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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१० भगवाई - ९/-1३३/४६५ संदिसंतुणं देवाणुप्पिया जं अम्हेहि करणिज्जें तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कोइंबियवरतरुणसहस्सं एवं वयासी-तुब्बे णं देवाणुप्पिया व्हाया कयं [बलिकम्मा कयकोउय-मंगल-पायच्छिता एगाभरणरसण-गहियानिजोया जपालिस्स खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहेह तए णं ते कोडुबियवरतरुणपुरिसा जपालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वुत्ता समाणा जाव पडिसुणेत्ता ण्हाया जाव एगाभरणरसणगहियनिङ्गोगा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहति तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणि सीयं दुरुढस्स समाणस्स तप्पटमयाए इमे अट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुबीए संपट्टिया तं जहा-सोत्थिय-सिरिवच्छ-निंदियावत्त-बद्धमाणग-भद्दासण-कलसमच्छ]-दप्पणा तदाणतरं व णं पुण्णकलसभिंगारं दिव्या य छत्तपडागा सयावरा दंसण-रइयआलोय-दरिसणिज्जा बाउद्धय-विजयवेजयंती य ऊसिया) गगणतलमणुलिहंती पुरओ अहाणुपुबीए संपडिआ [तदाणंतरं च णं वेरुलिय-भिसंत-विमलदंडं पलंबकोरंटमल्लदाभोवसोभियं चंदमंडलणिमं समूसियं विमलं आयवत्तं पवरं सीहासणं वरमणिरयणपाद-पीढं सपाउयाजोयसपाउत्तं बहुकिंकर-कम्पकर-पुरिस-पायत्त-परिक्खित्तं पुरओ अहापुछीए संपट्ठियं तदाणंतरं वणं बहवे लट्ठिग्गाहा कुंतगाहा चामरग्गाहा पासग्गाहा चावग्गाहा पोत्तयग्गाहा फलगागाहा पीढग्गाहा वीणागाहा कूबग्गाहा हडप्पग्गाहापुरओ अहाणु-पुब्बीए संपट्ठिया तदाणंतरं च णं वहवे दंडिणो मुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिछिणो हासकरा डमरकरा दवकरा चाडुकरा कंदप्पिया कोक्कुइया किड्डुकरा य वायंता य गायंता य नचंता य हसंता य भासंता य सासंता य सावेंता य रक्खंता य आलोयं च करेसाणा जय-जय सदं पउंजमाणा पुरओअहाणुपुबीए संपट्ठिया तदाणंतरं च णं वहवे उग्गा भोगा खत्तिया इक्खागा नाया कोरव्या जहा ओवचाइए जाव महापुरिसवग्गुरावपरिक्खित्ता जपालिस्स खतियकुमारस्स पुरओय मग्गतोय पासओ य अहाणपब्बीए संपट्टिया तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया पहाए कयवलिकम्मे [कयकोउय मंगलपायच्छिते सव्वालंकार] विभूसिए हथिक्खंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामराहिं उद्धव्यमाणीहिं-उद्धव्वमाणीहिं हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे महयाभडचडगर-विंदपरिक्खित्ते जमालिं खत्तियकुमारं पिट्ठओ अणुगच्छइ तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरओ महं आसा आसवरा उभओ पासिं नागा नागवरा पिट्ठओ रहा रहसंगेली तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अब्युग्गतभिंगारे परिग्गहियतालियंटे ऊसविससेतछत्ते पवीइयसेतचामरबालवीयणीए सब्बिड्डीए जाव इंदहि-निग्धोस नादितरवेणं खतियकुंडग्गामं नयरं मन्झमझेणं जेणेव माहणकुंडागामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पाहारेत्य गमणाए तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स खतियकुंडग्गामं नयरं मज्झंपज्झेणं निग्गच्छमाणस्स सिंघाडग-तिय-चउक्क-चिच्चर-चउम्पुह-महापही पहेसु बहवे अत्यत्थिया कामस्थिया भोगत्यिया लाभत्यिया किबिसिया कारोडिया कालरवाहिया संखिया चक्किया नंगलिया मुहमंगलिया वद्ध-माणा पूसमाणया खंडियगणा ताहिं इटाहिं कताहिं पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहि मणाभिरापाहिं हियपगमणिजाहिं यगृहि जयविजयमंगलसएहिं अणवरयं] अभिनंदंताय अभित्थुणंता य एवं वयासी-जय-जयनंदा धम्मेणं जय-जय-नंदा तवेणं जय-जय नंदा भई ते अभग्गेर्हि नाण दंसण-चरित्तेहिमुत्तमेहिं अजियाइं जिणाहिं इंदियाई जियं For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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