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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८४ भगवई - १३/-1४/५८० पोग्गलत्थिकायपदेसा ओगाढा तत्य केवतिया धम्मस्थिकायपदेसा ओगाढा सिय एक्को सिय दोण्णि एवं अधम्मत्थिकायस्स वि एवं आगासत्थिकायस्स वि सेसं जहा धम्मत्यिकायस्स जत्य णं भंते तिणि पोग्गलस्थिकायपदेसा ओगाढा तत्य केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा ओगाढा सिय एकको सिय दोणि सिय तिण्णि एवं अधम्मस्थिकायस्स वि एवं आगासत्यिकायस्स वि सेसं जहेद दोण्हं एवं एककेको वढियब्बो पदेसो आइल्लएहिं तिहिं अस्थिकाएहिं सेसेहिं जहेव दोण्हं जाव दसण्हं सिय एक्को सिय दोण्णि सिय तिणि जाय सिय दस संखेजाणं सिय एक्को सिय दोण्णि जाव सिय दस सिय संखेना असंखेज्ञाणं सिव एकको जाव सिय संखेज्जा सिय असंखेजा जहा असंखेशा एवं अनंता वि जत्थ णं भंते एगे अद्धासमए ओगाढे तत्य केवतिया धम्मस्थिकायपदेसा ओगाढा एकको केवतिया अधम्मस्थिकायपदेसा एक्को केवतिया आगासस्थिकायपदेसा एक्को केवतिया जीवस्थिकायपदेसा अनंता एवं जाव अद्धासमया जत्य णं मंते धम्मत्यिकाए ओगाढे तत्य केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा ओगाढा नस्थि एकको वि केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा असंखेजा केवतिया आगासत्थिकायपदेसा असंखेना केवतिया जीवात्थिकायपदेसा अनंता एवं जाव अद्धासमया जत्थ णं भंते अधम्मस्थिकाए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थिकायपदेसा ओगाढा असंखेज्जा केवतिया अधम्मस्थिकायपदेसा नत्थि एक्को वि सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स एवं सब्वेसट्टाणे नस्थि एकको वि भाणियब्यो परट्टणे आदिल्लगा तिणि असंखेना माणियव्या पच्छिल्लगा तिणि अनंता भाणियव्वा जाव अद्धासमयो ति जाय केवतिया अद्धासमया ओगाढा नस्थि एक्को वि, जत्थ णं भंते एगे पुढविक्काइए ओगाढे तत्य णं केवतिया पुढविक्काइया ओगाढा असंखेज्जा केवतिया आउक्काइया ओगाढा असंखेशा केवतिया तेउकाइया ओगाढा असंखेज्ञा केवतिया वाउकाइया ओगाढा असंखेज्जा केवतिया वणस्सइकाइया ओगाढा अनंता, जत्य णं भंते आउक्काइए ओगाढे तत्य णं केवतिया पुढविक्काइया ओगाढा असंखेज्जा केवतिया आउक्काइया ओगाढा असंखेजा एवं जहेव पुढविक्काइयाणं वत्तव्वया तहेव सव्येसि निरवसेसं भाणियव्बंजाव वणस्सइकाइयाणंजाय केवतिया वणस्सइकाइया ओगाढा अनंता ।४८३1-484 (५८१) एयंसि णं भंते धम्मस्थिकाय-अधम्मत्यिकाय-आगासत्यिकार्यसि चक्किया केई आसइत्तए वा सइत्तए वा चिट्टित्तए वा निसीयत्तए वा तुयट्टित्तए वा नो इणद्वे समढे अनंता पुणत्य जीवा ओगाढा से केणटेणं भंते एवं कुच्चइ-एयंसि णं धम्मत्थि काय-अधम्मस्थिकाय-आगासस्थिकायंसि नो चक्किया केई आसइत्तए वा सइत्तए वा चिठ्ठित्तए वा निसीयत्तए वा तुयट्टित्तए वा अनंता पुणत्य जीवा ओगाढा गोयमा से जहानामए कूडागारसाला सिया-दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा निवाया निवायगंभीरा अह णं केई पुरिसे पदीवसहस्सं गहाय कडागारसालाए अंतोअंतो अनुप्पविसइ अनुप्पविसित्ता तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता धण-निचिय-निरंतरनिच्छिड्डाई दुवारयवयणाई पिहेइ पिहेत्ता तीसे कडागारसालाए बहमज्झेसभाए जहाणेणं एकको या दो वा तिष्णि वा उक्कोसेणं पदीवसहस्स पलीवेजा से नूणं गोयमा ताओ पदीवलेस्साओ अण्णमण्णसंबद्धाओ अण्णमण्णपुट्ठाओ अण्णमण्णसंबद्धपुट्ठाओ अण्णमण्णघड- त्तए चिट्ठति हंता चिटुंति, चक्किया णं गोयमा केई तासु पदीवलेस्सासु आसइत्तए या जाव तुयट्टित्तए वा भगवं नो इणटे समटे अनंता पुणत्य जीवा ओगाढा से तेणटेणं गोयमा एवं वुछइ जाव अनंता पुणत्य For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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