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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पन्नवणा- १/-/-/१५८ (१५८) से किं तं कच्छमा कच्छमा दुविहा पन्नता तं जहा अट्ठिकच्छभा य मंसकच्छभा य से तंकच्छमा | ३३-२-93-2 (१५९) से किं तं गाहा गाहा पंचविहा- दिली वेढला मुद्धया पुलगा सीमागारा से तं गाहा 133-21-33-3 (१६०) से किं तं मगरा मगरा दुविहा पत्रत्ता तं जहा सोंडमगरा य मट्टमगरा य से तं मगरा, से किं तं सुंसुमारा सुंसुमारा एगागारा पत्रत्ता से त्तं सुंसुमारा जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पत्ता तं जहा सम्मुच्छिमाय गमवक्कंतिया य तत्य णं जेते सम्मुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा तत्थ णं जेते गमबक्कंतिया ते तिविहा पन्नत्ता तं जहा - इत्थी पुरिसा नपुंसगा एतेसि णं एवमाइयाणं जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पत्तीपत्रत्ताणं अद्धतेरस जाइकुलकोडिजोणिष्पमुहसयसहस्सा भवंतीति मक्खायं से त्तं जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया । ३३ ।-33 (१६१) से किं तं थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया, दुबिहा पन्नत्ता तं जहा चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोगिया च परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य से किं तं चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया-चउव्विहा पत्रत्ता तं जहा एगखुरा दुखुरा गंडीपदा सणष्फदा, से किं तं एगखुरा - अनेगविहा पन्नत्ता तं जहा अस्सा अस्सतरा घोडगा गद्दमा गोरक्खरा कंदलगा सिरिकंदलगा आवत्ता जे यावण्णे तहप्पगारा से तं एगखुरा, से किं तं दुखुरा - अनेगविहा पन्नत्ता तं जहा उट्टा गोणा गवया रोज्झा पसया महिसा मिया संवरा वराहा अय-एलग-रुरु-सरम-चमर-कुरंगगोकणमादी जे यावतहप्पगारा से तं दुखुरा, से किं तं गंडीपया अनेगविहा पत्रत्ता तं जहाइत्थी पूणवा मंकुणहत्थी खग्गा गंडा जे यावण्णे तहप्पगारा से तं गंडीपया, से किं तं सणप्फदा विहा पत्ता तं जहा सीहा वग्धा दीविया अच्छा तरच्छा परस्सरा सियाला बिडाला सुणगा कोलसुणगा कोकंतिया सगा चित्तगा चित्तलगा जे यावण्णे तहप्पगारा से तंसणप्फदा, ते समासतो दुविहा पत्रत्ता तं जहा सम्मुच्छिमा य गमवक्कतिया य तत्थ णं जेते सम्मुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा तत्यणं जेते गमवक्कंतिया ते तिविहा पत्रत्ता तं जहा इत्थी पुरिसा नपुंसगा एतेसि णं एवमादियाणं थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पञ्चत्तापज्जत्ताणं दस जाइकुलकोडिजोणिप्पमुहसहसहस्सा हवंतीति पक्खातं से त्तं चउप्पययलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिया 1३४1-34 ( १६२ ) से किं तं परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया - दुबिहा पन्नत्ता तं जहाउरपरिसप्पथलयरपंचेंद्रियतिरिक्खजोणिया य भुयपरिसम्मथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिया, से किं उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउव्विहा पत्रत्ता तं जहा-अही, अयगरा आसालिया महोरगा से किं तं अही अही दुविहा पन्नत्ता तं जहा-दब्बीकरा य मउलिणो य, से किं तं दव्वीकराअनेगविहा पत्ता तं जहा - आसीविसा दिट्ठीविसा उग्गविसा भोगविता तयाविसा लालाविसा उस्सासविसा निस्सासविसा कण्हसप्पा सेदसप्पा काओदरा दव्मपुप्फा कोलाहा मेलिमिंदा जे यावणे तहप्पगारा से तं दव्यीकरा, से किं तं मउलिणो -अणेगविहा पत्रत्ता तं जहा - दिव्या गोणसां कसाहिया वइला चित्तलिणो मंडलियो मालिनो अही अहिसलागा पडागा जे यावण्णे तहप्पगारा सेतं मउलिणो से त्तं अही, से किं तं अयगरा अयगरा एगाभारा पन्नता से त्तं अयगरा से किं तं आसालिया कहि णं भंते आसालिया सम्मुच्छति गोयमा अंतोमगुस्सखित्ते अड्ढाइजेसु दीवेषु निव्याधाएणं पत्ररससु कम्मभूमीसु वाघातं पडुच पंचसु महाविदेहेसु चक्कवट्टिखंधाबारेसु For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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