पव्वया पन्नत्ता गोयमा जंबुद्दीये दीवे चोत्तीसं धक्कवट्टिविजया चोत्तीसं रायहाणीओ चोत्तीसं तिमिसगुहाओ चोत्तीसं खंडप्पवायगुहाओ चोत्तीसं कयमालया देवा चोत्तीसं नमालया देवा चोत्तीसं उसभकूड़ा पव्वया पत्रत्ता जंबुद्दीवे गं भंते दीवे केवइया महद्दहा पत्रत्ता गोयमा सोलस महद्दहा पत्रत्ता जंबुद्दीये णं भंते दीवे केवइयाओ महानईओ वासहरपबहाओ केवइयाओ महानईओ कुंडप्पयहाओ पत्रत्ताओ गोयमा जंबुद्दीबे दीवे चोदस महानईओ यासहरपयहाओ छावत्तरि महानईओ कुंडप्पवहओ - एवामेव सपुय्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे नउई महानईओ भवतीतिमक्खायं जंबुद्दीवे णं भंते दीवे भरवसु बासेसु कइ महानईओ पन्नत्ताओ गोयमा चत्तारि महानईओ पन्नत्ताओ तं जहागंगा सिंधू रत्ता रत्तवई तत्थ णं एगमेगा महानई चउद्दसहि सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं लवणसमुद्दं समप्पेइ एवामेव सपुव्यावरेणं जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु छप्पण्णं सलिलासहस्सा भवतीतिमक्खायं जंबुद्दीवे णं मंते दीवे हेमवय- हेरण्णवएसु वासेसु कइ महानईओ पन्नत्ताओ गोयमा चत्तारि महानईओ पत्रत्ताओ तं जहा- रोहिया रोहियंसा सुवण्णकूला रुपकूला तत्व णं एगमेगा महानई अट्ठावीसाए- अट्ठावीसाए सलिलास हस्सेहिं समग्गा पुरत्थि - मपच्चत्थिमेणं लवणसमुद्दे समप्पेइ-एवामेव सपुव्यावरेणं जंबुद्दीवे दीवे हेमवय- हेरण्णयएसु यासेसु बारसुत्तरे सलिलासयसहस्से भवंतीतिमखायं जंबुद्दीवे णं भंते दीवे हरिवास-रम्मगवासेसु कइ महानईओ पत्रत्ताओ गोयमा चत्तारि महानईओ पत्रत्ताओ तं जहा हरी हरिकंता नरकंता नरिकंता तत्थणं एगमेगा महानई छप्पन्नाए छप्पन्नाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरत्थिमपञ्च्चत्थिमेणं लवणसमुद्दं समुप्पे- एवामेव सपुव्यावरेणं जंयुद्दीवे दीवे हरिवास-रम्मगवासेसु दो चउदीसा सलिलासयलहस्सा भवंतीतिमक्खायं जंबुद्दीवे णं भंते दीवे महाविदेहे वासे कइ महानईओ पन्नत्ताओ गोयमा दो महानईओ पत्रत्ताओ तं जहा सीया य सीतोदा य तत्व णं एगमेगा महानई पंचर्हि-पंचहि सलिलासयसहस्सेहिं बत्तीसाए य सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरविमपचत्थिमेणं लवणसमुद्द For Private And Personal Use Only
SR No.009744
Book TitleAgam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 18, & agam_jambudwipapragnapti
File Size3 MB
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