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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प4-१०, देसो-३ इत्तरियमेव खेत्तं पासति, से केपट्टेणं भंते एवं युवति-कण्हलेसे णं नेरइए तं चेव जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासति गोयमा से जहानामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिज्जंसि भूमिभागंसि ठिया सव्वओसमंता समभिलोएजा तए णं से पुरिसे धरणितलगतं पुरिसं पणिहाए सब्बओ समंता सममिलोएमाणेसममिलोएमाणे नो वयं खेत्तं जाव पासति जाव इत्तरियमेवं खेत्तं पासति,सेतेणटेणं गोयमा एवं वुचति-कण्हलेसेणं नेरइए जाच इत्तरियमेव खेतं पासति, नीललेसे णं भंते नेरइए कण्हलेसं नेरइयं पणिहाए ओहिणा सबओ समंता सममिलोएमाणे-समभिलोएमाणे केवतियं खेत्तं जाणइ केवतियं खेतं पासइ गोयमा बहुतरागं खेत्तं जाणति बहुतरागं खेत्तं पासति दूरतरागं खेत्तं जाणइ दूरतरागं खेत्तं पासति वितिमिरतरागं खेत्तं जाणइ वितिमिरतरागं खेतं पासइ विसुद्धतरागं खेत्तं जाणति विसुद्धतरागं खेत्तं पासति, से फेणडेणं मंते एवं एवं बुधति० गोयमा से जहानामए-केइ पुरिसे बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ पव्वयंदुरुहति दुरिहित्ता सव्वओ साता समभिलोएना तए णं से पुरिसे परणितलगयं पुरिसं पणिहाए सव्वओ समंता समभिलोएमाणे-सममिलोएमाणे यहुतरागं खेतं जाणइ जाव विसुद्धतरागं खेतं पासति से तेणद्वेणं गोयमा एवं वुति-नीललेस्से नेरइए कण्हलेस्सं नेरइयं पणिहाए जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासति, काउलेसे णं भंते नेरइए नीललेस्सं नेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे-समभिलोएमाणे केवतियं खेत्तं जाणइ केवतियं खेत्तं पासइ गोयमा बहुतराणं घेतं जाणइ बहुतरागं खेत्तं पासइ जाव विसुद्धतरागं खेत्तं जाणति विसुद्धतरागं खेतं पासइ, सेकेणद्वेणं भंते एवं बुच्चति-काउलेसेणं नेरइए जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासति गोयमा से जहानामए केइ पुरिसे बहुसमरणिजाओ भूमिभागाओ पञ्चतं दुरुहति दुरुहिता रुक्खं दुरुहति दुरुहिता दो वि पादे उच्चाविव सव्वओ समंता समभिलोएज्जा तए णं से पुरिस पव्वतगयं धरणितलगवंच पुरिसंपणिहाए सच्चओ समंता सममिलोएमाणे-समभिलोएमाणे बहुतरागं खेत्तंजाणति बहुतरागं खेतंपासति जाव विसुद्धतरागं खेत्तंपासति से तेणगुणं गोयमाएवं वुधतिकाउलेस्से णं नेरइए नीललेस्सं नरइयं पणिधाए तं चैव जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासति २२३-223 () कण्हलेस्से णं मंते जीवे कतिसु नाणेसु होजा गोयमा दोसु वा तिसु वा चउसु या नाणेसु होजा-दोसु होमाणे आभिणिबोहिय-सुयनाणेसु होज्जा तिसु होमाणे आभिणिदोहियसुयनाणा-ओहिनाणेसु होज्जा अहवा तिसु होमाणे आमिणिबोहिय-सुयनाण मणपजवनाणेसु होजा चउसु होमाणे आमिणिबोहियनाण-जाव मणपजवनाणेसु होजा एवं जाय पम्ह- लेस्से सुक्कलेस्से णं मंते जीवे कतिसु नाणेसु होना गोयमा दोसु वा तिसु वा चउसु चा एगम्मि वा होज्जा-दोसु होमाणे आभिणिबोहियनाण-एवं जहेव कण्हलेस्साणं तहेव भाणियव्वं जाव चउहि एगम्मि होमाणे होगा एगम्मि केवलनाणे होज्जा।२२४१-224 सत्तरसमे पपेतुइसमो उद्देसो समत्तो. -:च उ त्यो- देस ओ:(४६२) परिणाम वण्ण रस गंध सुद्ध अपसत्य संकिलिझुण्हा गति परिणाम पदेसावगाए वगण ठाणाणमप्पबई ॥२१०11-1 (४६३) कति णं भंते लेस्साओ पनत्ताओ गोयमा छलेस्साओ पनत्ताओ तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, से नृणं भंते कण्हलेस्सा नीललेस्सा पप्प तालवत्ताए तावण्णताए तागंधत्ताए For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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