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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७४ भगवई - ३०/-19/९९८ किरियावादी णं भंते जीवा किं नेरइयाउयं पकरेति तिरिक्खजोणियाउयं पकरेति मणुस्साउयं पकरेति देवाउयं पकरेति गोयमा नो नेरइयाउयं पकरेति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति मणुस्साउयं पिपकरेति देवाउयं पि पकरेति जइ देवाउयं पकरेति किं भवणवासिदेवाउयं पकरेति जाव चेमाणिय देवाउयं पकरेंति गोयमा नो भवणवासिदेवाउयं पकरेति नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति नो जोइसियदेवाउयं पकरेति वेमाणियदेवाउयं पकरेंति अकिरियावादी णं भंते जीवा किं नेरइयाउयं पकरेति तिरिस्खजोणियाउयं-पुच्छा गोयमा नेरइयाउयं पि पकति जाव देवाउयं पिपकरेंति एवं अण्णाणियवादी वि वेणइयवादी वि, सलेस्सा णं भंते जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयंपकरेंति-पुच्छा गोयमा नो नेरइयाउबं एवं जहेवजीवा तहेव सलेस्सा वि चउहि वि समोसरणेहिं माणियब्या, कण्हलेस्सा णं भंते जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पकाति-पुच्छा गोयमा नो नेरइयाउयं पकरेंति नो तिरक्खजोणियाउयं पकरेंति मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरेंति अकिरिचवादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चत्तारि वि आउयाइं पकरेंति एवं नीललेस्सा वि काउलेस्सा वि, तेउलेस्सा णं भेते जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेतिं-पुच्छा गोयमा नो नेरइयाउयं पकरेति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेति मणस्साउयं पिपकरेंति देवाउयं पि पकरेंति तहेव तेउलेस्सा णं भंते जीवा अकिरियावादी किं नेरइयाउयं-पुच्छा गोयमा नो नेरइवाउचं पकरेंति मणुस्साउयं पि पकरेति तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति देवाउयं पिपकरेंति एवं अण्णाणियवादी वि वेणइयवादी वि जहा तेउलेस्सा एवं पम्हलेस्सा विसुक्कलेस्सा विनायव्वा अलेस्सा ण भंते जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं-पुच्छा गोयमा नो नेरइयाउयं पकरेंति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकोंति नो मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरति, कण्हपक्खिवा णं पते जीवा अकिरियावादी किं नेरइयाउयं-पुच्छा गोयमा नेरइयाउयं पि पकराँत एवं चउविहं पि एवं अण्णाणियवादी वि वेणइयवादी वि सुक्कपक्खिया जहा संलेस्सा सम्मदिट्ठी णं भंते जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं-पुच्छा गोयमा नो नेरइयाउयं पकरेंति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेति मणुस्साउयं पि पकरेतिं देवाउयं पि पकरेति मिच्छादिट्टी जहा कण्हपक्खिया सम्मामिच्छादिट्ठीणं भंते जीवा अण्णाणिववादी किं नेइयाउयं जहा अलेस्सा एवं वेणइयवादी वि नाणी आभिणिबोहियनाणी य सुवनाणी य ओहिनाणी य जहा सम्मदिट्ठी मणपञ्जवनाणी णं भंतेपुच्छा गोयमा नो नेरइयाउवं पकरेति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति नो मणुस्साउयं पकरेति देवाउयं पकाति, जइ देवाउयं पकरति किं भवणवासी-पुच्छा गोयमा नो भवणवासिदेवाउयं पकति नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेति नो जोइसियदेवाउयं पकरेति वेमाणियदेवाउयं पकरेंति केवलनाणी जहा अलेस्सा अण्णाणी जीवा विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया सण्णासु चउसु वि जहा सलेस्सा नोसपणोवउत्ता जहा मणपज्जवनाणी सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा अवेदगा जहा अलेस्सा सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा अकसायी जहा अलेस्सा सजोगी जाव काय-जोगी जहा सलेस्सा अजोगी जहा अलेस्सा सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य जहा सलेस्सा १८२५१-824 (९९९) किरियावादी णं भंते नेरइया किं नेरइयाउयं-पुच्छा गोयमा नो नेरइयाउयं पकरेति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरेति अकिरियावादी णं भंते नेरइया-पुच्छा गोयमा नो नेरइयाउयं तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति मणुस्साउयं पि For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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