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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पढमं सतं उद्देसी ४ - www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिनिव्वायंति सव्वदुक्खाणं अंतं करें या करेंति या करिस्संति वा से नूणं भंते उप्पन्ननाणंदंसणधरे अरहा जिणे केवली अलपत्थु त्ति वत्तव्वं सिया हंता गोयमा उप्पन्ननाणं-दंसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्यु ति वत्तव्वं सिया सेवं भंते सेवं भंते |४३|-43 पढमे सते चउत्थो उहेसो सम्तो ● - -: पंच मो उसो : (५२) कति णं भंते पुढवीओ पन्नत्ताओ गोयमा सत्त पुढवीओ प. रयणप्पभा [सक्करम्भा बालुयष्यमा पंकप्पभा धूमप्पभा तमप्यभा] तमतमा इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए कति निरयावासस्यसहस्सा पत्रत्ता गोयमा तीसं निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता । ४४-91-44-1 तीसा य पत्रवीसा पत्ररस दसेव या सयसहस्सा तित्रेगं पंचूणं पंचेव अनुत्तरा निरया (५३) 1811-9 (५४) केवइया णं भंते असुरकुमारावासस्यसहस्सा पत्रता गोयमा चोयडी असुरकु मारावाससयसहस्सा पत्रता १४४-२/- 44-2 (५६) #1991-11 (५५) चोयट्ठी असुराणं चउरासीई य होइ नागाणं बावत्तरिं सुवण्णाणं वाउकुमाराण छन्नउई दीव - दिसा - उदहीणं-विज़ुकुमारिंद-पणियामागीणं छहं पिजुयलयाणं छावत्तरिमो सयसहस्सा (५७) केवइया णं भंते पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पत्रता गोयमा असंखेज्जा पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पत्रत्ता जाव असंखिज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पत्ता सोहम्मे णं भंते कप्पे कति विमाणावासससहस्सा पन्नत्ता गोयमा बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पन्नत्ता ।४४-३। - ४४।-44-3-44 119011-10 For Private And Personal Use Only (५८) बत्तीसट्ठावीसा बारस- अट्ठ- चउरो सयसहस्सा पत्रा - चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे (५९) आणय-पाणयकप्पे चत्तारि सयारणच्चए तिष्णि सत्त विषाणसयाई चउसु वि एएसु कप्पेसु (६०) एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमए सतुतरं सयं च मज्झमए सयमेगं उबरिमए पंचेय अनुत्तरविमाणा (६१) पुढवी द्विति-ओगाहण सरीर संघयणमेव संठाणे लेस्सा दिट्ठी नाणे जोगुवओगे य दस ठाणा (६२) इभीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसुं एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ठितिट्टाणा पत्रत्ता गोयमा असंखेज्जा ठितिट्टाणा पन्नता तं जहा जहणिया ठिती समयाहिया जहण्णिया ठिती दुसमयाहिया जहण्णिया ठिती जाव असंखेज्जा समयाहिया जहण्णिया ठिती तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिती इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावससयसहस्त्रेसु एगमेगंसि निरयावासंसि जहण्णियाए ठितीए वट्टमाणा नेरइया किं-कोहोवउत्ता मानोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता गोयपा सव्वे वि ताव होला कोहोवउत्ता अहवा कोहीवउत्ता व मानोवउत्ते व अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ते य अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ता य अहवा १९ ||१२||-12 ॥१३॥-13 ।।१४।।-14 ॥१५॥1-15
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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