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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०७ उवागछित्ता समण भगवं महावीरं बंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं क्यासी-इच्छामिण भंते तुब्मेहिं अव्मणुण्णाए समाणे छट्ठक्खमणपारणगंसि सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मझिमाई कुलाइंघरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंधं तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्मणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ कोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ पडिनिस्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरओ रियं सोहेमाणेसोहेमाणे जेणेव सावत्थी नगरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता सावत्थीए नगरीए उच्चनीय. मज्झिमाई कुलाई धरसमुदाण्स भिक्खायरियं अडइ तए णं भगवं गोयमे भिक्खायरियाए] अडमाणे बहुजणसई निसामेइ बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइएवं पण्णवेइ एवं परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसई पगासेमाणे विहरइ से कहमेयं मने एवं तएणं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एवमट्ठसोच्चा निसम्म जायसड्ढे [जाव समुप्पत्रकोउहल्ले अहापजत्तं समुदाणं गेण्हइ गेण्हित्ता सावत्थीओ नगरीओ पडिनिस्खमइ अतुरियमचवलमसंमंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरओ रियं सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव कोट्ठए चेइए जेणेव सपणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स, अदूरसामंते गमणागमणाए पडिक्कमइ पडिक्कमिता एसणमणेसणं आलोएइ आलोएत्ता भत्तपाणं पडिदंसेइ पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता नघासने नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे) पञ्जुवासमाणे एवं वयासीएवं खलु अहं मंते छिट्ठक्खमणपारणगंसि तुटमेहिं अव्मणुण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्चनीय--मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खयरियाए अडमाणे बहुजणसई निसामेमि बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परुवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसदं पगासेमाणे विहरइ से कहमेयं भंते एवं तंइच्छामिणं मंते गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स उट्ठाणपारियाणियं परिकहियं । गोयमादी समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-जण्णं गोयमा से बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं पसवेइ-एवं खलु गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसदं पगासेमाणे विहाइ तण्णं मिच्छा अहं पुण गोयमा एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु एयस्स गोसालस्स पंखलीपुत्तस्स मंखली नामं मंखे पिता होत्या तस्स णं मंखलिस्स मंखस्स भद्दा नाम भारिया होत्था-सुकुमालपाणिपाया जाव पडिरूवा तए णं सा भद्दा मारिया अण्णद्दा कदायि गुम्विणी याचि होत्था तेणं कालेणं तेणं सपएणं सरवणे नामं सण्णिवेसे होत्या रिद्धस्थिभियसमिद्धे जाव नंदणवण-सन्निभप्पगासे पासादीए दरिसणिज्जे अभिलवे पडिलवे तत्य णं सरवणे सण्णिसे गोबहुलेनाम माहणे परिवसइ-अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभए रिउब्वेद जाव बंभण्णएस परिव्वायएसय नयेस सुपरिनिहिए यावि होत्या तस्स पं गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला यावि होत्या तए णं से मंखली मंखे अण्णया कदायि भद्दाए भारियाए गविणीए सद्धिं चितफलगहत्थगए मंखतणेणं अप्पाणं भावमाणे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव सरवणे सण्णिवेसे जेणेव गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला तेणेवउ वागच्छइ उवागच्छित्ता गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि मंडनिक्खवं करेइ करेत्ता For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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