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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडिवत्ति-३, दे. जो. (१५९) कहि णं भंते वाणमंतराणं देवाणं मोमेज्जा नगरा पनत्ता जहा ठाणपदे जाव विहरति कहिणं भंते पिसायाणं देवाणं मोमेजा नगरा पन्नत्ता जहा ठाणपदे जाव विहरति कालमहाकाला य तत्य दुवे पिसायकुमाररायाणो परिवसतिजावविहरति कहि णं भते दाहिणिलाणं पिसायकुमाराण जाब विहरंति काले य एत्य पिसायकुमारिदे पिसायकुमारराया परिवसति महिड्ढिए जाव विहरति कालस्स णं भंते पिसायकुमारिंदस्स पिसावकुमाररण्णो कति परिसाओ पत्रत्ताओ गोयमा तिष्णि परिसाओ पन्नत्ताओ तं जहा-ईसा तुडिया दढरहा अभितरिया ईसा मज्झिमिया तुडिया याहिरिया दढरहा कालस्स णं भंते पिसावकुमारिंदस्स पिसायकुमाररण्णो अभितरियाए परिसाए अट्टदेव. साहसीओ पत्रत्ताओ मझिमियाए परिसा दस देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ बाहिरियाए परिसाए वारस देवसाहसीओ पत्रत्ताओ अमितरियाए परिसाए एगं देविसतं पन्नत्तं एवं तिसुधि कालस्सणं भंते पिसायकुमाररिंदस्स पिसायकुमारररण्णो अमितरिवाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पत्रत्ता जाव बाहिरिवाए परिसाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पत्रत्ता गोयमा कालस्स णं पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररण्णो अभितरियाए परिसाए देवाणं अद्धपलिओवमं ठिती पन्नत्ता मझिमिवाए परिलाए देवाणं देसूर्ण अद्धपलिओवमं ठिती पत्रता घाहिरियाएपरिसाए देवाणंसतिरेगं चउभगापलिओवमंठितीपत्रत्ताअदिभतरियाए परिसाएदेवीणं सातिरेगं चउब्मागपलिओवमं ठिती पन्नत्ता मज्झिमियाए परिसाए देवीणं चउभागपलिओवमं ठिती पन्नता बाहिरियाए परिसाए देवीणं देसूणं चउब्भागपलिओवमं ठिती पत्रत्ता अट्टो जो चेव चमरस्स एवं उत्तरिल्लस्सबि एवं निरंतरंजाव गीपस्स1१२२।-121 (१६०) कहि णं भंते जोतिसियाणं देवाणं विमाणा पत्रता कहि णं भंते जोतिसिया देवा परिवरांति गोचमा उप्पिं दीवसमुद्दाणं इसीसे रवणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ सत्तनगए जोयणसते उड्ढे उप्पतित्ता दसुतरजोयणसय बाहले एस्थ णं जोतिसिवाणं देवाणं तिरिचपसंखेजा जोतिसियविमाणावासससहस्सा भवंतितिमक्खायं ते णं विमाणं अद्धकविठ्ठकसंठाणसंटिया एवं जहा ठाणपदे जाव चंदिम-सूरिया य एत्थ णं जोतिसिंदा जोतिसरायाणों परिवसंति महिदिया जाब विहरंति चंदस्स णं भंते जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो कति परिसाओ पन्नताओ गोयमा तिणि परिसाओ पन्नताओ तं जहा-तुंबा तुडिया पच्चा अल्पितरिया तुंबा मज्झिनिया तुडिया वाहिरिया पन्या सेसंजहा कालस्स परिमाणं टितीअट्ठोजहाचमरस्स एवं सूरस्स बि १२३122 तयाए पडिवत्तीए देवाधिकारो समत्तो. -: दी व समुह व ति ब या यि का रो:(१६१) कहि णं भंते दीवसमुद्दा केवइया णं भंते दीवसमुद्दा केमहालया णं भंते दीवसमुद्दा किंसंठिया णं भंते दीवसमुद्दा किमाकारभावपडोयारा णं भंते दीवसमुद्दा पत्रत्ता गोयमा जंबुद्दीवाइया दीवा लवणादीया समुद्दा संटाणओ एकविधिविधाणा वित्थरतो अणेगविधिविधाणा दुगुणादुगुणे पडुप्पाएमाणा-पडुप्पाएमाणा पविस्थामाणा-पवित्थरमाणा ओभासमाणवीचिया बहुउप्पल-पउम-कुमुद-नलिण-सुभग सोहंधिय-पंडरीय-महापोंडरीव-सतपत्त-सहस्सपत्त-पप्फुल्लकेसरोवचित्ता पत्तेयं-पत्तेचं पउमवर-वेइयापरिक्खित्ता पत्तेयं-पत्तेयं वनसंडपरिक्खिता सयंभुरमण For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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