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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवई - १/-/६/७२ वेते सासया भाया अणाणुपुब्बी एसा रोहा एवं लोयंते य सत्तमे यु तणुवाए एवं धणवाए धणोदही सत्तमा पुढवी एवं लोयंते एक्केक्केणं संजोएतव्ये इमेर्हि ठाणेहुं तं जहा - 1५४-91-54-1 ओवास-वात- घणउदहि- पुढवि- दीवा य सागरा वासा नेरइयादि अस्थिय समया कम्माइ लेस्साओ (७३) (७४) दिट्ठी दंसण-नाणे सण्ण-सरीरा व जोगउवओगे दव्व-पएसा पजव अद्धा किं पुव्विं लोयंते 119211-18 (७५) [पुचि भंते लोयंते पच्छा अतीतद्धा पुव्वि अतीतद्धा पच्छा लोयंते रोहा लोयंते य अतीतद्धाय पुव्यिपेते पच्छा पैते-दो येते सासया भावा अणाणुपुव्वी एसा रोहा पुव्विं भंते लोयंते पच्छा अणागतद्धा पुव्विं अणागतद्धा पच्छा लोयंते रोहा लोयंते य अणागतद्धा य पुचि ते पच्छे पेते- दो देते सासया भावा अणाणुपुबी एसा रोहा | पुव्विं भंते लोयंते पच्छा सव्वद्धा [पुचि सव्वद्धा पच्छा लोयंते रोहा लोयंते य सव्वद्धा य पुच्चि पेते पच्छा-पेते-दो वेते सासया भावा अणाणुपुच्ची एसा रोहा ] जहा लोयंतेणं संजोइया सव्वे ठाणा एते एवं अलोयंतेणं वि संजोएतव्वा सव्वे पुवि भंते सत्तमे ओवासंतरे पच्छा सत्तमे तणुवाए [विं सत्तमे तणुवाए पच्छा सत्तमे ओवासंतरे रोहा सत्तमे ओवासंतरे व सत्तमे तणुवाए य पुवि पेते पच्छा पेते- दो वेते सासया भावा अणाणुपुची एसा रोहा ] एवं सत्तमं ओवासंतरं सव्वेहिं समं संजोएतब्वं जाव सव्वद्धाए पुव्विं भंते सत्तमे तणुवाए पच्छासत्तमे धणवाए [पुच्चि सत्तमे धणवाए पच्छा सत्तने तणुवाए रोहा सत्तमे तणुवाए य सत्तमे धणवाए य पुव्विं ते पच्छा पेतेदो वेते सासया भावा अणाणुपुच्ची एसा रोहा । एवं तहेव नेयव्वं जाब सब्बद्धा एवं उवरिल्लं एक्केक्कं संजोयंतेणं जो जो हिट्टिल्लो तं तं छतेणं नेयव्वं जाव अतीत- अणागतद्धा पच्छा सव्वद्धा जाव अणाणुपुब्वी एसा रोहा सेवं भंते सेवं भंते त्ति जाव विहरइ १५४1 - 54 (७६) भंतेति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं जाव एवं व्यासी- कतिविहा णं भंते लोयट्ठिती पन्नत्ता गोवमा अट्ठविहा लोयट्ठिति पत्रत्ता तं जहा आगासपइट्ठिए वाए वायपइट्ठिए उदही उदहिपट्टिया पुढवी पुढविपट्टिया तसथावरा पाणा अजीवा जीवपट्टिया जीवा कम्पपट्टिया अजीवा जीवसंगहिया जीवा कम्मसंगहिया से केणट्टेणं भंते एवं दुबई - अडविहा लोयट्ठिती जाव जीवा कम्मसंगहिया गोयमा से जहानामए केइ पुरिसे वत्थिमाड़ोवेइ वस्थिमाडोदेत्ता उप्पिं सितं बंधइ बंधिता मज्झे गंठिं बंधइ बंधित्ता उवरिल्लं गठिं मुयइ मुइता उवरिल्लं देतं वामेइ वामेत्ता उवरिल्लं देसं आउयायस्स पूरेइ पूरेता उप्पिं सितं बंधइ बंधित्ता झिल्लं गठि मुयइ से नूणं गोयमा से आउयाए तस्स वाउयायस्स उष्पि उवरिमतले चिट्ठइ हंता चिट्ठा से तेणट्टेणं गोयमा एवं बुवइ अडविहा लोयट्ठिती जाव जीवा कम्मसंगहिया से जहा वा केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ वत्धिमाडोवेत्ता कडीए बंधइ बंधिता अत्याहमतारमपोरुसियंसि उदगंसि ओगाहेज्जा से नृणं गोयमा से पुरिसे तस्स आउयायस्स ठिई जाव जीवा कम्मसंगहिया ।५५1-55 119011-17 (७७) अत्थि णं भंते जीवा य पोग्गला य अण्णमण्णबद्धा अण्णमण्णपुट्ठा अण्णमण्णमोगाढा अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धा अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति हंता अस्थि से केणट्टेणं अंते [ एवं बुबइ अस्थि णं जीवा य पोग्गला य अण्णमण्णबद्धा अण्णमण्णपुट्टा अण्णम ममोगाढा For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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