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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૪ उवासगदसाओ २/२० समणोवासए जाए-अभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गंधे फासु-एसणिज्रेणं असण- पाण- खाइमसाइमेणं वत्थ-डिगह कंवल- पायपुंछणेणं ओसह भेसणं पाडिहारिएणं य पीढ-फलग-सेज्जा संधारएणं पडिला भेमाणे विहरइ तए णं सा भद्दा भारिया समणोवासिया जाया- अभिगयजीवाजीवा जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिणं असण-पाण- खाइम- साइमेणं वत्थ- पडिगह कंवलपायपुंछणेणं ओसह-भेसज्ञेणं पाडिहारिएण व पीढ-फलग-सेजा- संथार एणं पडिलाभेमाणी विहरइ तणं तस्स कामदेवस्य समणोवासगस्स उच्चावएहिं सील-व्वय-गुण- वेरमण- पञ्चक्खाण-पोसहीयवसाहिं अप्पाणं भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराई बीइक्कंताई पत्ररसमस्त संवच्छररस अंतरा वङ्माणस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलुअहं चंपाए नयरीए बहूणं जाव आपुच्छणिचे पडिपुच्छणिजे सयस्स वि य णं कुटुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्जड्ढाए तं एतेणं वक्खेवेण अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपत्रत्ति उवसंपचित्ता णं बिहरित्तए तए णं से कामदेवे समणोवासए | जेट्ठपुत्तं मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधिपरिजणं व आपुच्छर आपुच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता जहा आनंदो जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपत्रत्ति उवसंपजित्ता णं विहरइ 1921-18 (२१) तए णं तस्स कामदेवस्स समणोवासगस्स पुब्बरताव रत्तकालसमयंसि एगे देवे मायी मिच्छदिट्टी अंतियं आउन्भूए तए णं से देवे एवं महं पिसायरूवं विउव्वइ तस्स णं दिवस्स पिसायरूस इमे एवारूवे दण्णावासे पन्नत्ते-सीसं से गोकिलंज-संठाण-संटिय सालिभसेल-सरिसा से केसा कविलतेणं दिप्पमाणा उट्ठिया कमल्ल संठाण-संठियं निझालं मुगुंसपुच्छं व तस्स भुमकाओ फुग्गग्गओ विगव - बीभत्सदंसणाओ सीसघडिविणिग्गयाई अच्छीणि विगय वीमत्स- दंसणाई कण्णा जहसुप्प - कत्तरं चैव विगय- वीभत्स - दंसणिजा उरब्भपुडसंनिभा से नासा झुसिरा जमलचुल्ली संठाण - संठिया दो वि तस्स नासापुड्या घोडयपुच्छं व तस्स मंसूई कविल-कविलाई विगयवीभत्स - दंसणाई उडाउट्ठस्स चैव लंबा फालसरिसा से दंता जिम्मा जह जुप्प कत्तरं चैव विगयबीभत्सदसणा हल - कुड्डाल-संठिया से हणुया गल्ल-कडिल्लं व तस्स खड्डे फुटं कविलं फरुसं महलं मुइंगाकारोवमे से खंधे पुबरकवाडोवमे से वच्छे कोट्टिया-संठाण- संठिया दो वि तस्स बाहा निसापाहाण-संठाण-संठिया दो वि तस्स अग्गहत्था निसालोट-संढाण-संठियाओ हत्येसु अंगुलीओ सिप्पि - पुडगसंटिया से नक्खा महाविय-पसेवओ व्व उरम्मि लंबंति दो वि तस्स चणया पोट्टं अयकोओ व् बद्धं पाण- फलंद-सरिसा से नाही सिक्कग संठाण-संठिए से नेते किण्णपुडसंठाण-संठिया दो वि तस्स बसणा जमल-कोट्टिया संठाण-संठिया दो वि तस्स ऊरू अञ्जुण- गुड व तस्स जाणूई कुडिल-कुडिलाई विगय-बीभत्सदंसणाई जंघाओ कक्खडीओ लोमेहि उवचियाओ अहरी - संठाण -संटिया दो वि तस्स पाया अहरी-लोढ संठाण-संठियाओ पाएस अंगुलीओ सिप्पिपुडसंठिया से नक्खा लडह मडह - जाणुए विगय-भग्ग-भुग्ग-भुमए अवदालिय-वयण-विवरनिल्लालियागजीहे सरड-कयमालियाए उंदुरमाला परिणद्ध-सुकयचिंधे नउल-कयकण्णपूरे सप्पकयवेगच्छे अप्फोडते अभिगते मीम मुक्कटहासे नाणाविह पंचवण्णेहिं लोमेहिं उयचिए एवं महं नीलुप्पल-गवलगुलिय अयसिकुसुमप्पगासं खुरधार असिं गहाय जेणेव पोसहसाला जेणेब कामदेवे समणोवासए तेणेव उदागच्छर्इ उवागच्छित्ता आसुरते रुट्टे कुविए चंडिककिए For Private And Personal Use Only
SR No.009733
Book TitleAgam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 07, & agam_upasakdasha
File Size2 MB
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