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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - पग - ११/-199/५२२ नाडगप्पयराइंबत्तीसइबद्धेणं नाइएणं अहआसे आसप्पवरे सव्वरयणामए सिरिधरपडिरूवए अट्ठ हत्यी हत्यिप्पवरे सव्वरयणामए सिरिधरपधडिरूवए अट्ठ जाणाई जाणप्पवराई अ8 जुगाई जुगप्पवराई एवं सिबियाओ एवं संदमाणीओ एवं गिल्लीओ यिल्लीओ अg वियडजाणाई वियडजाणप्पवराई अट्ठ रहे पारिजाणिए अड़े रहेसंगामिए अट्ठ आसे आसप्पवरे अट्ट हत्थी हत्यिप्पदरे अटु गामे गामपवरे दसकलसाहस्सिएणं गामेणं अट्ट दासे दासप्पवरे एवं दासीओ एवं किंकरे एवं कंचुइले एवं वरिसधो एवं महत्तरए अट्ट सोवण्णिए ओलंबणदीवे अट्ट रूप्पामए ओलंबणदीवे अट्ट सुवण्णरुप्पामए ओलंबणदीवे अट्ठ सोवण्णिए उककंबणदीवे एवं चेव तिष्णि वि अट्ट सोवण्णिए पंजरदीवे एवं चेव तिण्णि विअट्ट सोवण्णिओ पत्तीओ अट्ट सोवणियाईयासगाइं अह सोवणियाइंभल्लगाईअट्ठसोवणियाओतलियाओ अट्ठसोवणियाओ कविचियाओ अट्ठ सोयण्णिए अवएडए अट्ट सोवणियाओ अवयको असोवण्णिए पायपीढए अट्ट सोवणियाओ भिसियाओ अट्ठ सोयण्णियाओ करोडियाओ अट्ट सोवण्णिए पलंके अट्ट सोवणियाओ पडिसेजाओ अट्ट हंसासणाइं अट्ठ कोंचासणाई एवं गरुलासणाई उन्नयासणाई पणयासणाई दीहासणाई भद्दासणाई पक्खासणाई भगरासणाई अट्ठ पउमासणाई अट्ट दिसासोवत्थियासणाई अडु तेल ससुग्गे अट्ठ कोट्टसमुग्गे एवं पत्त-चोयग-तगर-एल-हरियाल-हिंगुलय-पणोसिल-अंजणसमुग्गे अट्ट सरिसव-समुग्गे अह खुनाओ जहा ओववाइए जाव अट्ठ पारिसीओ अट्ठ छत्ते अट्ठ छतधारीओ वेडीओ अट्ठ चामराओ अट्ट चामरधारीओ चेडीओ अट्ट तालियंटे अट्ठ तालयंटधारीओ चेडीओ अg करोडियाओ अट्ठ करोडियाधारीओ चेडीओ अट्ठ खीरधाईओ अट्ठ मजणधाईओ अट्ठ मंडणधाईओ अट्ठ खेल्ला वणधाईओ अ अंकधाईओ अट्ठ अंगमहियाओ अट्ट उम्माहियाओ अट्ठ पहावियाओ अट्ठ पसाहियाओ अट्ट यण्णगपेसीओ अट्ठ चुण्णगपेसीओ अटु कीडागारीओ अट्ठ दवकारीओ अट्ठ उवत्याणियाओ अट्ट नाडइजाओ अट्ठ कोडुबिणीओ अट्ठ महाणसिणीओ अह मंडागारिणीओ अट्ट अब्भाधारिणीओ अट्ठ पुष्फधरणीओ अट्ट पाणिधरणीओ अट्ठ बाहिरियाओ अट्ठ सेज्जाकारीओ अट्ठ अमितरियाओ पडिहारीओ अट्ठ बाहिरियाओ पडिहारीओ अg मालाकारीओ अट्ठ पेसणकारीओ अण्णं वा सुबहुं हिरणं या सुवण्णं वा कंसं वा दूसं वा विउलधण-कणग-रियण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-प्पबाल-रत्तरयण ] संतसारसावएवं अलाहि जाव आसतामाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकामं मोत्तुं पकामं परिभाएउं तए णं से महबले कुमारे एगमेगाए भजाए एगमेगं हिरण्णकोडिं दलयइ एगमेगं सुवण्णकोडिं दलयइ एगमेगं मउडं मउडप्पवरं दलयइ एवं तं वेद सव्वंजाव एगमेगं पेसणकारिंदलयइ अण्णं या सुबहुं हिरणं या जाव परिमाएउं तए णं से महबले कुमारे उपिं पासायवरगए जहा जमाली जाव पंचविहं माणुस्सए काममोगे पचणुभवमाणे विहरइ ।।२९।-430 (५२३) तेणं कालेणं तेणं समएणं विमलस्स अरहओ पओप्पए थम्मघोसे नामं अणगारे जाइसंपन्ने वण्मओ जहा केसिसापिस्स जाव पंचहि अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुट्विं चरमामे गामाणुगाम दूइजमाणे जेणेव हत्यिणापुरे नगरे जेणेव सहसंबवणे उल्नाणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हइ ओगिणिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ तए णं हत्यिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चुप्मुह-महापह-पहेसु महया जणसद्दे इ वा जाव परिसा पदासइ तएणं तस्स महबलस्स कुमारस्सतं पहयाजणसई वा For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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