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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३८८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मगदई - २०/-/५/७८७ मउए देखा गया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देतं निद्धे देसे लुक्खे एए वि सोलस भंगा वायव्वा देसे कक्खडे देले मए देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एते वि सोलस भंगा कायव्वा सव्वेवेते चउसट्ठि मंगा कक्खड - मउएहिं एगत्तएहिं ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं मउएणं पुहत्तएणं एते चउसट्ठि भंगा कायव्वा ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं मउएणं एतत्तएणं चउसट्टिं भंगा कायव्वा ताहे एतेहिं चैव दोहिं वि पुहत्तेहिं चउसट्ठि भंगा कायव्या जाद देसा कक्खडा देसा मया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा एसो अपच्छिमो भंगो सव्वे एते अट्ठफासे दो छप्पन्ना भंगसथा भवंति एवं एते बादरपरिगए अनंतपएसिए खंधे सव्वेषु संजोएसु बारस छन्नउया मंगलया भवंति । ६७०1-669 ( ७८८) कतिविहे णं भंते परमाणू पत्रत्ते गोयम चउव्विहे परमाणू पत्रत्ते तं जहादव्वपरमाणू खेत्तपरमाणू कालपरमाणू भावपरमाणू दव्वपरमाणू णं भंते कतिविहे पत्रत्ते गोयमा चउब्विहे पत्ते तं जहा - अच्छे अभेजे अइज्झे अगेझे खेत्तपरमाणू णं भंते कतिविहे पत्रत्ते गोयमा चउव्विहे पन्नत्ते तं जहा - अणद्धे अमज्झे अपदेसे अविभाइये कालरमाणू णं भंते कतिविहे पत्रत्ते गोयमा चउखि पत्रत्ते तं जहा अवण्णे अगंधे अरसे अफासे भावपरमाणू णं भंते कतिविहे पन्नत्ते गोयमा चउच्चिहे पन्नत्ते तं जहा वण्णमंते गंधमंते रसमंते फासमंते सेवं भंते सेवं भंते ति जाव विहरइ | ६७१/-670 बीसइमे सते पंचमो उद्देसो सपत्तो -: छ होउ द्दे सो : (७८९) पुढविक्काइए णं भंते इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहर समोहणित्ता जे पविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते किं पुव्वि उबवजित्ता पच्छा आहारेजा पुद्धिं आहारेता पच्छा उवबज्रेज्जा गोयमा पुवि वा उववजिता पच्छा आहारेज्जा एवं जहा सत्तरसमसए उड्डद्देसे जाव से तेणट्टेणं गोचमा एवं बुधइ- पुव्विं वा जाव उववज्जेज्जा नवरं तेहिं संपाउणणा इमेहिं आहारो भण्णति सेसं तं चैव पुढविक्काइए णं भंते इमसे रयणष्पभाए सकुकरप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्का इयत्ताए उववजित्तए एवं चैव एवं जाव ईसीपधाराए उववाएयव्वो पुढविक्काइए भंते सकुकरप्पभाए बालुयप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे जाव ईसीपटमाराए एवं एतेणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढबीए अंतरा समोहए माणे जे भविए सोहम्मे जाव ईसीपटमाराए उववाएयव्वो पुढविक्काइए णं भंते सोहम्मीसाणाणं सणकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववजित्तए से गं भंते किं पुव्वि उववजित्ता पच्छा आहारेजा सेसं तं चैव जाव द्वेणं जावनिक्खेवओ पुढविक्काइए णं भंते सोहम्मीसाणाणं सणकुमार- महिंदाण य कप्पार्ण अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइवत्ताए उववजित्तए एवं चैव एवं जाव असत्तमाए उबवाएयब्बो एवं सणकुमार- माहिंदाणं बंभलोगस्स व कप्पस्स अंतरा समोहए समोहणित्ता पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो एवं बंभलोगस्स संतगस्स च कप्पस अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए एवं लंतगस्स महासुक्करस कप्परस य अंतरा समोहए पुणरवि जाव असत्तमाए एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्परस अंतरा पुणरवि जाव For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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