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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १० www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11371130 (६३) ससबिंदु गोत्तफुलिया गिरिकण्णइ मालुया य अंजाई दहकुल कार्याणि मोगलीय तह अक्कबोंदी य (६४) जे यावण्णे तहुप्पगारा ० से तं बल्लीओ, से किं तं पव्वगा -अणेगविहा 1२३-9423-7 (६५) इक्खूय इक्खुवाडी वीरण तह एक्कडे भमासे य सुंबे सरे य वेत्ते तिमिरे सतपोरग नले य (६६) वंसे वेलू कणए कंकादंसे य चाववंसे य पुन्नवणा- १/२/६३ [तं जहा ] । २३-१०1-23-10 (७४) (७५) अज्झोरुह वोडाणे हरितग तंदुलेखन तणे य बथुलग पोरग मचार पाइ बिल्ली य पालक्का दगपिप्पली य दव्वी सोत्थिय-साए तहेव मंडुककी मूलग सरिसव अंबिलसाए य जियंतए चेय (७६) तुलसी कण्ह उराले फणिजए अजए य भूयणए चोरग दमणग मरुयग सयपुस्फिंदीवरे य तहा उदए कुडए विमए कंडावेलू य कल्लाणे |३६|| 32 (६७) जे यावण्णे तहप्पगारा०से तं पव्यगा, से किं तं तणा तथा अणेगविहा प. २३-८123-8 (६८) सेडिय मत्तिय होत्तिय डब्भ कुसे पव्वए य पोडइला अनुण असाढए रोहियंसे सुय वेय खीर भुसे (६९) एरंडे कुरुविंदे करकर सुंठे तहा विभंगूय महुरतण धुरय सिप्पिय बोधव्वे सुंकलितणाय (७०) जे यावष्णे तहप्पगारा ० से तंतणा, से किं तं वलया, अणेगविहा प. १२३-९/-33-0 ताल तमाले तक्कलि तेयलि साले य सारकल्लाणे सरले जावति केयइ कंदलि तह धम्मरुक्खे य 113411-34 (७१) (७२) भुयरुक्ख हिंगुरुक्खे लवंगरुक्खे य होति बोधव्वे पूयफली खजूरी बोधव्वा नालिएरीय 18011-36 (७३) जे यावण्णे तहष्पगारा० से त्तं वलया से किं तं हरिया हरिया अणेगविहा पन्नत्ता 113481-31 For Private And Personal Use Only ||३७||-33 ||३९||-35 118911-37 ॥२४२॥ -38 ॥४३॥-39 (७७) जे यावण्णे तहप्पगारा० से तं हरिया, से किं तं ओसीओ ओसहीओ अणेगविहाओ पत्रत्तओ तं जहा - साली बीही गोधूम -जवा जवजवा कल-मसूर- तिल- मुग्गा मास- निष्फाच- कुलत्थव आलिसंद सतीण- पतिमंथा अयसी- कुसुंभ-कोद्दव कंगू रातग-वरसामग कोदूसा सण - सरिसवमूलग-बीय-जे यावण्णा तहप्पगारा से त्तं ओसहीओ, से किं तं जलरुहा जलरुहा अणेगविहा पत्रत्ता तं जहा - उदए अवए पणए सेवाले कलंबुया हढे कसेरुया कच्छा भाणी उप्पाले पउमे कुमुदे नत्तिणे सुमए सुगंधिए पोंडरीए महापोंडरीए सयपत्ते सहस्सपत्ते कल्हारे कोकणदे अरविंदे तामरसे भिसे भिसमुणाले पोक्खाले पोक्खलत्थिभए जे यावण्णे तहप्पगारा से तं जलरुहा, से किं तं कुहणा कुहणा अगविहा पत्ता तं जहा - आए काए कुहणे कुणक्के दव्वहलिया सप्फाए सज्जाए छत्ताए वंसी नहिया कुरए जे यावणे तहप्पगारा से त्तं कुहणा । २३-११1-23-11 (७८) नाणाविहसंठाणा रुक्खाणं एगजीविया पत्ता खंधो वि एगजीवो ताब-सरल-नालिएरीणं ॥४४॥40
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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