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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३८२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मगवई - २० /-/ ३ / ७८४ परिणमइ गोयमा पंचवण्णं दुगंधं पंचरसं अट्ठफासं परिणामं परिणमइ कम्मओ णं मंते जीवे नो अकम्पओ विपत्तिमावं परिणमइ कम्मओ णं जए नो अकम्मओ विभत्तिभावं परिणम हंता गोचमा कम्मओ णं जीवे नो अकम्मो विभत्तिभाव परिणमइ कम्मओ णं जए नो अकम्मओ विभत्तिभाव परिणमइ सेवं भंते सेवं भंते त्ति जाव विहरइ । ६६७१-666 • वीसहमे सते तइओ उद्देसो सफ्तो -: च उ त्यो दे सो : (७८५) कतिविहे णं भंते इंदियोवचए पत्रत्ते गोयमा पंचविहे इंदियोवचए पत्रत्ते तं जहासोइंदियोवचए एवं बितिओ इंदियउद्देसओ निरवसेसो भाणियव्वो जहा पन्नवणाए सेवं भंते सेवं भंते ती भगवं गोयमे जाव विहरइ । ६६८1-687 • बीसइमे सते चउत्यो उहेसो समतो -: पंच मोउ द्दे सो : ( ७८६) परमामुपोग्गले णं भंते कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफाले पत्ते गोयमा गवणे गगंधे एगरसे दुफासे पन्नत्ते जइ एगवण्णे सिय कालए सिय नीलए सिय लोहियए सिय हालिए सिय सुक्किलए जइ एगगंधे सियटिभगंधे सिय दुभिगंधे जइ एगरसे सिय तित्ते सिय कडुए सिय कसाए सिय अंबिले सिय महुरे जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य सिय सिए य लुक्खे य सिय उसिणे य निद्धे य सिय उसिणे य लुक्खे य दुप्पएसिए णं भंते खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पत्रत्ते गोयमा सिय एगवण्णे सिय दुवण्णे सिय एगगंधे सिय दुगंधे सिय एगरसे सिय दुरसे सिव दुफासे सिय तिफासे सिय चउफासे पन्नत्ते जइ एगवण्णे सिय कालए जाव सिय सुक्किलए जइ दुव्वणे सिय कालए य नीलए य सिय कालए य लोहितए य सिय कालए य हालिद्दए य सिय कालए य सुक्किलए य सिय नीलए य लोहियए य सिय निलए हालिद्दए य सिय लोहियए य हालिद्दए य सिव लोहियए य सुक्किलए य सिय हालिए य सुक्किलए य एवं एए दुयासंजोगे दस भंगा जइ एगगंधे सिय सुमगधे सिय दुब्भिगंधे जइ दुगंधे सुब्मिगंधे य दुब्रिगंधे य रसेसु जहा वण्णेसु फासे सिय सीए य निद्धे य एवं जहेव परमाणुपोग्गले जइतिफासे सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुकखे सब्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुवखे सच्चे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे सव्वे लुक्खे देसे सीए देले उसि जइ चउफासे देसे सीए देसे उसिणे देते निद्धे देसे लुक्खे एए नव भंगा फासेसु तिपएसिए जं खंधे कतिवणे हा अट्ठारसमसए छट्टुद्देसे जाव चउफास पत्रत्ते जइ एगवणे सिय कालए जाव सुक्किलए जइ दुवण्णे सिय कालए य नीलए य सिय कालए य नीलगाय सिय कालगाय नीलए य सिय काल य लोहियए व सिय कालए य लोहियगा य सिय कालगा य लोहियए य एवं हालिएण वि समं एवं सुक्कििलेणं विसमं सिय नीलए य लोहियए य एत्थ विभंगा एवं हालिद्दएण वि समं भंगा एवं सुक्कलेणं वि समं भंगा सिय लोहियए य हालिद्दए य भंगा एवं सुक्किलेणं वि समं सिय हालिद्दे य सुक्किलए य भंगा एवं सव्वे ते दस दुयासंजोगा भंगा तीसं भवंति जइ विणे सिय कालए य नीलए व लोहियए य सिय कालए य नीलए य हालिए य सिय कालए य नीलए य सुक्लिएय सिय कालए य लोहियए य हालिद्दए य सिय कालए य लोहियए य सुक्किलए य सिय कालए य हालिए य सुक्किलए य सिय नीलए य लोहियए य हालिए य सिय नीलए य लोहियए य सुक्किलए सिय नीलए य हालिद्दए य सुक्किलए य सिय लोहियए स हालिद्दए य For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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