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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अयं सतं • उद्देसो-५ अणुगवेसइ गोयमा तस्स णं एवं भवइ-नो मे हिरण्णे नो मे सुवण्णे नो मे कंसे नो मे दूसे नो मे विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोतिय-संख-सिल-प्पयाल-रत्तरयणमादीए संतसारसावदेख्ने ममत्तमाचे पुण से अपरिण्णाए भवइ से तेणटेणं गोयमा एवं वुच्चइ-समंडं अणुगवेसइ नो परायगं भंड अणुगबेसइ समणोवासगास गं मंते सामाइयकडस्स सपणोवस्सए अच्छामाणस्स केईजायं बरेजा सेणं भंते किं जाय चरइ अजायं वरई गोयपा जायं चरइनो अजायं वरइ।३२७1-328 (४०२) तस्स णं भंते तेहिं सीलब्बय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोचवासेहिं सा जाया अजाया भवई हंता भवइ, से केणं खाइ णं अटेणं भंते एवं वुधाइ-नो मे माता नो मे पिता नो मे भाया नो मे भगिणी नो मे मजा नो मे पुत्ता नो मे धूया नो में सुण्हा पेजबंधणे पुण से अब्बोछिन्ने भवइ से तेणटेणं गोचमा एवं वुच्चइ-जायं चरइ नो अजायं चरइ समणोवासगस्स णं मंते पुन्बामेव थूलए पाणाइवाए अपच्चक्खाए भवइ सेणं भंते पच्छा पच्चाइक्खमाणे किं करेइ गोयमा तीयं पडिक्कमति पडुप्पत्रं संवरेति अणागयं पञ्चक्खाति तीयं पडिक्कममाणे तिविहं तिविहेणं पडिक्कमति तिविहं दुविहेणं पडिक्कमति तिविहं एगविहेणं पडिक्कमति दुविहं तिविहेणं पडिक्कमति दुविहं दुविहेणं पडिक्कमति दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति एगविहं तिविहेणं पडिक्कमति एगविहं दुविहेण पडिक्कमति एगविहं एगविहेणं पडिक्कमति गोयमा तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कमति तिविहं वा दुविहेणं पडिक्कमति एवं चेव जाव एगविहं वा एगविहेणं पडिककमति तिविहं तिदिहेणं पडिक्कममाणे न करेइ न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा तिविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेइन कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा ववसा अहवा न करेइ न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा अहवा न करेइ न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा तिविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा अहवा न करेइ न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा अहवा न करेइ न कारवेइ करेंत नाणुजाणइ कासया दुविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ न कारवेइ मणसा वयसा कायसा अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइमणसा वयसा कायसा दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेइन कारवेइ मणसा वयसा अहचान करेइन कारयेइ मणसा कायसा अहवा न करेइन कारवेइ वयसा कायसा अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा अहया न करेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा अहदा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसाअहवान कारवेइ करेंतं नाणुजाणइवयसा कायसा दुविहं एक्कविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ न कारवेइ मणसा अहवा न करेइन कारवेइ वयसा अहवा न करेइन कारवेइ कायसा अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ कायसा अहवा न कारयेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ ययसा अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा, एगविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइमणसा वयसा कायसाअहवान कारवेइ मणसा वयसा कायसा अहया करेंतं नाणुजाणइमणसावयसा कायसा, एककविहंदुबिहेणं पडिक्कममाणे न करेइ मणसा वयसा अहवा न करेइ मणसा कायसा अहवा न करेइ ययसा कायसा अहवा न कारवेइ मणसा वयसा अहवा न कारवेइ मणसा कायसा अहवा न कारवेइ वयसा कायसा अहया For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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