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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवानीवापिगप - ३/दे.-जो./१५७ पत्रत्ता बाहिरियाए देवीणं दिवड्ढे पलिओवमं ठिती पत्रत्ता सेसं जहा चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररपणो।१२०1-119 (१५८) कहि णं भंते नागकुमाराणं देवाणं भवणा पत्नत्ता जहा ठाणपदे जाय दाहिणिल्लावि पुच्छियव्वा जाव धरणे इत्य नागकुमारिदे नागकुमारराया परिवसति जाव विहरति धरणस्स णं भंते नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो कति परिसाओ पत्रत्ताओ गोयपा तिणि परिसाओ ताओ चैव जहा चमरस्स धरण्णस णं मंते नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो अटिंभतरियाए परिसाए कति देवसहस्सा पन्नत्ता जाव बाहिरियाए परिसाए कति देवीसया पत्रत्ता गोयपा धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो अभितरियाए परिसाए सटुिं देवसहस्साई मज्झिमियाए परिसाए सत्तरं देवसहस्साई बाहिरिवाए असीतिदेवसहस्साई अभितरियाए परिसाए पत्रत्तरं देविसतं पन्नत्तं मज्झिभियाए परिसाए पन्नासं देविसतं पत्रत्तं वाहिरियाए परिसाए पणवीसं देविसतं पन्नत्तं धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता मज्झिमियाएपरिसाए देवाणं केवतियं कालंटिती पत्रत्ता दाहिरियाएपरिसा देवाणं केवतियं कालं ठिती पत्रत्ता अभितरियाए परिसाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता पन्झिमियाए परिसाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पत्रत्ता बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पत्रत्ता गोयमा धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो अभितरियाए परिसाए देवाणं सातिरेगं अद्धपलिओवमं ठिती पत्रत्ता मन्झिमियाए परिसाए देवाणं अद्धपलिओवमं ठिती पत्रत्ता बाहिरियाए परिसाए देवाणं देसुणं अद्धपलिओवमं टिती पत्रत्ता अभितरियाए परिसाए देवीणं देसूणं अद्धपलिओवमं ठिती पन्नता मज्झिपियाए परिसाए देवीणं सातिरेगं चउडमागपलिओवर्म ठिती पन्नता पाहिरियाए परिसाए देवीणंचउभागपलिओवमं ठिती पत्रत्ता अट्ठो जहा चमरस्स कहि णं मंते उत्तरिल्लाणं नागकुमाराणं भवणा पत्रत्ता जहा ठाणपदे जाव विहरति भूयाणंदस्स णं भंते नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो अमितरियाए परिसाए कति देवसाहस्सीओ पत्रत्ताओ मज्झिमियाए परिसाए कति देवसाहस्सीओ पन्नताओ वाहिरियाए परिसाए कति देवसाहस्सीओ पत्रत्ताओ अमितरियाए परिसाए कति देविसया पत्नत्ता गोयपा भूयाणंदस्स णं नागकुमारिंदसस नागकुमार रण्णो अटिंमतरियाए परिसाए पन्नासं देवताहस्सीओ पत्रताओ मन्झिमियाए परिसाए सद्धिं देवसाहस्सीओ पन्नत्तओवाहिरियाए परिसाए सत्तरि देवसाहस्सीओ पत्नत्ताओ अमितरियाए परिसाए दो पणवीसं देविसया पनत्ता, मज्झिमिपाए परिसाए दो देवी सया पन्नत्ता, बाहिरियाए परिसाए पनत्तरं देविसयं पत्रतं भूयाणंदस्त णं भंते नागकुमारिंदस्स नागकुमारण्णो कालं ठिती पुच्छा गोयपा मूताणदस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो अभितरियाए परिसाए देवाणं देसूणं पलिओवमं ठिती पत्रत्ता मझिमियाए परिसाए देवाणं साइरेगं अद्धपलिओवमं टिती पत्नत्ता बाहिरिवाएपरिसाए देवाणं अद्धपलिओवमंठिती पन्नत्ता अभितरियाएपरिसाए देवीणंअद्धपलिओवमं ठिती पत्रत्ता मजिमियाए परिसाए देवीणं देसूर्ण अद्धपलिओवमं ठिती पत्रत्ता बाहिरियाए परिसाए देवीणं साइरेगं चउटभागपलिओवमं ठिती पत्रत्ता अस्थो जहा चमरस्स अवसेसाणं वेणुदेवादीणं महाघोसपञ्जवसाणाणं ठाणपदवत्तव्यया निरवयवा भाणियब्वा परिसाओ जहा धरणभूताणंदाणं-दाहिणिल्लाणं जहा धरणस्स उत्तरिल्लाणं जहा भूताणंदस्स परिमाणंपि ठितीवि १२१1-120 For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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