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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दसमं सतं सो- 9 - www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इंदा आयी जम्मा य नेरई वारुणी य वायव्वा सोपा ईसाणी या विमला य तमा य बोद्धव्वा इंदा णं भंते दिसा किं जीवा जीवदेसा जीवपदेसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपदेसा गोयमा जीवा वि [जीवादेसा वि जीवरसा वि अजीवा वि अजीबरेसा वि] अजीवपदेसा विजे जीवा ते नियमा एगिंदिया बेइंडिया । ते इंदिया चउरिंडिया ] पंचिंदिया अणिदिया जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियसा जाव अणिदियदेसा जे जीवपदेसा ते नियमा एगिंदियपदेसा बेइंदियपदेसा जाव अनिंदियपदेसा जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता तं जहा - रूविअजीवा य अरूविअजीवा य जे रूवि अजीवा ते चउच्चिहा पन्त्रता तं जहा खंधा खंधदेसा खंधपदेसा परमाणुपोग्गला जे अरूवि अजीवा ते सत्तविहा पत्रत्ता तं जहा- नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायास देसे धम्पत्थिकायस्स पदेमा नो अधम्पत्थिकाए अधम्मत्धिकाम्स देसे अधम्मस्थिकायस्स पदेसा नोआगासत्थिकाए आगासत्धिकायरस देखे आगासत्धिकायमा पदेसा अद्धासमए अग्रोवी णं भंते दिसा किं जीवा जीवदेसा जीवपदेसा-पुच्छा गोयमा नोजीवा जीवदेसा वि जीवपदेसा वि अजीवा वि अजीवदेसा वि अजीवपदेसा दि — २१७ जे जीवसा ते नियमा एगिंदिवसा अहवा एगिदियदेसा य ब्रेइंदियरस य देसे अहवा एगिंदियदेसाय बेइंद्रियस्स व देसा अहवा एगिदिवसा बेइंद्रियाणं य देसा अहवा एगिंदियदेसा य तेइंदियास य देसे एवं चेव तियंभंगो भाणियव्वो एवं जाय अणिदियाणं तियभंगो जे जीवपदेसा ते नियमा एगिंदियपदेसा अहवा एगिदियपदेसा य बेइंद्रियस्स पदेसा अहवा एगिंदियपदेसा य इंद्रियाण व पदेसा एवं आइल्लविरहिओ जाव अणिंदियाणं जे अजीवा ते दुविहा पन्नता तं जहाविअजीवा य अविअजीवा व जे रूविअजीवा ते चउव्विहा पन्त्रता तं जहा खंधा जाव परमाणुपोग्गला जे अरुविअजीवा ते सत्तविहा पत्रत्ता तं जहा नोधम्मस्थिका धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्धिकायरस पदेसा एवं अधम्मत्थिकायस्स वि जाय आगासस्थिकायस्स पदेसा अद्धासमए जम्मा णं भंते दिसा किं जीवा जहा इंदा तहेव निरवसेसं नेरती य जहा अग्गेयी वारुणी जहा इंदा वायव्वा जहा आगेयी सोमा जहा इंदा ईसाणी जहा अग्गेयी विमलाए जीवा जहा अग्गेयीए अजीवा जहा इंदाए एवं तमाए वि नवरं - अरुबी छव्विहा अद्धसमयो न भणत्ति । ३९३1-394 (४७६) कति णं भंते सरीरा पत्ता गोवमा पंच सरीरा पत्रत्ता तं जहा-अ - ओरालिय [वेउच्चिए आहारए तेयए ] कम्मए ओरालियसरीरे णं भंते कतिविहे पत्रत्ते एवं ओगाहणासंठाणं निरवसेसं भाणियव्यं जाव अप्पाबहुगं ति सेवं भंते सेवं भंते त्ति । ३९४ ।-395 • दसमे सते पठमो उद्देसो समत्तो। -: बी ओ सो : (४७७) रायगिहे जाब एवं वयासी-संवुडस्स णं भंते अणगारस्स वीयपंथे ठिचा पुरओ रूवाइं निज्झायमाणस्स मग्गओ ख्वाइं अवयक्खमाणस्स पासओ रुवाई अवलोएमाणस्स उड्ढ रूबाई ओलोएमाणस्स अहे रुवाई आलोएमाणस्स तस्स णं भंते किं इरियायहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कज्जइ गोचमा संवुडम्स णं अणगारस्स वीवीपंथे ठिच्चा [पुरओ रुवाई निज्झाय माणस्स मग्गओ रुवाई अवयक्खमाणम्य पासओ ख़्वाइं अवलोएमाणस्स उड्ढ रुवाइं ओलोएमाणस्स अहे रुवाई आलोएमाणस्स । तम्प णं नो इरियावहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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