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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं-१४, उदेसो-६ भंतेत्ति ।५१९।-520 • चोदसमे सते छट्टो उद्देसो सफ्तो. -: सत्त मो-उद्दे सो :(६१८) रायगिहे जाव परिसा पडिगया गोयमादी समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं आमंतेत्ता एवं वयासी चिर संसिटोसि मे गोयमा चिरसंथुओसि मे गोयमा चिरपरिचिओसि में गोयमा चिरजुसिओसि मे गोयमा चिराणुगओसि मे गोयमा चिराणुपवत्तीसि मे गोयमा अनंतां देवलोए अनंतरं माणुस्सए भवे किं परं परणा कायस्स भेदा इओ चुता दो वि तुल्ला एगट्ठा अविसेसमणाणत्ता भविसासमो।५२०/-521 (६१९) जहा णं भंते वयं एयपटुं जाणामो-पासामो तहा णं अनुत्तरोववाइया वि देवा एयमद्वं जाणंति-पासंति हंता गोयमा जहा णं वयं एयमढे जाणामो-पासामो तहा णं अणुतरोववाइया वि देवा एयम? जाणति-पासंति से केणष्टेणं [भंते एवं बुच्चइ-वयं एयमट्ठ जाणामो-पासामो तहा णं अनुत्तरोवयाइया वि देवा एयमढे जाणंति]-पासंति गोयमा अनुत्तरोववाइयाण-अनंताओ मणोदव्यवग्गणाओ लद्धाओ पत्ताओ अभिप्समण्णागयाओ भवंति से तेणडेणं गोयमा एवं बुच्चइवयं एयमाटुंजाणामो-जाव-पासंति ५२११-522 (६२०) कतिविहे गं भंते तुलए पन्नत्ते गोयमा छविहे तुलए पन्नत्ते तं जहा-दव्यतुल्लए खेत्ततुल्लए कालतुल्लए भवतुल्लए भावतुल्लए संठाणतुल्लए से केणद्वेणं भंते एवं बुच्चइ-दव्बतुल्लएदब्बतुल्लए गोयमा परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वओ तुल्ले परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलवइरित्तस्स दब्बओ नो तुल्ले दुपएसिए खंधे दुपएसियस्स खंधस्स दब्बओ तुल्ले दुपएसिए खंधे दुपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वओ नो तुल्ले एवं जाव दसपएसिए तुलसंखेजपएसिए खंधे तुलसंखेनपएसिवस्स खंधस्स दब्बओ तुल्ले तुल्लसंखेजपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसिय वइरित्तस्स खंधस्स दव्यओ नो तुल्ले एवं तुल्लअसंखेजपएसिए वि एवं तुल्लअनंतपएसिए वि से तेणटेणं गोयमा एवं वुच्चइ-दव्वतुल्लए-दव्वतुल्लए से केणद्वेणं भंते एवं बुच्चइ-खेततुल्लए-खेत्ततुल्लए गोयमा एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तओ तुल्ले एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवइरितस्स पोग्गलस्स खेतओ नो तुल्ले एवं जाव दसपएसोगाढे तुल्लसंखेञ्जपएसोगाढे [पोग्गले तुलसंखेजपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तओ तुले तुल्लसंखेजपएसोगाढे पोग्गले तुल्लसंखेजपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तओ नो तुल्ले एवं तुल्लअसंखेजपएसोगाढे वि से तेणटेणं गोयमा एवं बुच्चइ-खेततुलएखेत्ततुल्लए, से केणद्वेणं भंते एवं बुच्चइकालतुल्लए-कालतल्लए गोयमा एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयटितीयस्स पोग्गलस्स कालओ तुल्ले एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ नो तुले एवं जाव दससमवद्वितीए तुल्लसंखेनसमयहितीए एवं चेव एवं तुल्लअसंखेज्जसमयट्टितीए वि से तेणद्वेणं गोयमा एवं वुच्चइ-कालतुल्लए-कालतुल्लए से केणद्वेणं भंते एवं बुच्चइ-भवतुलए-भवतुल्लए गोयमा नेरइए नेरइयस्स पवट्ठयाए तुल्ले नेरइयवइरित्तस्स भवट्ठयाए नो तुल्ले तिरिक्खजोणिए एवं चेव एवं मणुस्से एवं देवे वि से तेणटेणं गोयमा एवं वुच्चइ-भवतुल्लए-भवतुल्लए गोयमा एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगस्स पोग्गलस्स भावओ तुल्ले एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालवइरित्तस्स पोग्गलस्स भावओ नो तुल्ले एवं जाव For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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