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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपानपो-१, अन्नपणं-११ एक्कारसमं अज्झयणं दावद्दवे (१४२) जइ णं भंते समजेणं भगवया महावीरेणं दसमम्स नायज्झयणस्स अयमद्वेपत्ते एककारसमस्स णं भते नायन्झयणस्स के अट्टे पन्नत्ते, एवं खलु जंवू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायागेहे नगरे गोयमो एवं वयासी-कहणं भंते जीवा आराहगा वा विराहगा वा भवंति गोयमा से जहानामाए एगंसि समुद्दलंसि दावहवा नाम मक्खा पत्रत्ता-किण्हा जाव निरंबभूया पत्तिया [पुफिया फलिया हरियग-रेरिजमाणा सिरीए अईव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा] चिर्दृति जयाणं दीविठगा ईसि पुरेचाया पच्छावाया मंदवाया महावाया वायंति तया णं बहवे दावद्दया रूस्खा पतिया (पुष्फिवा फलिया हारेयग-रेरिजमाणा सिरीए अईव उवसोभेमाणा-उपसोपेमाणा चिट्ठति अपोगइया दावदवा रूखा जुण्णा डोडा परिसडिय-पंडुपत्तं-फला सुककरुक्खाओ विव मिलायमाणा-निलावपामा चिति एवामेव सपणाउसो जो अहं निग्गंथो वा निगंथी वा [आयरिबउवझावाग अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं] पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं वहूणं समीणं वह सावयाणं वहूणं सावियाणं य सम्म सहइ खमइ तितिक्खइ] अहियासेइ वहूर्ण अण्णउत्थियाणं वहणं निहत्थाणं नो सर्म सहइ जाव नो अहियासेइ-एसणं मए पुरिसे देसविराहए पत्रते समणाउसो जया णं सामुद्दगा ईसि पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया पहावाया वायंति तया णं वहवे दाबहवा रुक्खा जुण्णा झोडा [परिसडिय-पंडुपत्त-पुष्फ-फला सुक्करुक्खओ विव मिलायमाणा-मिलायमाणा चिट्ठति अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा पत्तिया पुफिया फलिया हरिगयरेरिज्जापाणा सिरीए अईव) उवसोभेमाणा-उवरतोभेमाणा चिट्ठति एवामेव समणाउसो जो अम्हं निगंथो वा निग्गंधी वा [आयरियउवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं) पव्वइए समाणे बहूणं अण्णउस्थियाणं बहूणं गिहरयाणं सम्म सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ बहूणं समणाणं बहूणं समगीणं बहूणं साववाणं बहूणं सावियाण य नो सप्पं सहइजाय नो अहियासेइ-एस णं मए पुरिसे देसाराहए पनत्ते समणाउसो जया णं नो दीविच्चगा नो सामुद्दगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंशवाया महावाया वायति तया णं सधे दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा परिसडिय- पंडुपत्तपुष्फ-फला मुक्करुक्खाओ विव मिलायमाणा-पिलायपाणा चिट्ठति अप्पेगइया दावद्दया रुक्खा पतिया पुफिया फलिवा हरियग-रेरिजमाणा सिरीए अईव उवसोभे-माणा-उवसोभेमाणा चिट्ठति एवामेव समणाउसो जो अम्हं निग्गंथो वा निर्गधी वा आयरिय-उवज्झायाणं अंतिए मुंडे भविता अगाराओ अणगारियं पव्यइए समाणे बहूणं समणाणं यहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं साबियाणं बहूणं अपणउत्थियाणं यहूणं निहत्थाणं नो सम्मं सहइ जाव नो अहियासेइ-एस णं मए पुरिसे सव्वविराहए पत्रते समणाउसो जया णं दीविचगा वि सामुद्दगा वि ईसि पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति तया णं सब्वे दावद्दवा रुक्खा पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिज्जपाणा सिरीए अईव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा चिट्ठति एवामेव समणाउसो जो अम्हं निगंयो वा निगंथी या आयरिय-उवज्झायाणं अंतिए मुंडे भविता अगाराओ अणगारियं पब्बइए समाणे वहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूर्ण सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं अण्णउत्यियाणं बहूणं गिहत्थाणं सम्मंसहइखमइ तितिक्खइ अहियासेइ-एस णंमए पुरिसे सव्वआराहए पत्रते एवं खलु गोयमा जीवा आराहगा वा विराहगा वा भवंति एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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