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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२६ पन्नवणा -१७/२/-१५ - बी ओउ हे स मो :(४५१) कतिणं मंते लेस्साओ पन्नत्ताओ गोयमा छलेस्साओ पत्रत्ताओ तं जहा-कण्हलेस्सा नीललेस्साकाउलेस्सा तेउलेस्सा पम्हलेस्सासुक्कलेस्सा २91214 (५२) नेरइयाण मंते कति लेस्साओ पत्रत्ताओ गोयमा तिण्णि, तंजहा-किण्हलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा, तिरिक्खजोणियाणं पुछा गोयमा छलेस्साओ, कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेसा, एगिदियाणं पुच्छा गोयमा चत्तारि लेस्साओ, कण्हलेस्सा जाब तेउलेस्सा, पुढविक्काइयाणं पुच्छा गोयमा [चत्तारि] एवं चेव आउ-वणप्फति-काइयाण वि एवं चेव तेउ-याउ-इंदिय-तेइंदियचउरिदिपाणं जहा नेरइयाणं पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा गोयमा छल्लेस्साओ कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, सम्मुच्छिपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा गोयमा जहा नेरियाणं गभवक्कंतियपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा गोयमा छल्लेसाओ तं जहा कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, तिरिक्खजोणिणीणं पुच्छा गोयमा छल्लेस्साओ एताओ चेव, मणुस्साणं पुच्छा गोयमा छलेस्साओ एताओ चेच, सम्मुच्छिममणुस्साणं पुच्छा गोयमा जहा नेरइयाणं, गमवक्कंतियमणूसाणं पुच्छा गोयमा छल्लेसाओ, कण्हलेस्सा जाव सुककलेस्सा, मणुस्सीणं पुच्छा गोयमा एवं चेद, देवाणं पुछा गोयमाछएताओ चेव, देवीणं पुच्छा गोपमा चत्तारि, कण्हलेस्साजाव तेउलेस्सा मवणवासीणं पुच्छा गोयमा एवं चेव एवं भवणवासिणीण वि, वाणमंतरदेवाणं पुच्छा गोयमा एवं चेव एवं थाणमंतरीण वि, जोइसियाणं पुच्छा गोयमा एगा तेउलेस्सा एवं जोइसिणीण वि, वेमाणियाणं पुच्छा गोयमा तिष्णि, तेउलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा वेमाणिणीणं पुच्छा गोयमा एगा तेउलेसा।२१५/-215 (५३) एतेसि णं मंते सलेस्साणं जीवाणं कण्हलेस्साणं जाय सुक्कलेस्साणं अलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमासव्वत्योवाजीवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सासंखेनगुणा तेउलेस्सासंखेनगुणा अलेस्साअनंतगुणा काउलेस्साअनंतगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कण्हलेस्साविसेसाहियासलेस्सा विसेसाहिया।२१६।-216 (४५४) एतेसि गं ते नेरइयाणं कण्हलेस्साणं नीललेस्साणं काउलेस्साण य कती कतरेहितो अप्पा वा बहुया या तुल्ला या विसेसाहिया वा गोयमा सबत्योचा नेरइया कण्हत्लेस्सा, नीललेस्साअसंखेनगुणा काउलेस्सा असंखेनगुणा।२१७१-217 (४५५) एतेसि णं मंते तिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेसाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया या तुल्ला वा विसेसाहिया या गोयमा सव्यत्योदा तिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा एवं जहा ओहिया नवरं-अलेस्सवज्जा एतेसिणं मंते एगिदियाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साम य कतरे कतरेहिंतो अप्पा यात जाव दिसेसाहिया या गोयमा सचत्योवा एगिंदियातेउलेस्सा, काउलेस्साअनंतगुणा नीललेस्साविसेसाहिया कण्हलेस्साविसेसाहिया, एतेसि णं मंते पुढविकूकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा या० गोयमा जहा ओहिया एगिदिया नवरं-काउलेस्सा असंखेज्जगुणा एवं आउक्काइयाण वि, एतेसि णं मंते तेउक्काइयाणं कण्हलेस्साणं जाव काउलेस्साणं यकतरे कतरेहितो अप्पा वा० गोयमा सवयोवा तेउक्काइया काउलेस्सा, नीललेस्साविसेसाहिया कण्हलेस्साविसेसाहिया एवं वाउक्काइयाण वि, एतेसिणं मंते वणप्फइकाइयाणं कण्हलेसाणंजावतेउलेस्साण यकतरे कतरेहितो अप्पावा० जहा For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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