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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५० जीयाजीवामिगम • सय ३९६ एएसि णं मंते पढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयनेरइयाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया या गोयमा सव्वत्योवा पढमसमयनेरइया, अपढमसमयनेरइया असंखेनगुणा एएसिणं मंते पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा जाव गोयमा सव्वत्योवा पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमयतिरिकखोजोणिया अनंतगणा, मणुयदेवाणं अप्पाबहुयं जहा नेरइयाणं एएसि णं पते पढमसमयनेरइयाणं पठमसमयतिरिक्खजोणियामं पढमसमयमणूसाणं पढमसमयदेवाणं अपढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपदमसमयमणूसाणं अपढमसमयदेवाणं सिद्धाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाव गोयमा सव्यत्योवा पढमसयमणूसा, अपढमसमयमणूसा असंखेनगुणा पढमसमयनेरइया असंखेनगुणा पढमसमयदेवा असंखेनगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा अपढमसमवनेरइया असंखेनगुणा अपढमसमयदेवा असंखेनगुणा सिद्धा अनंतगुणा अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अनंतगुणा सेत्तं नवविहा सव्वजीवा ।२७१1-270 . अभी सबजीदा पड़िवत्ती समत्ता. -: नव पीस च जी वा-प डि व त्ती :(३९७) तत्थ णं जेते एवमाइंसु दसविधा सबजीवा पन्नत्ता ते एवमाहंसु तं जहापुढविकाइया आउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सतिकाइया देइंदिया तेइंदिया चउरिदिया पंचेदिया अणिदिया, पुढविकाइए णं भंते पुढविकाइएत्ति कालओ केवचिरं होति गोयमा जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेनं कालं असंखेनाओ उस्सप्पिणी-ओसप्पिणीओ कालओ खेत्तओ असंखेज्जा लोया एवं आउत्तेउ-वाउकाइए, वणस्सतिकाइए गं मंते वणस्सतिकाइएत्ति कालओ केवचिरं होति गोयमा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अनंतं कालं बेइंदिए णं मंते बेइंदिएत्ति कालओ केवचिरं होति गोयमा जहनेणं अंतोमुहत्तं उकूकोसेणं संखेनं कालं एवं तेइंदिएविचउरिदिएवि, पंचेंदिए णं भंते पंचेदिएत्ति कालओ केवचिरं होति गोयमा जहण्णेणं अंतोमहत्तं उकोसेणं सागरोवमसमहस्स सातिरेगं, अणिंदिए णं मंते अणिदिएत्ति कालओ केवचिरं होति गोयमा सादीए अपनवसिए, पुढविकाइयस्सणं भंते अंतरं कालओ केवचिरं होति गोयमा जहण्णेणं अंतोमहत्तं उककोसेणं वणस्सतिकालो एवं आउकाइवस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स, वणस्इकाइयस्स णं भंते अंतरं कालओ केवचिरं होति गोयमा जा चेव पुढयिकाइयस्स संचिट्ठणा, बेइंदियतेइंदिय-चउरिदिया-पंचेंदिवाणं एतिसिं चउण्डंपि अंतरं जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो अणिदियस्स णं भंते अंतरं कालो केवचिरं होति गोयपा सादीयस्स अपजयसियस्स नस्थि अंतरं अप्पा- बहुयं-सव्वत्योचा पंचेदिया, चउरिदिया विसेसाहिया तेइंदिया विसेसाहिया येइंदिया विसेसाहिया तेउकाइया असंखेनगुणा पुढविकाइया विसेसाहिया आउकाइया विसेसाहिया वाउकाइया विसे-साहिया, अर्णिदिया अनंतगुणा वणस्सतिकाइया अनंतगुणा।२७२|-271 (३९८) अहवा दसविहा सव्वजीवा पनत्ता तं जहा पढमसमयनेरइया अपढमसमयनेरइया पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमयतिरिक्खजोणिया पढमसमयमणूसा अपढमसमयमणूसा पढपसमयदेवा अपढमसमयदेवा पढमसमयसिद्धा अपढमसमयसिद्धा, पढमसमयनेरइए ण भंते पढमसमयनेरइएत्ति कालओ केवचिरं होति गोयमा एक्कं समयं अपढमसमयनेरइए णं पते For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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