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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं-१४, उद्देशो अंतरे पनत्ते गोयमा असंखेजाई जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पनत्ते सक्करप्पभाए णं भंते पढवीए वालयप्पभाए य पुढवीए केवतिए अबाहाए अंतरे पत्रत्ते एवं चेव एवं जाव तमाए अहेसत्तमाए य, अहेसत्तमाए णं भंते पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अबाहाए अंतरे पत्रत्ते गोयमा असंखेजाइंजोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पन्नत्ते इमासेणं मंते रयणप्पमाए पुढवीए जोतिसस्स य केवतिए अबाहाए अंतरे पत्रत्ते गोयमा सत्तनउ एजोवणसए अबाहाए अंतरे पत्रत्ते जोतिसस्स ण भंते सोहम्मीसाणाण य कपाणं केवतिए अबाहाए अंतरे पत्रत्ते) गोयमा असंखेजाई जोयण सहस्साइं अबाहाए अंतरे परते सोहम्मीसाणाणं घेते सणंकुमार माहिंदाणं य केवतिए अबाहाए अंतरे पन्नत्ते एवं धैव, सणकुमारा-माहिदाण भंते बंभलोगस्स कप्पस्स य केवतिए अबाहाए अंतरे पन्नत्ते वेयं एव वंभलोगस्स णं भंते लंतगस्स य कप्पस्स केवतिए अबाहाए अंतरे पत्रत्ते एवं चेव लंतपस्स णं भंते महासुककस्स य कप्पस्स केवतिए अबाहाए अंतरे पन्नते एवं चेय एवं महासुक्कस्प कप्पस्स सहस्सारस्स य एवं सहस्सारस्स आणयपाणयाण य कप्पाणं एवं आणायपाणवाणं आरणचुयाण य कप्पाणं एवं आरचुयाणं गेवेचविमाणाण य एवं गेवेनविमाणाणं अन्तरविमाणाण य अनुत्तरविमाणाणं भंते ईसिंपदभाराए य पुरवीए केवतिए अबाहाए अंतरे पन्नते गोयमा दुवालस जोयणे अवाहाए अंतरे पन्नत्ते ईसिंपदमाराए णं भंते पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अवाहाए अंतरे पत्ते गोयमा देसूणं जोवणं अवाहाए अंतरे पत्रत्ते।५२६।-527 (६२५) एसणं भंते सालरुक्खे उण्हभिहए तण्हाभिहए दवग्गिजालाभिहए कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिति कहिं उववञ्जिहिति गोयमा इहेव रायगिहे नगरे सालरुक्खताए पच्छायाहिती से णं तत्य अनिय-वंदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिब्बे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए पावि भविस्सइ से णं भंते तओहिंतो अनंतरं उबट्टित्ता कहिं गमिहिति कहिं उववजिहिति गोयमा महाविदेहे वासे सिन्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति एस णं भंते साललट्ठिया उपहाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिया कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिति कहिं उववजिहिति गोयमा इहेव जंबुद्दीवे दीवे मारहे वासे विझगिरिपायमूले महेसरिए नगरीए सामलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति से णं तत्य अच्चिय-वंदिय-[पूइय-सकारिय-सम्माणिए दिब्वे सच्चे सच्चोबाए सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ से णं मंते तओहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता [कहिं गमिहिति कहिं उववजिहिति गोयमा महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ।५२७:528 (६२६)एस णं भंते उंवरलट्ठिया उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालपासे कालं किया जाव कहिं उववञ्जिहिति गोयमा इहेब जंबुद्दीव दीवे भारहे वासे पाइलिपुत्ते नगरे पाडलिरुक्खत्ताए पञ्चायाहिति से णं तत्थ अचिय-वंदिय-[पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सत्रिहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि] भविस्सइ से णं भंते तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गमिहिति कहिं उवजिहिति गोयमा महाविदेहे वासे सिज्झिाहिति जाव सव्वदुक्खाणं] अंतं काहिति तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मइरस परिव्वायगस्स सत्त अंतेवासिसया गिम्हकालसमयंसि [जेट्ठामूलमासंमि गंगाए महानदीए उमओकूलेणं कंपिल्लपुराओ नगराओ पुरिमतालं नयरं संपष्टिया विहाराए तए णं तेसिं परिव्वायगाणं तीसे अगासियाए छिण्णावायाए दीसमद्धाए अड़बीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से पुबग्गाहिए उदए अणुपुबेणं परिपुंजमाणे झोणे For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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