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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पप-२२, सो-२ णं भंते आउयं कम्पं किं नेरइओ बंधइ जाव देवी बंधइ गोयमा नो नेरइओ बंधति तिरिक्खजोणिओ बंघति नो तिरिक्खजोणिणी बंधति मणुस्सो वि बंधति मणुस्सी विबंधति नो देवो बंधति नो देवीबंधति केरिसए णं भंते तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालठितीयं आउयं कम्मं बंधति गोयमा कम्पभूमए वा कम्मभूमगपलिओभागी वा जाव सुतोवउत्ते मिच्छिद्द्द्दिट्ठी परमकिण्हलेस्से उक्कोससंकिलिपरिणामे एरिसए णं गोयमा तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालठितीयं आउयं बंघति केरिसए णं भंते मणूसे उक्कोसकालठितीयं आउयं कम्पं बंधति गोयमाकम्पभूमगे वाकम्मभूमगपलिभागी बासणी पंचेंदिए सव्वाहिं पञ्ज्ञ्जत्तीहिं पञ्जत्तए सागारे जागरे सुतोवउते सम्मद्दिड्डी वा मिच्छद्द्द्दिड्डी वा कण्हलेसे वा सुक्कलेसे वा नाणी वा अण्णाणी वाउक्कोससंकिलिङ्कपरिणामे वा तप्पाउग्गवि सुज्झमानपरिणामे वा एरिसए णं गोयमा मणूसे उक्कोसकालठिईयं आउयं कम्भं बंघति केरिसिया णं भंते मणूसी उक्कोसकालठितीयं आउयं कम्पं बंधति गोयमा कम्मभूमिगा या कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुतोवउत्ता सम्पद्दिट्ठी सुक्कलेस्सा तप्पाउग्गविसुज्झमानपरिणामा एरिसिया णं गोयमा मणुस्सी उक्कोसकालठितीयं आउयं कम्पंबंधति अंतराइयं जहा नाणावरणिजं । २९९।-298 तेवीसहमे पये बीओ उद्देसो सभत्तो तेवीसइमं पयं समतं चउवीसइमं कम्मबंधपयं । (५४६) कति णं भंते कम्मपगडीओ पन्नत्ताओ गोयमा अट्ठ कम्मपगडीओ पत्रत्ताओ तं जहानाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं एवं नेरइयाणं जाव वैमाणियाणं जीवे णं भंते नाणावरणिजं कम्भं बंध कति कमपगडीओ बंधति गोयमा सत्तविहवंधए वा अट्ठविहबंधए या छव्विहबंधए वा नेरइए णं भंते नाणावरणिज्जं कम्पं बंधमाणे कति कम्पपगडीओ बंघति गोयमा सत्तविहबंधए बा अविबंध वा एवं जाव वेमाणिए नवरं मणूसे जहा जीवे, जीवा णं भंते नाणावरणियं कम्म धमाणा कति कम्पपगडीओ बंधति गोयमा सव्वे वि ताव होना सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगाय अडविहबंधगा च छव्विहबंघगे य अहवा सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधगा छविबंधगा य नेरइयाणं भंते नाणावरणिजं कम्पं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति गोयमा सव्वे विताय होज्जा सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगाय अट्टविहबंघगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अडविहबंधगा यतिणि भंगा एवं जाव धणियकुमारा पुढविक्काइयाणं पुच्छा गोयमा सत्तविहबंधगा वि अट्ठविहबंधगा वि एवं जाववणस्सतिकाइया, वियलाणं पंचेदियतिरिक्खजोणियाण यतियभंगो-सव्वे वि ताव होजा सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगाय अडविहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधगा य १७१ मणूसा णं भंते नाणावर णिज्जरस पुच्छा गोयमा सब्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधगा य अहवा सत्तबिहबंधगाय अट्ठविहबंधए य छविबंध य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य छन्दिहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य अविबंधगाय छव्हिबंधए य अहवा सत्तविहबंघगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगाय एवं एते नव भंगा सेसा वाणमंतराइया जाव वेमाणिया जहा नेरइया सत्तविहादिबंधगा भणिया तहा माणियव्या, एवं जहा नाणायरणं बंधमाणा जाहिं भणिया दंसणावरणं पि बंधमाणा ताहिं जीवादीया For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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