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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिवत्ति- 9 पुढविकाइया | १५/- 15 (१७) से किं तं आउकूकाइया आउक्काइया दुविहा पन्नत्ता तं जहा सुहुम आउकूकाइया य बायर आउकूकाइया व सुहुमआउक्काइया दुबिहा पत्रत्ता तं जहा पञ्जत्ता व अपजत्ता य तेसि णं भंते जीवाणं कइ सरीरया पत्रत्ता गोयमा तओ सरीरया पत्रत्ता तं जहा ओरालिए तेयए कम्मए जहेव सुहुमपुढविक्काइयाणं नवरं विवुगसंठिया पत्रत्ता सेसं तं चैव जाव दुगइया दुआगतिया परित्ता असंखेना पन्नत्ता से तं सुहुम आउकूकाइया | १६ |-16 (१८) से किं तं बायर आउक्काइया वायर आउक्काइचा अनेगविहा पत्रत्ता तं जहा ओसा हिमे जाव जे चावण्णे तहष्पगारा ते समासओ दुविहा पत्रत्ता तं जहा पञ्जत्ता व अपजत्ता य तं चैव सव्वं नवरं थिवुगसंटिया चत्तारि लेसाओ आहरी नियमा छद्दिसिं उचयाओ तिरिक्खजोणि-मणुस्सदेवहितो टिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्तवाससहस्साई सेसं तं चेव जहा बायरपुढविकाइया जाव दुगतिया तिआगतिआ परित्ता असंखेज्जा पत्ता समणाउसो सेत्तं बाचरआउकूकइथा सेत्तं आउक्काइया । १:७1-17 (१९) से किं तं वणस्सइकाइया वणस्सइकाइया दुविहा पन्नत्ता तं जहा -सुहुमवणएसइकाइया व बायरवणरसइकाइयाय ।१८/-17-R (२०) से किं तं सुहुमवणरसइकाया सुहुमबणस्सइकाइया दुविहा पन्नत्ता तं जहा-पज्जत्तगाव अपजत्तगा व तहेव नवरं अणित्यंसठिया दुगतिवा दुआगतिया अपरित्ता अनंता अवसेसं जहा पुढविक्काइयाणं से तं सुहुमवणस्सइकाइया ।9९)-18 (२१) से किं तं बायरवणरसइकाइया बायरवणस्सइकाइया दुविहा पन्नत्ता तं जहापत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया व साहारणसरीबायरवणस्सइकाइया व २०/-19 (२२) से किं तं पत्तेयसरीरबाबरवणस्सइकाइया पत्तेयसरीवयरवणस्सइकाइया दुवालसविहा पत्रा तं जहा - २१-१ | -20-1 (२३) रूक्खा गुच्छा गुम्मा लत्ताय वल्लीय पव्वगा चेव तण वलय हरिय ओसहि जलरुह कुहणा व बोधव्या 11911-1 (२४) से किं तं रुक्खा रुक्खा दुविहा पन्नता तं जहा एगट्टिया य बहुबीया च से किं तं एगट्टिया एगडिया अनेगविहा पत्रत्ता तं जहा निबंब जंबु कोसंब साल अंकोल्ल पीलु सेलू य जाव पुन्नागनागरुक्खे सीवणि तहा असोगे य जे यावण्णे तहप्पगारा एतेसि णं मूलावि असंखेजजीविया एवं कंदा खंधा तया साला पवाला पत्ता पत्तेवजीवा पुप्फाई अणेगजीवाई फला एगडिया से तं एगट्टिया से किं तं बहुबीया, बहुबीया अनेगविहा पन्नत्ता तं जहा अत्थिय तेंदुय-उंबर- कविट्टे आमलग-फणस - दाडिम-नागोह-काउंबरीच तिलय-लउय लोद्धे धये जे यावण्णे तहम्पुगारा एतेसि णं मूलावि असंखेजजीविया जाव फला बहुबीपगा सेत्तं बहुजी- यगा सेत्तं रुक्खा एवं जहा पत्रवणाए तहा माणियव्वं जाव जे यावण्णे तहप्पागारा सेत्तं कुरुणा । २१-२1-20-2 (२५) नाणाविहसंदाणा रुक्खाणं एगजीविया पत्ता धोविएगजीवो ताल-सरल-नालिएरीणं (२६) जह सगलसरिसवाणं सिलेसमिस्साण चट्टिया वट्टी पत्तेयसरीराणं तहहोंति सरीसंघाया For Private And Personal Use Only ॥२॥-1 ||३|1-2 ७
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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