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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पन्नषण - ३/-२७/२९७ बेइंदियाअपनत्तयाविसेसाहिया पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयापञ्जतगाअसंखेनगुणा बादरनिगोदापञ्जत्तगाअसंखेनगुणा यादरपुढविकाइयापजत्तगाअसंखेनगुणा बादरआउकाइया पजत्तगाअसंखेनगुणा बादरवाउकाइयापञ्जत्तगा असंखेजगुणा बादरतेउकाइया अपजत्तगाअसंखेनगुणा पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयाअपजत्तगाअसंखेनगुणा बादरनिगोदा अपजत्तगाअसंखेगुणा बादरपुढविकाइयाअपनतगाअसंखेनगुणा बादरआउकाइयाअपजत्तगाअसंखेनगुणा बादरवाउकाइयाअपनत्तगाअसंखेनगुणा सुहमतेउकाइयाअपज्जत्तगा असंखेजगुणा सुहुमपुढविकाइयाअपनत्तगाविसेसाहिया सुहमवाउकाइयाअपज्जत्तगा विसेसाहिया सुहुमवाउकाइयाअपजत्तगाविसेसाहिया सुहुमतेउकाइयापजत्तगासंखेनगुणा सुहमपुढविकाइयापजत्तगाविसेसाहिया सुहमआउकाइयापजत्तगाविसेसाहिया सुहुमवाउकाइयापनत्तगाविसेसाहिया सुहमनिगोदाअपजतगाअसंखेजगुणा सुहुमनिगोदापञ्जत्तगा संखेजगुणा अमवसिद्धियाअनंतगुणा पडिवडितसम्मद्दिट्टीअनंतगुणा सिद्धाअनंतगुणा बादरवणस्सतिकाइयापअत्तमाअनंतगुणा बादरपजत्तयाविसेसाहिया बादरवणस्सइकाइयाअपञ्जतया असंखेनगुणा बादरअपनत्तगाविसेसाहिया बादराविसेसाहिया सुहमवणस्सतिकाइयाअपञ्जत्तया असंखेनगुणा सुहुमाअपजत्तयाविसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइयापजत्तयासंखेनगुणा सुहुमज्जत्तयाविसेसाहिया सुहुमाविसेसाहिया भवसिद्धियाविसेसाहिया निगोदजीवाविसेसाहिया वणस्सतिजीवाविसेसाहिया एगिदियाविसेसाहिया तिरिक्खजोणियाविसेसाहिया मिच्छद्दिट्टीविसेसाहिया अविरताविसेसाहिया सकसाईविसेसाहिया छउमत्या- विसेसाहियासजोगी विसेसाहिया संसारत्या विसेसाहिया सव्वजीवाविसेसाहिया।१३।-93 ...२७ दाराणि समत्तं तइपयं समतं. [वउत्थंठिइपयं (२१८) नेरइयाणं भंते केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता गोयमा जहण्णेणं दस याससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं, अपञ्जत्तनेरइयाणं कालंठिति गोयमा जहणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं वि अंतोमुहतं, पञ्जत्तयनेरइयाणं कालंठिति गोयपा जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहतूणाई रयणप्पभापुढविनेरइयाणं कालंठिति गोयपा जहण्णेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं सागरोवमं, अपजत्तयरयणपभापुढविनेरइयाणं कालं ठिई गोयमा जहण्णेणं वि अंतोमुहुतं उक्कोसेणं वि अंतोमुहत्तं, पञ्जत्तयरयणप्पमापुढविनेरइयाणं भंते केवत्तियं कालं ठिती गोयपा जहण्णेमं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं सागरोवमं अंतोमुहुत्तूणं, सक्करप्पभापुढविनेरइयाणं कालं ठिती गोयपा जहण्णेणं एगं सागरोवमं उक्कोसेणं तिणि सागरोवमाई, अपञ्जत्तयसककरप्पभापुढविनेरइयाणं कालं ठितीगोयमाजहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण विअंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयसक्करप्पभापुढविनेरइयाणं कालंठिती गोयपा जहण्णेणं सागरोवमं अंतीमुहत्तूणं उक्कोसेणं तिष्णि सागरोवमाइं अंतोमुहतूणाई, चालुयप्पभापुढविनेरइयाणं कालं ठिती गोयमा जहण्णेणं तिष्णि सागरोवमाई उक्कोसेणं सत्तसागरोवमाइं, अपनत्तय- यालुयप्पभापुढविनेरइयाणं कालं ठिती गोयमा जहण्णेणं अंतोमुहुतं उक्कोसेण वि अंतोमुहतं, पञ्जत्तयवालुयप्पभापुढविनेरइयाणं कालं ठिती गोयमा जहण्णेणं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं सत्तसागरोदमाइं अंतोमुहत्तणाई, पंकप्पभापुढविनेरइयाणं कालं ठिती गोयमा जहण्णेणं सत सागरोवमाई उक्कोसेणं दस For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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