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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असं सतं - उदेणे-१ पुददिक्काइयजाव परिणए वा अपज्जत्ता-सुहमपुदविक्काइय जाव परिणए वा एवं बादरा विएवं जाव वणस्सइकाइयाणं चउक्कओ भेदो बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं दुयओ भेदो-पञ्जत्तगा य अपज्जत्तगा य जइ पंचिदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए किं तिरिक्खजोणियपंचिदियओरालियसरीरकायपयोगपरिणए मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए गोयमा तिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए वा जइ तिरिक्खजोणिय जाव परिणए किंजलचरतिरिक्खजोणिय जाव परिणए थलचर-खहचर जाव परिणए एवं चउक्कओ भेदो जाव खहचराण जइ मणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए किं समुच्छिममणुस्सपंचिदिय जाव परिणए गमवक्कंतियमणुस्स जाव परिणए गोयमा दोसु विजइ मन्मवक्कंतियमणुस्स जाव परिणए किं पञ्जत्तागमवक्कंतिय जाव परिणए अपज्जत्तागमवक्कंतिय जाव परिणए गोयमा पज्जत्तागमवक्कंतिय जाव परिणए वा अपज्जत्तागमवक्कंतिय जाव परिणए वा जइ ओरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए किं एगिदियओरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए वेइंदिय जावपरिणए जाव पंचिंदियओरालियजाव परिगए गोयमा एगिदिय- ओरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए एवं जहा ओरालियसरीरकायपयोगपरिणएणं आलावगो भणिओ तहा ओरालियमीसासरीकायपयोगपरिणएणं वि आलावगो माणियन्वो नवरं-बादरवाउक्काइय-गमवक्कंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणीय-गड्मवक्कंतियमगुस्साणं-एएसिणं अत्ताप-प्रत्तागाणं सेसाणं अपञ्जत्तगाणं जइ वेउव्यियसरीरकायपयोगपरिणए किं एगिदियवेउब्वियसरीरकायपयोगपरिणए एगिदिय जाद परिणए वापंचिदिय जाव परिणए वा जइ एगिदिय जाव परिणए किं वाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए अवाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए गोयमा वाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए नो अबाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए एवं एएणं अमिलावेणं जहा ओगाहणसंठाणे वेउब्बियसरीरं भणियं तहा वि माणियब्वं जाव पज्जत्तासवट्ठसिद्धअनुत्तरोववाइयकप्पातीतावेमाणियदेवपंचिंदियवेउब्वियसरीरकायपयोगपरिणए वा अपअत्तासव्वट्ठसिद्धअनुत्तरोवयाइय जाव परिणए वा जइ वेउब्बियमीसासरीरकायपयोगपरिणए किं एगिंदियमीसासरीरकायपयोगपरिणए जाव पंचिंदियमीसासरीरकायपयोगपरिणए एवं जहा वेउब्बियं तहा वेउब्वियमीसग पि नवरं-देव नेरइयाणं अपञ्जत्तगाणं सेसाणं पजत्तगाणं जाव नो पज्जत्तासन्चट्ठसिद्धअनुत्तरोववाइय जाय परिणए अपज्जत्तासचट्ठसिद्धअनुत्तरोववाइयदेवपंबिंदियवेउनियमीसासरीरकायपयोगपरिणए जइ आहारगसरीरकायपयोगपरिणए किं मनुस्साहारगसरीरकायपयोगपरिणएअमनुस्साहारग जाव परिणए एवं जहा ओगाहणसंठाणे जाव इड्ढिपत्तपमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जयासाउय जाव परिणए नो अणिड्ढिपत्तपमत्तसंजयसम्मदिद्विपज्जत्तसंखेज्जवासाउय जाव परिणए जइ आहारगमीसासरीकायपयोगपरिणए किं मणुस्साहारगमीसासरीरकायपयोगपरिणए एवं जहा आहारगं तहेब मीसगं पि निरवसेसं माणियव्यं जइ कम्मासरीरकायपयोगपरिणए किं एगिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए जावपंचिंदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए गोयमाएगिदियक'मासरीरकायपयोगपरिणए एवं जहा ओगाहणसंठाणे कम्मगस्स भेदो तहेव इह विजाव पञ्जत्तासबट्ठसिद्धअनुत्तरोववाइय कप्पातीतवेमाणिय देवपंचिंदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए या अपजत्तासवठ्ठसिद्धअणुत्तरोदवाइय जाव परिणए वाजइ मीसापरिणए किं मणमीसापरिणए वइमीसापरिणए कायमीसापरिणए गोयमा मणमीसापरिणए या वइमीसापरिणए वा कायमीसापरिणए वा जइ For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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