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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५२ पन्नवणा - २१/41५१८ मीसाणगदेवाणं एवं चेव उत्तरवेउब्बिया जाव अघुओ कप्पो नवरं-सणंकुमारे भवधारणिज्जा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइमागं उक्कोसेणं छरयणीओ एवं माहिंदे वि बंगलोय-संतगेसु पंच रयणीओ महासकक-सहस्सारेस घतारि रयणीओ आणय-पाणय-आरण-अधुएस तिण्णि रयणीओ, गेवेजगकप्पातीतवेमाणियदेवपंचेदियवेउब्वियसरीरस्सणं० गोयमा गेवेनगदेवाणं एगा अवधारणिञा सरीरोगाहणा पन्नत्ता साजहण्णेणं अंगुलस्सअसंखेज्जइमागं उक्कोसेणं दो रयणीओ एवं अनुत्तरोववाइयदेवाणविनयरं-एकका रयणी।२७३।-272 (५११) आहारगसरीरे णं मंते कतिविहे पनत्ते गोयपा एगागारे पन्नते जदि एगागारे पन्नत्ते किं मणूसआहारगसरीरे अमणूसआहारगसरीरे गोयमा मणूसाहारगसरीरे नो अमणूसआहारगसरीरे, जदि मणूस आहारगसरीरे किं पुच्छा गोयमा नो सम्मुच्छिममणूसआहारगसरीरे गम्भव कंतियमणूसआहारगसरीरे, जदि गमवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे किं पुच्छा गोयमा कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे नो अकम्मभूमगगमवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे नो अंतरदीवगगमवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे, जदि कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे किं पुच्छा गोयमा संखेजवासाउयकम्मभूमगगमवक्कंतियमणूसाहारगसरीरे नो असंखेजवासाउयकम्मभूमगगमवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे, जदि संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगभवक्कंकियमणूस आहारगसरीरे किं पुच्छा गोयमा पजत्तगसंखेञ्जवासाउयकम्मभूमगगभवकूकंतियमणूसआहारगसरीरे नो अपज्जत्तगसंखेनवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे, जदि पज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवकूकंतियमणूसआहारगसरीरे किं पुच्छा गोयमा सम्मद्दिद्विपउत्तगसंखेनवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे नो मिच्छद्दिविपञ्जत्तगसंखेनवासाउयकम्मभूगगमवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे नो सम्मामिच्छद्दिविपनतगसंखेनवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे, जदि सम्मद्दिट्ठिपज्जत्तमसंखेनचासाउयकम्मभूमगगमवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे किं पुछा गोयमा संजयसम्मद्दिष्टिपञ्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगमवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे नो असंजयसम्मद्दिट्ठीपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसररे नो संजयासंजयसम्मदिद्विपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणूसआहारगसरीरे जदि संजतसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेनवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे किं० पुच्छा गोयमा पमत्तसंजयसम्मद्दिछिपञ्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगमवक्कैतियमणूसआहारगप्तीरे नो अपपत्तसंजतसम्मदिद्विपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगमवक्कंतियमणूसआहारणसरीरे जदिपमत्तसंजयसम्पद्दिट्ठीपज्जत्तगसंखेनदासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे किं० पुच्छा गोयमा इढिपत्तपमत्तसंजयसम्पद्दिविपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगमवक्कंतियमणूसहारागसरीरे नो अणिड्ढिपत्तपमत्तसंजय सम्मदिद्विपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे आहारगसरी णं मंते किंसंठिए पन्नत्ते गोयमा समचउरसंसंठाणसंठिए पन्नत्ते आहारगसरीरस्स णं भंते केमहालिया सरीरोगाहणा पत्नत्ता गोयमा जहण्णेणं देसूणा रयणी उक्कोसेणं पडिपुत्रा रयणी।२७४|-273 (५२०) तेयगसरीरे णं मंते कतिविहे पन्नत्ते गोयमा पंचविहे पनत्ते तं जहा-एगिदियतेयगसरीरे जाद पंचेदियतेयगसरीरे, एगिदियतेयगसरीरे णं मंते कतिविहे पन्नत्ते गोयमा पंचविहे For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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