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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं-१२, उद्देसो-४ २५७ -: च उ त्यो-उ सो:(५३८) रायगिहे जाव एवं वयासी-दो भंते परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति साहण्णित्ता किं भवइ गोयमा टुप्पएसिए खंधे मासे मिजमाणे दुहा कजइ-एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ परमाणुपोग्गले भवइ तिणि भंते परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति साहणित्ता किं भवइ गोयमा तिपएसिए खंधे भवइ से भिजमाणे दुहा वि तिहा वि कजइ दुहा कत्रमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ तिहा कञ्जमाणे तिण्णि परमाणुपोग्गला भवंति चत्तारि भंते परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति साहणित्ता किं भवई] गोयमा चउपएसिए खंधे भवइ से भिन्जमाणे दुहा वि तिहा वि चउहा वि काइ-दुहा कञ्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा दो दुपएसिया खंधा भवंति तिहा कञ्जमागे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ चउहा कज्जमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति पंच भंते परमाणुपोग्गला [एगयओ साहणंति साहणित्ता किं भवई गोयमा पंचपएसिए खंधे मवइ से भिजमाणे दुहा वि तिहा वि चउहा वि पंचहा वि कज्जइ दुहा कञ्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ चउपए सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ तिहा कन्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति चउहा कजमाणे एगयओ तिणि परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ पंचहा कज्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति छदमंते परमाणुपोग्गला [एगयओ साहण्णंति साहणित्ता किं भवई गोयमा छप्पएसिए खं भवद से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव छविहा वि काइ-दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ चउपएसिए खंधे भवद अहवा दो तिपएसिया खंधा भवंति तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा तिणि दुपएसिया खंधा भवति चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ तिपएसिए खंधे मवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंतिपंचहा कनपाणे एगयओचत्तारि परमाणुपोग्गलाएगयओ दुपएसिएखंधे भवद् छहा कज्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति, सत्त मंते परमाणुपोग्गला [एगयओ साहण्णंति साहणिता किं मवई] गोयमा सत्तपएसिए खंधे भवइ से भिजमाणे दुहा वि जाव सत्तहा वि कजइदुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुमोगले एगयओ छप्पसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिपएसिए खंधे एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ तिहा कञ्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एण्यओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो तिपएसिया खंदा भवंति अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ चउहा कजमाणे एगयओ तिणि परमाणुपोग्गला एगवओ चउपसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे भवई अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिणि दुपएसिया खंधा भति पंचहा कञमाणे [17 For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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