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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६६ नायाधम्मकहाओ - २/१/१/२२० कयाइ सरीरबाउलिया जाया यावि होत्या अभिक्खणं- अभिक्खणं हत्थे धोवेइ पाए धोवेइ सीसं धोवेइ मुहं धोवे यणंतराणि धोयेइ कक्खंतराणि धोवेइ गुज्झतराणि धोवेइ जत्य जत्य वि य णं ठाणं वा सेवा निसीहियं या चेएइ तं पुव्वामेव अब्मुक्खित्ता तओ पच्छा आसयइ वा सयइवा तए णं सा पुप्फचूला अज्जा कालिं अजं एवं क्यासीनो खलु कप्पर देवाणुप्पिए समणीणं निग्गंथीणं सरीरवाउसियाणं होत्तए तुमं च णं देवाणुप्पिए सरीरबाउसिया जाया अभिक्खणं- अभिक्खणं हत्थे धोसि [पाए धोवस सीसं धोवसि मुहं धोवसि थणंतराणि धोवसि कक्वंतराणि धोवस गुअंतराम धोवस जय-जय वि य णं ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेएसि तं पुव्वामेव अक्खित्ता तओ पच्छा] आसवसि वा सयसि वा तं तुमं देवाणुप्पिए एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पापच्छिता पडिवज्जाहि तए णं सा काली अजाए पुष्फचूलाए अजाजे एवट्ठे नो आढाइ नो परियाणाइ तुसिणीया संचिवइ तए णं ताओ पुप्फचूलाओ अजाओ कालिं अजं अभिक्खणंअभिक्खणं हीलेंति निंदंति खिसंति गरहंति अवमन्नंति अभिकूकणं- अभिक्कणं एयमडुं निवारेंति तए णं ती कालीए अज्जाए समणीहिं निम्गंधीहिं अभिक्खणं- अभिक्खणं हीलिजभाणीए जाव निवारिज्रमाणीए इमेयारूवे अज्झथिए [चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे] समुप्यजित्था - जया णं अहं अगारमज्झे वसित्या तया णं अहं सयंवसा जप्पभिई छ णं अहं मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्यइया तप्पभिइ च णं अहं परवासा जाया तं सेयं खलु ममं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते पाडिक्कयं उवस्सयं उवसंपजित्ताणं विहरितए ति कट्टु एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कलं पाउप्पभायाए रयणीए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिrयरे तेयसा जलते पाडिक्कं उयस्सयं गेण्हइ तत्थ णं अणिवारिया अणोहट्टिया सच्छंदमई अभिक्खणं- अभिवणं हत्ये धोवेइ [ पाए धोवेइ सीसं धोवेइ मुहं धोवेइ थणंतराणि धोवेइ कक्कतराणि धोवेइ गुज्झतराणि धोबेइ जत्थ- जत्थ वि य णं ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेएइ तं पुव्यामेव अमुक्खित्ता तओ पच्छा] आसयइ वा सयइ वा तणं सा काली अज्जापासत्या पासत्थिविहारी ओसन्ना ओसन्नविहारी कुसीला कुसीलविहारी अहाछंदा आहाछंदविहारी संसत्ता संसत्तविहारी बहूबणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसेइ झूसेत्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेएइ छेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइय पडिक्कंता कालमासे कालं किया चमरचंचाए रावहाणीए कालिवडिंसए भवणे उवयायसभाए देवसवणिचंसि देवदूतरिया अंगुलस्स अंसेखेज्जाए भागमेत्ताए ओगाहणाए कालीदेवित्ताए उववण्णा तए णं सा काली देवी अहुपोववण्णा समाजी पंचविहाए पत्तीए [पजतभावं गच्छति तं जहा - आहारपञ्जत्तीए सरीरपत्तीए इंदिय- पत्तीए आणपाण-पज्जत्तीए] भासमणपजत्तीए तए णं सा काली देवी चउण्हं सामाणिय- साहस्सीणं जाव सोत्तसहं आयरक्ख देवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहूणं कालिवडेंसगभवणवासीणं असुरकुमाराणं देवाणं य देवीणं य आहेवचं कारेमाणी जाव विहरइ एवं खलु गोयमा कालीए देवीए सा दिव्या देविड्ढी दिव्या देवजुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए कालोए णं भंते देवीए केवइयं कालं ठिई पत्रता गोयमा अड्ढाइजाई पलिओबमाई टिई पत्रता काली णं भंते देवी ताओ देवलगाओ अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिद गोयमा महाविदेहे बासे सिज्झिहिइ बुज्झिति पुचिहि परिनिव्वाहिइ सव्यदुक्खाणं अंतं काहिइ एवं खलु जंबू समणेण भगवया For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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