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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं - २५, उद्देसो-७ ૪૬૩ आय्ययेचणिज्ज-मोहणिज्जवज्जाओ पंच कम्मष्पगडीओ उदीरेइ अरुक्खायसंजए- पुच्छा गोयमा पंचविहउदीरए वा दुविहउदीरए वा अनुदीरए वा पंच उदीरेमाणे आउय- वेयणिज-मोहणिजबजाओ से जहा नियंठस्स ।७९५/-794 (९५०) सामाइयसंजए णं भंते सामाइयसंजयत्तं जहमाणे किं जहति किं उवसंपति गोयमा सामाइयसंजयत्तं जहति छेदोवट्ठावणियसंजयं वा सुहुमसंपरागसंजयं वा असंजम वा संजपासंजमं वा उवसंपजति छेओबड्डावणिए- पुच्छा गोयमा छेओवद्वावणियसंजयत्तं जहति सामाइयासंजयं वा परिहारविसुद्धियसंजयं वा सुहुमसंपरागसंजयं वा असंजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपजति परिहारविसुद्धिए- पुच्छा गोयमा परिहारविसुद्धियसंजयत्तं जहति छेदोवडावणियसंजयं वा असंजमं वा उवसंपजति सुहुपसंपराए- पुच्छा गोयमा सुहुमसंपरायसंजयत्तं जहति सामाइयसंजयं वा छेओवट्ठावणियसंजयं वा अहक्खायसंजयं वा असंजपं वा उवसंपजइ अहक्खायसंजए- पुच्छा गोयमा अहक्खायसंजयत्तं जहति सुहुमसंपरागसंजयं वा असंजम वा सिद्धिगति वा उवसंपजइ । ७९६/-795 ( १५१ ) सामाइयसंजए णं भंते किं सण्णोवउत्ते होजा नो सण्णोवउत्ते होजा गोयमा सण्णोवउत्ते जहा बउसो एवं जाव परिहारविशुद्धिए सुहुमपराए अहखाए य जहा पुलाए सामाइयसंजए णं भंते कि आहारए होज्जा अणाहारए होज्जा जहा पुलाए एवं जाव सुहुमसंपराए अहक्खायसंजए जहा सिणाए सामाइयसंजए णं भंते कति भवग्गहणाई होना गोयमा जहणेणं एक्कं उक्कोसेणं अट्ट एवं छेदोवडावणिए वि परिहारविसुद्धिए- पुच्छा गोवमा जहण्णेणं एक्कं उक्कोसेणं तिग्णि एवं जाव अहक्खाए । ७९७ -796 (९५२) सामाइयसंजयस्स गं भंते एगभव गहणिया केवतिया आगरिसा पत्रत्ता गोवमा जहोणं जहा बउसस्स छेदोयट्ठावणियस्स-पुच्छा गोयमा जहोणं एक्को उक्कोसेणं वीसपुहतं परिहारविसुद्धियस्स - पुच्छा गोयमा जहणणेणं एक्को उक्कोसेणं तिणि सुहुमसंपरायस्त्र- पुच्छा गोयमा जहणेणं एक्को उक्कोसेणं चत्तारि अहक्खायस्स - पुच्छा गोयमा जहणेणं एक्को उक्कोसेणं दोण्णि सामाइयसंजयस्स णं भंते नाणाभवग्गहणिया केवतिया आगरिसा पत्रत्ता गोयमा जहा बउसे छेदोवट्ठावणियस्स- पुच्छा गोवमा जहन्नेणं दोणि उक्कोसेणं उवरिं नवहं सयाणं अंतो सहस्सस्स परिहारविमुद्धियस्स जहण्णेणं दोणि उक्कोसेणं सत्त सुहुमसंपरागस्स जहणणेणं दोणि उकूकोसेणं नव अहक्खायस्स जहण्णेणं दोण्णि उक्को सेणं पंच ॥ ७९८1-797 (९५३) सामाइयसंजए णं भंते कालओ केवच्चिरं होइ गोयमा जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं देणएहिं नवहिं वासेहिं ऊणिया पुव्वकोडी एवं छेदोवडावणिए वि परिहारविसुद्धिए जहणणेणं एककं समयं उक्कोसेणं देसूणएहिं एकूणतीसाए वासेहिं ऊणिया पुव्यकोडी सुहुमसंपराए जहा नियंठे अहक्खाए जहा सामाइयसंजए, सामाइयसंजया णं भंते कालओ केवचिरं होति गोयमा सव्वद्धं छेदोवडावणियसंजया पुच्छा गोयमा जहणणेणं अड्ढाइज्जाई वाससयाई उक्कोसेणं पत्रासं सागरोवमकोडिसयसहस्साइं परिहारविसुद्धीयसंजया - पुच्छा गोयमा जहण्णेणं देसूणाई दो वाससयाई उक्कोसेणं देसूणाओ दो पुव्वकोडीओ सुहुमसंपरागसंजया-पुच्छा गोयमा जहणणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं अहक्खायसंजया जहा सामाइयसंजया णं भंते केवइयं कालं अंतरं होइ गीयमा जहण्णेणं जहा पुलागस्स एवं जाव अहक्खायसंजयस्स सामाइयसंजयाणं भंते For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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