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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४ नापापप्पकहाओ - 91-19/२२ गणिए रावा जेणेव धारिणी देवी तेणेव उवागच्छइ उयागच्छिता धारिणी देविं एवं बयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए सगजिया जाव पाउससिरी पाउदभूया तं गं तुमं देवाणुप्पिए एवं अकालदोहन विणेहि तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं राणा एवं वुत्ता समाणी हट्ठतुट्ठ जेणामेव मझणघरे तेणेव ज्वागच्छइ उवागच्छिता मजणधरं अनुप्पविसइ अनुप्पविसित्ता अंती अंतेउरंसि पहाया कयवलिकाया कय - कोउय - मंगल-पावच्छिता किं ते वरपायपत्तनेउर - मणिमेहल हार - रइय - ओविद्यकडा-खुड्य-विचित्त वरवलयभियमुया जाव आगास-फालिय-समप्प अंसुयं नियत्या सेवणयं गंधहस्थि दुरूदा सपाणी अमय-महिय-फेणपुंज सनिगासाहि सेयघामाचालवीयणीहि वीइन माणी-वाइजमाणी संपत्थिया तए णं से सेणिए राया पहाए कयवलिकामे जाव हत्यखंधवरगए सकारेंटमलदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं चउचपराहि वीइजमाणे धारिणि देवि पिटुओ अनुगच्छइ तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रणगा हत्यिखंधवरगएणं पिट्ठओ-पिट्टओ समणुगम्ममाण मागा हय - गय - यह - पवरशोहकलियाए चाउरंगिणीए सेनाए सद्धि संपरिबुद्धा महया भड़ - चडगर - बंदररिक्खित्ता सचिड्ढीए सच्चईए जाव दुंदुभिनिग्धोसनाइयरवेणं रायगिहे नयर सिंघाडग तिग-चउक-चच्चर-[चउम्मुह] - महापहपहेसु नागरजगणं अभिनंदिज़माणी - अभिनंदि-जमाणी जेणामेव वेभारगिरि-पव्वए तेणामेव उवागच्छइ उदाच्छित्ता वेभारगिरि-कडग-तडपायमूले आरामपुर उजागेसुयकाणणेसुय वणेसुय वणसंडसुयरूक्सेसुयगुच्छेसुय गुम्मेमुयलयासुचवल्ली य कंदरासु व दरीमु य चुंद्रीय जूहेसु य कच्छेमु य नदीसु य संगमेसु य विवरएसु य अच्छ-माणीय पेच्छमाणी य मज्जमाणी य पत्ताणि य पुष्पाणि य फलाणि य पल्लवाणि य गिण्हमाणी यमाणेमाणीय अधायमाणी व परिभुंजेमाणी य परिभाएमाणी य वेभारगिरिपायमूले दोहलं विणे- गाणी सच्चओ समंता आहिंडइ तए णं मा धारिणी देवी समाणियदोहला विणीयदोहला संपुण्ण- दोहला संपत्तदोहला जाया यावि होत्था तए णं सा धारिणी देवी सेवणयगंधहत्थि दरूढा समाणी मेणिएणं हत्थखंधवरगएणं पिट्ठओ-पिडओ समणुगप्पमाण-पगा-हय-गय-जाव रवेणं जेणेव रागिहे नयाँ तेगेव उवागच्छउवागच्छित्तारापगिह नया मझमज्झेणंजेणामेव सएभवणे तेणामेव उवागच्छद उवागच्छित्ता विउलाई माणुस्सगाई भोगभोगाईपच्चणुभवमाणी विहरइ।१७-15-R (२३) तए णं से अभए कुमारे जेणापेच पोसहसाला उवागकइ ज्वागछित्ता पुच्चसंगइयं देवं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्पाणेत्ता पडिविराजेइ तए णं से देवे सगजियं सविजुयं सफुसियं पंचवण्णमेहोवसोहियं दिव्यं पाउसिरिं पडिसाहरइ पडिसाहरिता जामेव दिसिं पारदमूए तामेव दिसि पडिगए।१८|-10-R (२४) तए णं सा धारिणी देवी तंसि अकालदोहलंसि विणीचंसि सम्माणियदोहला तस्स गमस्स अनुकंपणट्टाए जयं चिट्ठइ जयं आसयइ जयं सुबइ आहारं पिय णं आहारेमाणी-नाइतित्तं नाइकडुयं नाइकसायं नाइअंबिलं नाइपहुरं जं तस्स गल्भस्स हियं मियं पत्थयं देसे य काले य आहारं आहारेमाणी नाइचित्तं नाइसोयं नाइमोहं नाइभयं नाइपरित्तासं ववगयचिंता- सोयमोह-भय-परितासा उदु-मञ्जमाण-सुहेहिं भोयण-च्छायण गंध-मल्लालंकारेहिं तं गम्भं सुहंसुहेण परिवहइ ।१९।-17 (२५) तए णं सा धारिणी देवी नवहं मासाणं बहुपडिपुत्राणं अट्ठमाण य राईदियाणं वीइक्कंताणं अद्धरत्तकालसमयंसि सुकुमालपाणियापायं जाव सव्वंगसुंदरं दारगं पयाया तए णं For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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