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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नापाधम्मक हाओ - 9 /-/ १/४० पच्चक्खाए मुसावए अदिन्नादाणे मेहुणे परिग्गहे कोहे माणे माया सोहे पेजे दोसे कलहे अब्पक्खाणे पेसुन्ने परपरिवाए अरइरई मायामोसे मिच्छादंसणसल्लेपञ्चकखाए इयाणि पिणं अहं तस्सेब अंतिए सव्वं प्राणाइवायं पच्चक्खामि जाव मिच्छदंसणसल्लं पञ्चक्खामि सव्वं असण- पाण- खाइम साइमं चउव्विहंपि आहारं पच्चक्खामि जावज्जीवाए जंपिय इमं सरीरं इटुं तं पिवं मणुण्णं मणामं धेनुं वेस्सासियं सम्मयं बहुमंय अणुमयं भंडकरंडगसमाणं माणं सीयं माणं उन्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं वाला मा णं दंसा मा णं मसया माणं वाइय-पत्तिय-सेंभिय-सण्णिवाइय] विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतीति कट्टु एवं पि यणं चरमेहिं ऊसासनीसासेहिं बोसिरामि त्ति कट्टु संलेहणा-झूसणा-झूसिए भत्तपाण- पडियाइखिए पाओ गए कालं अणचक्रंखमाणे विहरड तए णं ते थेरा भगवंतो मेहस्स अणगारस्स अगिला वेयावडियं करेंति तए णं स मेहे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिजित्ता बहुपडिपुत्राई दुवातसवरिसाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता सट्टि भत्ताई अमसणाए छेएत्ता आलोइय-पडिक्कते उद्धियसले समाहिपते अनुपुब्वेणं कालगए तए णं ते घेरा भगवंतो मेहं अणगारं अनुपुचेणं कालगयं पासंति पासित्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति करेत्ता मेहस्स आयारभंडगं गेहंति विउलाओ पव्वयाओ सणियं सणियं पचोरुहंति पच्चोरुहित्ता जेणामेव गुणसिलए चेइए जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति वंदित्ता नमसित्ता एवं बयासी एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे नामं अणगारे पगइभद्दए (पगइउवसंते जाव अल्लीणे] विणीए से णं देवाणुप्पिएहिं अणुण्णाए समाणे गोयमाइए सपणे निग्गंथे निग्गंधीओ य खामेत्ता अम्हेहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहइ सयमेवमेघघणसणिगासं पुढविसिलं पडिलेहेइ भत्तपाजपडियाइक्खिए अनुपुब्वेणं कालगए एस णं देवाप्पिया मेहस्स अणगारस्स आयारभंडए । ३५/-30 ( ४१ ) भंते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमसित्ता एवं बयासी एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे नामं अणगारे से णं भंते मेहे अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उबवण्णे गोयमा इ समणे भगवं महावीरे गोयमं एवं वयासी एवं खलु गोयमा मम अंतेवासी मेहे नामं अणगारे पगइमद्दए जाव विणीए से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिजित्ता बारस भिक्खुपडिमाओ गुणारवण-संबच्छर तवोकम्पं कारणं फासेत्ता जाव किट्टेत्ता भए अब्भगुष्णाए समाणे गोयमाइ धेरे खामेत्ता तहारूवेहि जाय विपुलं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहित्ता ददर्भथारगं संथरित्ता दब्भसंधारोवगए सयमेव पंचमहव्वए उच्चारता बारस वासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पागं झूसित्ता सद्धिं मत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता चंदिम- सूर- गहगण- नक्खत्त-तारारूवाणं बहूई जोयणाइं बहूई जोयणसयाई बहूई जोयणसहस्साई बहुई जीयणसयसहस्लाई बहूओ जोयणकोडीओ बहूओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता सोहम्मी- साण सणकुमार माहिं दबंभलंग- महासुक्क-सहस्साराणय-पाणयारणहुए तिण्णि य अट्ठारसुत्तरे गेवेजविमाणवाससए वीईवइत्ता विजए महाविमाणे देवत्ताए उबवण्णे तत्थ णं अत्येगइयाणं देवाणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता तत्य णं मेहस्स वि देवस्स तेत्तीसं सागरोदमाई ठिई एस णं भंते पेहे देवे ताओ देवलोयाओ For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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