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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अग्यपणं-र पयाहिणं करेड़ करेता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसिता एवं वयासी-सदहामिणं भंते निग्गंधं पावयणं पत्तियामि णं मंते निर्णथं पावयणं रोएमि णं मंते निगथं पावयणं अभडेमि णं भंते निगंध पावयण एवमेयं भंतेतहमेयं भंते अवितहमेयं भंते असंदिद्धमेयं भंते इच्छियमेयं भंते पडिच्छियमेयं भंते इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते से जहेयं तुबे पदह जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसरतलवर-माइंबिय-कोडुंबिय इम-सेटि-सेणावइ-सत्यवाहप्पभिइया मुंडा पवित्ता अगाराओ अणगारियं पबइया नो खलु अहंतहा संवाएमि मुंडे मवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्यइत्तए अहंणं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचाणुच्चइयं सत्तसिक्खावइयं-दुवालसविहं सावगधम्म पडिवजिस्सामि अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंध करेहि तए णं से नंदिणीपिया गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सावयधयं पडिवजई तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ सावत्यीए नपरीए कोट्ठयाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं] विहरइ तए णं से नंदिणीपिया समणोवासए जाए-[अभिगयजीवाजीवे जायसमणे निगंये फासु-एसणिज्जेणंअसण-पाण-खाइम-साइमेणं वस्थपडिगह-कंबल-पायपंछणेणं ओसह-भेसनेणं पाडिहारिएणं य पीढ-फलग-सेजा-संथारएणं पडिलाभेपाणे विहरइ तए णं सा अस्सिण्णी भारिया समणोयासिया जाया-अभिगयजीवाजीवा जाव विहरइ तए णं तस्स नंदिणीपियस्स समणोवासगस्स दहूहिं सील-व्वय-गुण-[वेरमण-पचक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं] भावेमाणस्स चोइस संवच्छराई वीइक्कंताई [पनरसमस संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णदा कदाई पुव्यरत्तावरत्तकासमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अन्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पनिस्या-एवं खलु अहं सावत्थीए नयरीए वहूर्ण जाव आपुच्छणिले पडिपुच्छणिज्जे सयस्स वियणं कुटुंबस्स पेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए तं एतेणं वक्वेवेणं अहं नो संवाएमि सपणस भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्ति उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए तए णं से नंदिणीपिया समणोवासए जेट्टपुत्तं मित-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणं च आपुच्छइ आपुछिता सयाओ गिहाओ पडिणिखमइ पडिणिक्खमित्ता सावत्यि नयरिं मझमझेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता पोसहसाल पमनइ पमजित्ता उच्चार-पासवणभूमि पडिलेहेइ पडिलेहेत्ता दव्यसंथारयं संयोइ संथरेत्ता दमसंथारयं दुरुहइ दुरुहिता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगयमालावण्णगविलेवणे निखित्तस्थमुसले एगे अदीए दमसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्तिं उवसंपनित्ताणं विहाइ तए णं से नंदिणीपिया समणोवासए पढमं उवासग- पडिमं उपसंपञ्जित्ता णं विहरइ तए णं से नंदिणीपिया समणोयासए पढमं उवासगपडिमं अहासुतं अहाकएं अहामागं अहातन्वं सम्म कारणं फासेइ पालेई सोहेइ तीरेइ कितेइ आराहेइ तए णं से नंदिणीपिया सपोवासए दोच्चं उवासगपडिमं एवं तत्रं चउत्यं पंचमं छटुं सत्तमं अट्ठमं नवमंदसमं एककारसमं उवासगपडिम अहासत्तं अहाकप्पं जाव आराहेइ तए णं से नंदिणीपिया समणोवासए तेणं ओरालेणं विउत्तेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए तए णं तस्स नंदिणीपियस्स समणोवासगस्स अण्णदा कदाइ पुव्वात्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरिचं जागरमाणस्स अयं अज्झथिए चिंतिए पन्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु For Private And Personal Use Only
SR No.009733
Book TitleAgam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 07, & agam_upasakdasha
File Size2 MB
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