SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पटमं सतं - उद्देसो.६ फुसइ जाव नियमा] छद्दिसिं फुसइ ।५२६-52 (७१) अस्थि णं भंते जीवाणं पाणाइवाए णं किरिया कज्जइ हंता अस्थि सा भंते किं पुट्ठा कन्झइ अपुट्ठा कञ्झइ गोयमा पुट्ठा कज्जइ नो अपुष्टा कन्झइ जाब निव्दाधएक छद्दिसिं वाघायं पच्च सिया तिदिसि सिया चउदिसिं सिया पंचदिसिं सा भंते किं कडा कज्झइ अकडा काइ गोयमा कडा कन्झइ नो अकडा कजइ सा भंते किं अत्तकडा कजइ परकडा कज्झइ तदुभयकडा कन्झइ गोयमा अत्तकडा कज्जइ नो परकड़ा कन्नइ नो तदुभयकडा कझइ सा भंते किं आणुपुद्धि कडा कञ्झइ अणाणुपुब्धि कडा कज्जइ गोयमा आणुपुर्लि कडा कज्जइ नो अणाणुपुलिंब कडा कजइ जा य कडा काइ जा य कजिस्सइ सव्वा सा आणुपुवि कडा नो अणाणपव्यि कडा ति वत्तव्वं सिया अस्थिणं भंते नेरइयाणं पाणाइवायकिरिया कजइ हंता अस्थि सा भंते किं पुट्ठा काइ अपुट्ठा कजइ गोयमा पुट्ठा कञ्जई नो अपुट्ठा कजइ जाव नियमा छद्दिसिं कन्नइ सा भंते किं कडा कन्झइ अकडा कज्झइ गोयमा कडा कज्जइ नो अकडा कञ्जइ तं चेव जाव नो अणाणुपुब्बि कडा ति वत्तव्यं सिया जहा नेरइया तहा एगिदियवज्जा भाणियव्वा जाब वेमाणिया एगिदिया जहा जीवा तहा भाणियच्चा जहा पाणाइवाए तहा मुसायाए तहा अदिनादाणे मेहुणे परिगहे कोहे (माने माया लोभे पेज्जे दोसे कलहे अब्मखाणे पेसुने परपरिवाए अरतिरती मायामोसे] मिच्छादंसणसल्ले-एवं एए अट्ठारस चउवीसं दंडगा भाणियव्वा सेवं भंते सेवं भंते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महाबीरं बंदति जाव विहरति १५३1-53 (७२) तेणं कालेणं तेमं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी रोहे नामं अणगारे पगइभद्दए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे विणीए सपणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उहुंजाणं अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ ततेणं से रोहे अणगारे जायसढे जाव पञ्जवासमाणे एवं वदासी पुचि भंते लोए पच्छा अलोए पुचि अलोए पच्छा लोए रोहा लोए य अलोए य पुटियं पेते पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा अणाणुपुव्वी एसा रोहा पुचि भंते जीवा पच्छा अजीवा पुब्बि अजीवा पच्छा जीवा [रोहा जीवा य अजीवा य पुब्धि पेते अच्छा पेते-दो वेते सासया भावा अणाणुपुव्यी एसा रोहा पुचि भंते भवसिद्धिया पच्छा अभवसिद्धिया पब्दि अभव- सिद्धिया पच्छा भवसिद्धिया रोहा भवसिद्धिया य अभवसिद्धिया य पुचि पेते पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा अणापुब्बी एसा रोहा पुचि भंते सिद्धि पच्छा असिद्धि पुचि असिद्धी पच्छा सिद्धी रोहा सिद्धी य असिद्धी य पुट्विं पेते पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा अणाणुपुब्बी एसा रोहा पुचि भंते सिद्धा पच्छा असिद्ध पुट्विं असिद्धा पच्छा सिद्धा रोहा सिद्धा य असिद्धाय पुब्बि पेते पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा अणाणुपुब्धी एसा रोहा] पुर्दिय मंते अंडए पच्छा कुक्कुडी पुयि कुक्कुडी पच्छा अंडए रोहा से णं अंडए कओ भयवं कुक्कुडीओ सा णं कुक्कुडी कओ मंते अंडयाओ एवामेव रोहा से य अंडए सा य कुक्कुडी पुब्बि पेते पच्छ-पेते-दो देते सासया भावा अणाणुएन्वी एसा रोहा पुचि भंते लोयंते पच्छा अलोयंते पुब्बि अलोयंते पच्छा लोयंते रोहा लोयंते य अलोयंते य [पच्चि पेते पछा पेते-दो देते सासगा भावा] अणाणुपुवी एसा रोहा, पुद्यि भंते लोयंते पछा सत्तमे ओवासंतरे [पुब्धि सत्तपे ओवासंतरे पच्छा लोयंते| रोहा लोयंते य सतमे ओयासंतरे य पुब्धि पेते पच्छा-पेते-दो For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy