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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पन्नकणा-१५/२/१३७ अपराजियदेवते अतीता कस्सइअस्थि कस्सइनत्यि जस्सत्यि अg केवतियाबद्धेल्लगा गोयमा नत्यि केवतियापुरेक्खडा गोयमा नत्यि, एगमेगस्तणमंते सव्वसिद्धगदेवस्स सब्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवतियादबिंदिया अतीता गोयमा नस्थि केवतियाबद्धलगा गोयमा अट्ठ केवतियापुरेक्खडा गोयमा नत्यि, नेरइयाणमंते नेरइयत्ते केवतियाददिबदियाअतीता गोयमा अनंता केवतियावद्धेल्लगा गोयमा असंखेज्जा केवतियापुरेक्खडा गोयमा अनंता नेरइयाणं मंते असुरकुमारत्ते केवतिया दबिंदिया अतीतागोयपाअनंता केवतियाबद्धेश्लगा गोयमा नस्थि केवतियापुरेक्खडा गोयमा अनंता एवंजाब गेवेजगदेवत्ते, नेरइयाणं मंते विजय-जाव-अपराजियदेवते केवतिया दविदिया अतीता नत्थि केवतियाबद्धेल्लगा नत्थि केवतियापुरेक्खडा असंखेजा एवं सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते वि एवं जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं सव्वट्टसिद्धगदेवत्ते भाणियव्वं नवरं-यणस्सइकाइयाणं विजय-जावअपराजदियदेवत्ते सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते य पुरेक्खडा अनंता सव्वेसि मणूस-सब्वट्ठ- सिद्धगवद्वाणं सट्ठाणेदोषगाअसंखेजापाहाणेवद्धेल्लगानत्यिवणस्सइकाइयाणंसट्ठाणेबद्धेल्लगाअनंता मणुस्साणं नेरइयत्ते अतीता अनंता बद्धेल्लगा नत्यिपुरेक्खडाअनंता एवंजाब गेवेअगदेयत्ते नवरंसवाणे अतीता अनंता बद्धलगा सियसंखेज्जा सिय असंखेज्जा पुरेक्खडाअनंता, मणूसाणं मंते विजय-जाय-अपराजियदेवत्ते केवतिया दव्यिदिया अतीता, संखेजा केवतियाबद्धलगा नत्यि केवतियापुरेक्खडा सियसंखेज्जा सिय असंखेजा एवं सब्वट्ठसिद्धगदेवत्ते वि, वाणमंतर-जोइप्सियाणं जहा नेरइयाणं, सोहम्मगदेवाणं एवं चेव नवरं-विजय-जाव-अपराजियदेवत्ते अतीताअसंखेजा, बद्धेल्लगानत्यि पुरेक्खडा असंखेझा सव्वदृसिद्धगदेवत्ते अतीतानस्थि बद्धलगानत्थि पुरेक्खडाअसंखेज्जा एवं जाव गेवेजगदेवाणं, विजय-जाव-अपराजियदेवाणं मंते नेरइयत्ते केवतिया दव्वेदिया अतीता गोयमा अनंता केवतियाबद्धलगा नत्यि केवतियापुरेक्खडा नत्यि एवं जाव जोइसियत्ते नवरमेसि मणूसत्ते अतीता अनंता केवतियाबद्धलगा नत्यि पुरेक्खडाअसंखेजा, एवं जाव गेवेज्जगदेवत्ते सहाणे अतीताअसंखेना केवतियाबद्धेलगहा असंखेना केवतियापुरेक्खडा असंखेना सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते अतीता नत्यि बद्धलगा नत्यि पुरेकखडा असंखेना, सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते अतीता नत्यि बहेलगानत्यि पुरेक्खडाअसंखेना सबट्टसिद्धगदेवाणं भंते नेरइयत्ते केवतिया ददिया अतीता गोयमा अनंता केवतियाबद्धेलगा नत्यि केवतियापुरेक्खडा नत्यि एवं मणूसवजं जाव गेवेजगदेवत्ते, मणूसत्ते अतीता अनंता बद्धेल्लगानत्यि पुरेक्खडासंखेज्जा, विजयजाव-अपराजियदेवते केवतिया दबिंदिया अतीता संखेना केवतियाबद्धलगा नत्यि केवतियापुरेक्खडा नत्यि सव्वसिद्धगदेवाणं भंते सव्वदृसिद्धगदेवत्ते केवतिया दव्विदिया अतीता नत्यि केवतियाबद्धलगा केवतियापुरेक्खडा नत्यि, कति णं भंते माविंदिया पन्नत्ता गोयमापंच माविदिपा प०-सोइंदिए जाव फासिदिए, नेरइयाणं मंते कति मार्विदिया पन्नत्ता गोयया पंच माविंदिया सोइंदिए जाव फासेंदिए एवं मस्स जति इंदिया तस्स तति भाणियव्या जाव वेमाणियाणं, एगमेगस्स णं भंते नेरइयस्स केवतिया माबिंदिया अतीता गोयमा अनंता केवतियाबद्धेल्लगा पंच केवतियापुरेक्खडा पंच वा दस वा एक्कारस वा संखेजा वा असंखेज्जा वा अनंता वा एवं असुरकुमारस्स वि नवरं-पुरेक्खडा पंच वा छ वा संखेज्जा वा असंखेजा या अनंता वा जाव थणियकुमारस्स, एवं पुढविकाइय-आउकाय-वणस्सकाइयस्स वि बेइंदिय तेइंदियन्वउरिदियस्स वि तेउल्काइय-वाउक्काइयस्स वि एवं चेव नवरं-पुरेक्खडा छ पा सत्त वा संखेज्जा वा असंखेना वा अनंता वा पंचें For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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