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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९२ भगवई - ९/-1३२/४५३ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयपमाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहदा एगे रयणप्पमाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूम्पभाए एगे तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पमाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूममप्पभाए एगे अहेसतभाए होज्जा अहया एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तपाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसतमाए होज्जा अहवाएगेरयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पमाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाएएगे अहेसत्तपाए होजा अहवा एगे सकरप्पभाए एगेवालयप्पभाएएगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होना एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवीओ चारियाओ तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाओ चारियव्वाओ जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसतमाए होज्जा अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा अहया एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तपाए होजा अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमपभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगेपंकपमाएएगेधूमप्पभाए एगेतमाए एगे अहेसत्तमाए होना पंच मंते नेरइया नेरइयाप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा पुच्छा, गंगेया रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसतपाए वा होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयणप्पभाए तिणि सककरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि अहेसत्तपाए होज्जा अहवा तिण्णि रयणप्पभाएदोणि सक्करप्पभाए होजा एवंजाब अहेसत्तमाए होज्जा अहवाचत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होना एवं जाव चत्तारि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होनाअहवा एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पमाए होजा एवं जहा रयणपमाए समं उवरिमंपुढवीओ चारियाओ तहा सक्करप्फमाए वि समं चारेयवाओ जार अहवा चत्तारि सक्करप्पभाए एगे अहेसतमाए होजा एवं एक्केक्काए समं चारेयव्याओ जाव अहवा चत्तारि तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रपणप्पमाए एगे सकरप्पभाए तिणि बालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पमाए तिण्णि अहेसतमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पमाए दो सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पमाए दो सक्करप्पपाए दो अहेसतमाए होज्जा अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पपाए होजा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होला अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पमाए एगे वालुयप्पभाए होजा एवं जावं अहवा एगे रयणप्पमाए तिणि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा दोरपणप्प'माए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहेसत्तमाए अहवा तिणि रयणप्पभाए एगे सक्करप्फमाए एगे वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा तिणि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होना अहया एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए तिणि पंकप्पभाए होजा एवं एएणं कमेणं जहा चउण्हं तियासंजोगो भणितो तहा पंचण्ह वितियासंजोगो भाणियब्चो नवरं-तत्य एगो संचारिजइ इह दोण्णि सेसं तं चेव जाव अहवा तिणि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होता For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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