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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पद-१ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५ जाइकुलकोडिजोणीपमुहसतसहस्सा भवतीति मक्खातं से तं बेइंदियसंसारसमावण्णजीवपन्न वण्णा | २७/-27 (१५० ) से किं तं तेइंदियसंसारसमावण्णजीवपत्रवणा तेंइंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा अयोगविहा पत्रत्ता तं जहा - ओवइया रोहिणीया कुंथू पिपीलिया उद्देसगा उद्देहिया उक्कलिया उप्पाया उळूकडा उप्पाडा तणाहारा कट्ठाहारा मालुया पत्ताहारा तणविंटिया पुप्फविंटिया फलविंटिया बीयविटिया तेदुरणमशिया तउसमिंजिया कप्पासट्ठि समिंजिया हिल्लिया झिल्लिया झिंगिरा झिंगिरिडा पाहुया सुभगा सोच्छिया सुयविंट इंदिकाइया इंदगोवया उरुलुंचगा कोत्यलवाहगा जूया हालाहला पिसुया सतवाइया गोम्ही हत्यिसोंडा जे यावण्णे तहष्यगारा सव्वेते सम्मुच्छिमा नपुंसगा ते समासतो दुविहा पत्रत्ता तं जहा - पञ्चत्तगा य अपजत्तगा य एएसि णं एवमाइयाणं तेइंदियाणं पत्तापञ्जत्ताणं अट्ठ जातिकुलकोडिजोणिप्पमुहसतसहस्सा भवतीति मक्खायं से तं तेइंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा । २८/-28 (१५१) से किं तं चउरिदियसंसारसमावण्णजीवपत्रवणा चउरिंदियसंसारसमावण्णजीवपत्रवणा अणेगविहा पत्रत्ता [ तं जहा ]- २९-१120-1 (१५२) अंधिय पोतियं मच्छिय मसगा कीडे तहा पयंगे य कि कुक्कुड कुक्कुह नंदावत्ते य सिंगिरिडे 11999-106 (१५३) किण्हपत्ता नीलपत्ता लोहियपत्ता हलिद्दपत्ता सुक्किलपत्ता चित्तपक्खा विचित्तपक्खा ओमंजलिया जलचारिया गंभीरा नीणिया तंतवा अच्छिरोडा अधिवेहा सारंगा नेउरा दोला भमरा मरिली जरुला तोट्ठा विच्छुता पत्तविच्छुया छाणविच्छुया जलविच्छुया पियंगाला कणगा गोमयकीडगा जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वेते सम्मुच्छिमा नपुसंगा ते समासतो दुविहा पत्रत्ता तं जहापजत्तगाय अपचत्तगा य एतेसि णं एवमाइयाणं चउरिंदियाणं पञ्चत्तापञ्जत्ताणं नव जातिकुलकोडिजोणिप्पमुहसयसहस्सा भयंतीति मक्खायं से त्तं चउरिदिय संसारसमावण्णजीवपत्रवणा । २९ -29 (१५४) से किं तं पंचिंदियसंसारसमावण्णजीवपत्रवणा पंचिंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा चउच्चिहा पन्नत्ता तं जहा - नेरइयपंचिंदियसंसारसमावण्णजीवपत्रवणा तिरिक्खजोणियपंचिंदियसंसारसमावण्णजीवपत्रवणा मणुरसपंचिंदियसंसारसमावण्णजीवपत्रवणा देवपंचिंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा |३०|-30 (१५५) से किं तं नेरइया नेरइया सत्तविश पत्रत्ता तं जहा रयणप्पभापुढविनेरइया सक्करप्पभापुढविनेरइया वालुयप्पभापुढविनेरइया पंकपमापुढविनेरइया धूमप्पभापुढविनेरइया तमप्पभापुढविनेरइया तमतमप्पभापुढविनेरइया, ते समासतो दुविहा पन्नत्ता तं जहा-पज्ञत्तगा य अपजतगाय से तं नेरइया | ३१1-31 (१५६ ) से किं तं पंचिंदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पत्रत्ता तं जहा जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया खहयरपंचिंदियति- रिक्खजोणिया । ३२ ।-32 (१५७) से किं तं जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया, जलयर० पंचविहा पत्रत्ता तं जहामच्छा कच्छभा गाहा मगरा सुंसुमारा, से किं तं मच्छा मच्छा अणेगविहा पत्रत्ता तं जहा सण्हमच्छा खयल्लमच्छा जुगमच्छा विज्झिडियमच्छा हलिमच्छा मग्गरिमच्छा रोहियमच्छा हलीसागरा गागरा बडा वडगरा तिमी तिमिंगिला नक्का तंदुलमच्छा कणिक्कामच्छा सालिसच्छियामच्छा लंपणमच्छा पड़ागा पडागातिपडागा जे यावण्णे तहप्पगारा से त्तं मच्छा । ३३-१-33-1 For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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