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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३२ पनवणा - 0M-IN तारसताए ताफासत्ताए जो-जो परिणति हंता गोयमा कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए भुनो-मुङो परिणमति, से केणद्वेणं भंते एवं वुवति० गोयमा से जहानापए-खीरे दूसिं पप्प सुद्धे वा वत्ये रागं पप्प तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए भुजो-मुखो परिणमति से तेणडेणं गोयमा एवं वुबइ-कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव भुनो-मुझो परिणपति, एवं एतेणं अभिलावेणं नीललेस्सा काउलेस्संपप्प काउलेस्सा तेउलेस्सं पप्प तेउलेस्सा पम्हलेस्सं पप्प पाहलेस्सा सुक्कलेस्सं पप्प जाव भुनो-मुझो परिणमति, से नूर्ण मंते कण्हलेस्सा नीललेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारुवत्ताए जाव ताफासत्ताए मुजो-मुजो परिणमति हंता गोयमा कण्हलेस्सा नीललेस्संजाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए भुञो-भुनो परिणमंति से केणडेणं मंते एवं वुद्यति० गोयमा से जहानामए-वेरुलियमणी सिया किण्हसुत्तए वा नीलसुत्तए वा लोहियसुत्तए वा हालिद्दसुत्तए वा सुश्किलसुत्तए वा आइए समाणे तारूवत्ताए जाव भुजो-भुजो परिणमति से तेणटेणं गोयमा एवं बुधइ-किण्हलेस्सा नीललेस्सं जाव सुककलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव मुखोमुझो परिणपति, से नूणं मंते नीललेस्सा किण्हलेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव मुजोमुझो परिममति हंता गोयमा एवं चेव, एवं काउलेस्सा कण्हलेस्सं नीललेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेसं एवं तेउलेस्सा किण्हलेसं काउलेस्सं पम्हलेस्सा कण्हलेसं नीललेसं काउलेसं तेउलेसं सुक्कलेस्सं पप्प जाव मुजो-भुजो परिणमिहंता गोयम तं चेव, से नूणं मंते सुक्कलेस्सा किण्हलेस्सं जावपम्हलेस्सं पप्प जाव मुजो-भुजो परिणमति हंता गोयमातंचेव।२२५/-225 (४६४) कण्हलेस्सा णं भंते वण्णेणं केरिसिया पत्रत्ता गोयमा से जहानामए-जीमूए इ वा अंजणे इया संजणे इ या काले इवा गवले इवा जंयूफले इ वा अद्दारिष्टए इ या परपुढे इवा भमरे इ वा भमरावली इब गयकलभे इवा किण्हकेसरे इ वा आगासथिगले इ वा किण्हासोए इवा किण्हकणवीरए इवा किण्हबंधुजीवए इया भवेतारूवा गोयमा नोइणद्वे समझे किण्हलेस्साणं एत्तो अणिष्ठतरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुण्णतरिया चेव अमणामतरिया चेब वणेणं पन्नत्ता, नीललेस्सा णं भंते कैरिसिया पण्णेणं पन्नता गोयमा से जहानापए-भिगे इवा भिंगपत्तेइ वा चासे इवा चासपिच्छेइ वा सुएइ वा सुयपिच्छे इवा सामाइवा वणराईइ वा उच्चतए इ वा पारेवयगीवा इ वा मोरगीवा इ वा हलधरवसणे इ वा अयसिकुसुमे इ वा बाणकुसुपेइ वा अंजणकेसियाकुसुमे इवा नीलुप्पले इ वा नीलासोएइ वा नीलकणवीरए इवा नीलबंधुजीवए इवा भवेतारूदा गोयमा नो इणडे समढे नीललेसा णं एतो अणितरिया जाव अमणामतरिया चेव दण्णेणं पन्नत्ता, काउलेस्सा णं मंते पुच्छा गोयमा से जहानामए-खइरसारे इ वा कइरसारे इ वा धमाससारे इचा तंबेइया तंबकरोडए इवा तंबछिवाडियाइवा वाइंगणिकुसमए इवाकोइ-लच्छदकुसुमए इ वा जवासाकुसुमे इ वा कलकुसुमेइ वा भवेतारूवा गोयमा नो इणढे समढे काउलेस्सा णं एतो अणितरिया चेव अकंततरिया जाव अमणामतरिया चेव चण्णेणं पन्नत्ता, तेउलेस्साणपुच्छा गोयमासे जहानामए-ससरुहिरे इ वा उरब्मरुहिरे इ वा वराहरुहिरे इ वा संवररुहिरे इ वा मणुस्सरुहिरे इ वा बालिंदगोवेइ वा बालदिवागरेइ वा संझब्मरागेइ वा गुंजद्धरागे इवा जाइहिंगुलए इवा पवालंकुरे इ वा लक्खारसे इ वा लोहियक्खमणी इ या किपिरागकंबले इ वा गयतालुए इ वा चीणपिरासी इवा पालियायकुसुमे इ वा जासुमणुकुसुमे इ या किसुयपुप्फरासी इ या रत्तुप्पले इया रत्तासोगे इवा रत्तकणवीरएइ वा रतवंधुजीवए इवा भवेयारूवा गोयमा नो इणवे समढे तउलेस्सा For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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