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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्यपणं-५ कयवलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छिते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाई वस्थाई पवर परिहिए अप्पमहाधाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिमिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं मणुस्सयग्गुरापरिखित्ते पादविहारचारेणं आलभियं नयरिं मझमजमझेणं निग्गच्छइ निग्गचित्ता जेणामेव संखवणे उच्नाणे जेणेच समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेता वंदई नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासपणे नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पछुवासइ तए णं समणे भगवं महावीरे चुलसययस्स गाहावइस्स तीसे य महइमहालियाए परिसा जाव धम्म परिकहएइ परिसा पडिगया राया य गए तए णं चुल्लसयए गाहायई सपणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धर्म सोचा निसम्मं हहतुट्ट-चित्तमाणदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए रवाए उठेइ उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसिता एवं वयासी-सहहामिण भंते निर्णय पावयणं पत्तियामिणं भंते निग्गंथं पाववणं रोएमि णं मंते निगंथं पावयणं अमुडेमि णं भंते निग्गंथं पावयणं एवमेयं भंते तहपेयं भंते अवितहमेयं भंते असंदिद्धमेयं भंते इच्छयमेयं मंते पडिच्छिमेयं भंते इच्छियपडिछियमेयं भंते से जहेयं तुटमे वदह जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवरमाइंबिव-कोडुविय-इभ-सेहिसणावइ सत्यवाहप्पभिइया मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं एव्वइया नो खलु अहं तहा संचाएमि मुंडे मवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए अहं णं देवाणुप्पिवाम अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जिस्सामि अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंधंकोहि तएणं से चुल्लसवए गाहायई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सावयधम्म पडिवज्जइ तए णं समणे भगवं महारे अण्णदा कदाइ आलभिपाए नयरीए संखवणाओ उजाणाओ पडिणि खपइ पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरड़ तए णं से चुल्लसयए समणोवासए जाएअभिगयजीवाजीवे जाव समणे निगंथे फासु-एसणिजेणं असण-पाण-खाइप-साइमेणं वत्थपडिगह-कंबल-पाचपुंछणेणं ओसह-प्रेसजेणं पाडिहारिएण च पीढ-फलग-सेना-संधारएणं पडिलाभेमाणे विहरइतए णं सा बहुला भारिया सपणोवासिया जाया-अभिगयजीवाजीवा जाव विहरइ तए णं तस्स चुल्लसययस्स समणोवासगस्स उच्चावएहि सीलव्यय-गुण-वेरमण-पचक्याणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावमाणस्स चोइस संवच्छराई वीइक्कंताई पन्नरसमस संवच्छरस अंतरा वट्टमाणस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए वितिए पत्थिए मणोगए संकप्ये सपुष्पजिस्था-एवं खलु अहं आलभियाए नयरीए बहणं जाच आपछणिजे पडिपुच्छणिज्जे सयस्स वियणं कुटुंबस्स मेदी जाय सव्वकञ्जवड्ढावएतं एतेणं वक्नेयेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपत्रत्तिं उपसंपजित्ता णं विहरित्तए तए णं से चुल्लसयए समणोवासए जेट्टपुत्तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणं च आपुच्छइ आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता आलमियं नयरिं मज्झंमझेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता पोसहसालं पमञ्जइ पमज्जित्ता उचार-पासवणभूमि पडिलेहेइ पडिलेहेत्ता दमसंधरायं संघरेइ संथरेत्ता दमसंथारयं दुरुहइ दुरुहिता पोसहसालाए पोसहिए दंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगयमाला For Private And Personal Use Only
SR No.009733
Book TitleAgam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 07, & agam_upasakdasha
File Size2 MB
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