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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुन्नवणा- १/-/-/१३ जहा - कालवण्णपरिणता नीलवण्णपरिणता लोहियवण्णपरिणता हालिद्दवण्णपरिणता सुक्किलवण्णपरिणता, जे गंधपरिणता ते दुविहा पन्नत्ता तं जहा - सुब्भिगंधपरिणता य दुब्भिगंधपरिणता य जे सपरिणता ते पंचविहा पन्नत्ता तं जहा - तित्तरसपरिणता कडुयरसपरिणता कसायरसपरिणता अंबिलरसपरिणता महुररसपरिणता, जे फासपरिणता ते अट्ठविहा पत्रत्ता तं जहा कक्खडफासपरिणता मउयफासपरिणता गरुयफासपरिणता लहुयफासपरिणता सीयफासपरिणता उसिणफासपरिणता निद्धफासपरिणता लुक्खफासपरिणता, जे संठाणपरिणता ते पंचविहा पत्रता तं जहापरिमंडलसंठाणपरिणता वट्टसंठाणपरिणता तंसठाणपरिणता चउरंससंठाणपरिणता आयतसंठाणपरिणता जे वण्णओ कालवण्णपरिणता ते गंधओ सुम्मिगंधपरिणता वि दुख्मिगंधपरिणता वि रसओ तित्तरसपरिणता वि जाव महुररसपरिणता वि फासओ कक्खडफासपरिणता वि जाव लक्खफासपरिणता वि संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि जाव आयतसंठाणपरिणता वि जे वण्णओ नीलवण्णपरिणता ते गंधओ सुभिगंधपरिणता वि दुम्मिगंधपरिणता वि रसओ तित्तरसपरिणता वि जाब महुररसपरिणता वि फासओ क्रक्खडफासपरिणता वि जाव लुक्खफासपरिणता वि संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि जाव आयसंठाणपरिणता वि जे वण्णओ लोहियवण्णपरिणता ते गंध ओ सुभिगंधपरिणता वि दुभिगंधपरिणता वि रसओ तित्तरसपरिणता वि जाव महुररसपरिणता वि फासओ कक्खडफासपरिणता वि जाव लुक्खफासपरिणता वि संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि जाव आयतसंठाणपरिणता वि जे वण्णओ हालिद्दवण्णपरिणता ते गंघओ सुभिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता बि रसओ तित्तरसपरिणता वि जाव महुररसपरिणता वि फासओ कक्खडफासपरिणता वि जाव लुक्खफासपरिणता वि संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि जाव आयतसंठाणपरिणता बि जे वण्णओ सुक्किलवण्णपरिणता ते गंधओ सुमिगंध परिणता वि दुभिगंधपरिणता वि रसओ तित्तरसपरिणता वि जाव महुरसपरिणता वि फासओ कक्खड़फासपरिणता वि जाव लुक्खफासपरिणता वि संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता विजाब आयतसंठाणपरिणता वि जे गंधओ सुब्मिगंधपरिणता ते वपणओ कालवण्णपरिणता वि जाव सुक्किलवण्णपरिणता वि रसओ तित्तरसपरिणता वि जाव महुररसपरिणता वि फासतो कक्खडफासपरिणता वि जावक्खफासपरिणता वि संठाणओ परिमंडल संहाण परिणता वि जाव आयतसंठाणपरिणता वि जे गंधओ दुब्धिगंधपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणया वि जाच सुक्किलवण्णपरिणया वि रसतो तित्तरसपरिणया वि जाव महुरसपरिणता वि फासओ कक्खडफासपरिणता वि जाय लुक्खफासपरिणता वि संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणया वि जाव आयातसंठाणपरिणया वि, जे रसओ तित्तरसपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणता वि जाव सुकिकलवण्णपरिणता वि गंधओ सुभिगंध परिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि फासओ कक्खडफासपरिणता वि जाय लुक्खफासपरिणता वि संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि जाव आयतसंठाणपरिणता वि जे रसओ कडुयरसपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणता वि जाव सुक्किलवण्णपरिणता वि गंधओ सुभिगंध परिणता वि दुब्भिगंधपरिणता दि फासतो कक्खडफासपरिणता वि जाव लुक्खफासपरिणता वि संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि जाव आयतसंठाणपरिणता वि जे रसओ For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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