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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ११८ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवाजीवाभिनय ३ / दी०/३०० - (३०१) केवइया णं मंते जंबुद्दीया दीवा नामधे जेहिं पन्नत्ता गोयमा असंखेजा जंबुद्दीवा नामधे जेहिं पन्नत्ता केवतिया णं मंते लवणसमुद्दा समुद्दा पन्नत्ता गोयमा असंखेजा लवणसमुद्दा नामधेर्हि पत्रत्ता एवं धायतिसंडावि एवं जाव असंखेचा सूरदीवा नामधेजेहि य एगे देवे दीवे पत्रत्ते एगे देवोदे समुद्दे पत्ते एवं नागे जक्खे भूते जाय एगे सयंभूरमणे दीवे एगे सयंभूरमणसमुद्दे नामधे जेणं पत्रत्ते । १८७-188 (१०२) लवणस्स णं भंते समुद्दस्स उदए केरिसए आसादेणं पन्नत्ते गोयमा खारे कडुए जाव नन्नत्थ तज्जोणियाणं सत्ताणं कालोयस्स णं पुच्छा गोयमा आसले मासले जाव पगतीए उदगरसे णं पत्ते पुकूखरोदस्स णं पुच्छा गोयमा पुक्खरोदस्स उदए अच्छे पत्थे जाव पगतीए उदगरसे पं पत्रत्ते वरुणोदसणं भंते समुहस्स केरिसए अस्सादे णं पत्रत्ते गोयमा से जहानामए चंदप्पभाति वा जहा हेट्ठा, खीरोदस्स णं पुच्छा गोयमा से जहानामए रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चाउरक्के गोक्खीरे जाब एतो इट्ठतराए, घयोदस्स णं पुच्छा गोयमा जहानामते सारइयस्स गोघयवरस्स मंडे जाब एत्तो मणा-मतराए चेव आसादे णं पत्रत्ते खोतोदस्स णं मंते समुद्दस्स उदए केरिसए आसाए णं पन्नत्ते गोयमा से जहानामए उच्छूर्ण जाव एतो इट्टतराए जहा खोतो तहा सेसा वि सयंभुरमणस्स जहा पुक्खरोदस्स कति णं भंते समुद्दा पत्तेयरसा पन्नत्ता गोयमा चत्तारि समुद्दा पत्तेयरमा पत्रत्ता तं जहालवणे वरुणोदे खीरोदे घयोदे कति णं भंते समुद्दा पगतीए उदरगसा पत्रता गोयमा तओ समुद्दा पत्रत्ता तं जहा - कालोए पुक्खरोदे सयंभुरमणे अवसेसा समुद्दा उत्सण्णं खीतरसा पत्रत्ता समणउसो १८८/- 187 (३०३) कति णं भंते समुद्दा बहुमच्छकच्छभाइण्णा पत्रत्ता गोयमा तओ समुद्दा पन्नत्ता तं जहा -लवणे कालोए सयंमुरमणे अवसेसा समुद्दा अप्पमच्छकच्छभाइण्णा नो चेव णं निम्मच्छकच्चभा पत्रत्ता समणाउसो लवणे णं भंते समुद्दे कति मच्छजातिकुलकोडिजोणी- पमुहसयसहस्सा पत्ता गोयमा सत्त मच्छजाति जाव पन्नत्ता कालोए णं नव, सयंभुरमणे पुच्छा अद्धतेरस मच्छजाति जाव पत्रत्ता लवणे णं भंते समुद्दे मच्छाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पत्रत्ता गोयमा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्कोसेणं पंच जोयणसयाई कालोए णं सत्त जोयणसताई सयंभूरमणे जोयणसहस्सं [दस जोयणसत्ताई पा. ] ११८९ । -188 (३०४) केवतिया णं मंते दीवसमुद्दा नामधेजेहिं पन्नत्ता गोयमा जावतिया लोगे सुभा नामा सुभावण्णा सुभा गंधा सुमा रसा सुभा फासा एवतिया दीवसमुद्दा नामधे जेहिं पत्रता केवतिया णं भंते दीवसमुद्दा उद्धारेणं पन्नत्ता गोयमा जावतिया अड्ढाइज्जाणं उद्धारसागरोवमाणं उद्धारसमया एवतिया दीवसमुद्दा उद्धारेणं पन्नत्ता । १९०/-189 (३०५) दीवसमुद्दा णं भंते किं पुढविरपरिणामा आउपरिणामा जीवररिणामा पोगलपरिणामा गोयमा पुढविपरिणामावि आउपरिणामावि जीवपरिणामावि पोग्गल परिणामावि दीवसमुद्देसुं णं भंते सव्वापाणा सव्वभूया सव्वजीवा सव्वसत्ता उबवण्णपुष्वा हंता गोयमा असई अदुवा अनंतखुत्तो 1991-190 • तथाए पडिवत्तीए दीव समुहाधिकारी समत्तो • -: इं दिय वि स या पिगा रो : (३०६) कतिविहे णं भंते इंदियविसए पोग्गलपरिणामे पत्ते गोयमा पंचविहे इंदियविसए पोलपरिणामे पत्ते तं जहा- सोतिंदियविसए जाब फासिंदियविसए सोतिंदियविसए णं भंते For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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