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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुयक्वंषो-२, वग्गो-१, अनायणं-१ नमसइ यंदित्ता नमंसित्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहइ दुरुहिता पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतियाओ अंबसालवणाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ पडिनिखमित्ता जेणेव आमलकप्पा नयरी तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता आमलकप्पं नयरि मझमज्झेणं जेणेब बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता घम्मियं जाणप्पवरं ठवेई ठवेत्ता धम्पि-याओ जाणपवराओ पचोरूहइ पच्चोरूहित्ता जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावतं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं वयासी एवं खलुअम्मयाओ मए पायस्सअरहओ अंतिए धम्मे निसंते से विय धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरूइए तए णं अहं अम्मयाओ संसारभउब्बिग्गा भीया जम्पण-मरणाणं इच्छामि णं तुयेहिं अटभणण्णाया समाणी पासस्स अरहओ अंतिए मुंडा भवित्ता अगाराओअणगारियंपब्बइत्तए अहासुहं देवाणुप्पिएमा पडिबंध करेहि। तए णं से काले गाहावई विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं उबक्खडावेइ उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणं आमंतेइ आमंतेत्ता तओ पच्छा बहाए जाव विपुलेणं पुष्फवत्य-गंध-मल्लालंकारेणं सकारेइ सम्माणेइसकुकारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ-नियगसपण-संबंधि-परियणस्स पुरओ कालिं दारिय सेयाणपीएहि कलसेहिं ण्हाचइ पहायेता सव्वालंकार-विभूसियं करेइ करेत्ता पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूहेइ दुरूहेता मित्त- नाइ-नियग- सयणसंबंधि-परिवणेणं सद्धिं संपरिबुडे सबिइढोए जाव दुंदुहि- निग्धोस- नाइयरवेणं आमलकप्पं नयरिं मझमझेणं निगच्छइ निगच्छित्ता जेणेव अंवसालवणे चेइए तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता छत्ताईए तिस्थगराइसए पासइ पासित्ता सीयं ठवेइ ठवेत्ता कालिं दारिपं सीयाओ पच्चोसहेइ तए णं तं कालिंय दारियं अपमापियरो पुरओ काउं जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उदागच्छंति उवागच्छित्ता वंदति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं बयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया काली दारिया अम्हं धूया इट्ठा कंता जाव उंबरपुप्फ पिव दुल्लहा सवणयाए किमंग पुण पासणयाए एस णं देवाणुप्पिया संसारभबिग्गा इच्छइ देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता [णं अगाराओ अणगारियं] पव्वइत्तए तं एयं णं देवाणुप्पियाणं सिस्सिणिभिक्खं दलयामो पडिच्छंतु णं देवाणप्पिया सिस्सिणिभिक्खं अहाराहं देवाणप्पिया मा पडिबंध करेहि तए णं सा काली कुमारी पासं अरहं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसिता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवकमइ अवककमित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ ओमुइत्ता सयमेव लोयं करेइ करेत्ता जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छइ उयागछिता पासं अरहं तिक्खुतो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-आलिते णं भंते लोए जाव तं इच्छामि णं देवाणुप्पिएहिं सयमेव पव्वावियं जाव धम्ममाइक्खियं तए णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालिं सयमेव पुप्फचूलाए अजाए सिस्सिणियताए दलयइ तए णं सा पुप्फचूला अजा कालिं कुमारि सयमेव पव्यावेइ जाव [धम्मपाइक्खइ तए णं सा काली पुष्फचूलाए अजा कालिं कुमारि सयमेव पच्चायेइ जाव धम्ममाइक्खाइ तए णं सा काली पुष्पचूलाए अजाए अंतिए इमं एपासवं धम्पियं उवएसं सम्पी उवसंपत्तिा णं विहरइ तएणं सा काली अजा जाया इरियासमिया जाव गुत्तवंभयारिणी तए णं सा काली अज्जा पुप्फचूलाए अजाए अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिजइ बहहिं चउत्थ- छिट्टमदसप-दुवालसेहिं मासद्धपासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणी} बिहाइ तए णं सा काली अजा अण्णया For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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