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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११० पन्नवणा - 14/9/-४२३ विसेसो दट्टच्चो-आउक्काइयाणं थिबुगबिंदुसंठाणसंठिए पन्नत्ते तेउक्काइयाणं सूईकलावसंठाणसंविए पन्नत्ते वाउक्काइयाण पड़ागासंठाणसंठिए पत्रते वणप्फइकाइयाम नाणासंठाणसंठिए पन्नत्ते, बेइंदियाणं भंते कति इंदिया पत्रत्ता गोयमा दो इंदिया० जिभिदिए य फासिदिए य दोण्हं पिइंदियाणं संठाणं बाहल्लं पोहत्तं पदेसा ओगाहणायजहाओहियाणं पणियातहा भाणियव्या नवरं फासेंदिए हुंडसंठाणसंठिए पन्नते त्ति इमो विसेसो एतेसि णं भंते बेइंदियाणं जिझिदिएफासेंदियाणंओगाहणद्वयाए पएसट्टयाए ओगाहण-पएसट्टयाए कतरे कतरेहितोअप्पावा० गोयमा सव्वत्थोवे बेइंदियाणं जिल्मिदिए ओगाहणट्टयाए फासेंदिए ओगाहणट्टयाए संखेजगुणे पएसयाए-सब्बत्थोवे बेइंदियाणं जिभिदिए पएसट्टयाए फासेंदिए पएसद्वयाए संखेनगुणे, ओगाहणपएसद्वयाए-सव्यस्थोवे बेइंदिपस्स जिमिंदिए ओगाहणट्टयाए, फार्सिदिए ओगाहणट्टयाए संखेजगुणे फासेंदियस्स गाहणट्ठयाएहितो जिभिदिए पएसट्टयाए अनतंगुणे, फार्सिदिए पएसट्टयाए संखेज्जगुणे, बेइंदियाणं भंते जिदिमदियस्स केवइया कक्खडगरुयगुणा पत्नत्ता गोयमा अनंता एवं फासेंदियस्स वि एवं मउयलहुयगुणा वि, एतेसिणंभंते बेइंदियाणं जिल्मिदिय-फासेंदियाणं कक्खडगरुयगुणाणं पउयलहुयगुणाणं कक्खडगरुयगुण-मउयलहुयगुणाण य कतरे कतरेहितो अप्पा० गोयमा सव्वत्थोवा बेइंदियाणं जिब्मिदियस्स कक्खडगरुयगुणा, फासेंदियस्स कक्खडगर-यगुणा अनंतगुणा, फासेंदियस्सकक्खडगरुयगुणेहितोतस्सचेवमउयलहुयगुणाअनंतगुणा,जिभिदियस्स मउयल- हुयगुणा अनंतगुणा एवं जाव चउरिदिय ति नवरं-इंदियपरिवुड्ढी कायव्वा तेइंदियाणं धाणेदिए थोवे चउरिदियाणंचखिदिए धोये, सेसंतंचेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मणूसाणंय जहानेरइयाणंनवरं-फासिदिएछब्धिहसंठाणसंठिए पन्नत्तेतंजहा-समचउरंसे नग्गोहपरिमंडलेसादी खु वामणेहुंडे,वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणजहाअसुरकुमाराणं॥१९३1-193 ___(४२४) पुट्ठाई भंते सद्दाइं सुणेइ अपुट्ठाइ सद्दाइं सुणेइ गोयमा पुट्ठाई सद्दाई सुणेइ नो अपुट्ठाई सद्दाई सुणेइ, पुट्ठाई भते रूवाई पासति अपुट्ठाई रुवाई पासति गोयमा नो पुट्ठाई रुवाइं पासति अपुट्ठाई रूवाई पासति, पुढाई भंते गंधाइं अग्धाति अपुट्ठाई गंधाई अधाति गोयमा पुवाई गंधाई अग्याति नो अपुट्ठाई गंधाई अपाति, एवं रसाणवि फासाणवि नवा-रसाई अस्साएइ फासाई पडिसंवेदेति ति अभिलायो कायचो पविठ्ठाई भंते सद्दाई सुणेति अपविट्ठाई सदाइं सुणेति गोयमा पविट्टाई सद्दाइंसुणेति नो अपविट्ठाइंसद्दाइंसुणेति एवं जहा पुढाणितहा पविटाणि वि।१९४-194 (२५) सोइंदियस्स णं भंते केवतिए विसए पन्नत्ते गोयमा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेनतिभागाओ उक्कोसेणं यारसहिं जोयणेहितो अछिण्णे पोग्गले पुढे पविट्वाई सद्दाई सुणेति, चक्खिदियस्स णं भंते केयतिए विसए पन्नत्ते गोयमा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजतिमागाओ उक्कोसेणं सातिरेगाओ जोयणसयसहस्साओ अच्छिण्णे पोग्गले अपुढे अपविट्ठाई रुवाई पासति पाणिंदियस्स पुच्छा गोयमा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागातो उक्कोसेणं नवहिं जोयणेहितो अच्छिण्णे पोग्गले पढे पविट्ठाइं गंधाइंआधाति एवं जिभिदियस्स विफासिंदियस्स वि।१९५1-196 (४२६) अणगारस्स णं भंते भाविअप्पाणो मारणंतियसमुग्धारणं समोहयस्स जे चरिमा निजरापोग्गला सुहमा णं ते पोग्गला पनत्ता समणाउसो सचलोग पियणं ते ओगाहित्ताणं चिट्ठति हंता गोयमा अणगारस्स णं भाविअपणो मारणंतियसमुग्धाएणं समोहयस्स जे चरिमा निजरापोग्गला सुहमा णं ते पोग्गला पन्नत्ता समणाउसो सव्वलोग पि यणं ते ओगाहित्ताणं चिटुंति, For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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