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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पला - 01-14/20 कुणिमाहारा कालमासे कालं किया कहिं गछिहिति कर्हि उववअिहिति गोयमा उस्सणं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववनिहिति ते णं मंते सीहा वग्धा वगा दीविया अच्छा तरच्छा परस्सरा निस्सीला तहेवाव कर्हि उववनिर्हिति गोयमा उस्सणं नरग-तिरिक्खजोगिएसु उववनिहिति ते णं मंते ढंका कंका विलका मझुगा सिही निस्सीला तहेव जाव कहिं उववजिहिति गोयमा उस्सणं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववजिहिंति सेवं मंतेसेवं मंतेत्ति।२८७1-287 ततमेस्ते छोउसोसमतो. -: स त मो-उहे सो:(१६) संवुडस्सणं मंते अणगारस्स आउत्तं गच्छमाणस [आउत्तं चिट्ठमाणस्स आउत्तं निसीयमाणस्सो, आउत्तं तुयट्टमाणस आउत्तं वत्यं पडिगिह कंबलं पादपुंछणं गेण्हमाणस्स वा निक्खिवमाणसवातस्सणं मंते किंइरियावहिया किरिया काइ संपराइया किरिया काइ गोयमा संवुडस्स णं अणगारस्स आउत्तं गच्छमाणस जाव तस्स णं इरियावहिया करिया कण नो संपराइया किरिया कजइ से केणद्वेणं मंते एवं बुखइ-संवुडस्सणं अणगारस्स आउत्तं गच्छमाणस्स जाव नो संपराइया किरिया काइ गोयमा जस्सणं कोह-माण-माया-लोमा वोच्छिषमा भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कमइ जस्स णं कोह-माण-पाया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ अहासुतं रीयमाणस इरियावहिया किरिया कजइ उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कजइ से णं महासुतपेव रीयइ से तेणटेणं गोयमा एवं बुच्चइ-संवुडस्स णं अणगारस्सआउत्तंगच्छमाणसजावनो संपराइया किरिया कमाइ२८८1-288 . (३६२) रूवी मंते कामा अस्वी कामा गोयमा रूवी कामा नो अरूवी कामा सचित्ता मंते कामा अचित्ता कामा गोयमा सचित्ता विकामा अचित्ता विकामा जीवा भंते कामा अजीदा कामा गोयमाजीवाविकामाअजीवा विकामाजीवाणंभंते कामा अजीवाणंकामागोयमाजीवाणंकामा नो अजीवाणंकामाकतिविहाणं मंतेकामा पन्नत्ता गोयमादुविहा कामापनत्ता तंजहा-सहायरूवा य रूवी मंते मोगा अरूवी मोगा गोयमा रूवी मोगा नो अरूवी मोगा सचिता मंते मोगा अचित्ता मोगा गोयमा सचित्ता वि भोगा अचित्ता विमोगा जीवा भंते मोगा अजीवा मोगा गोयमा जीवा वि मोगा अजीवा वि पोगा जीवाणं मंते मोगा अजीवाणं मोगा गोयमा जीवाणं पोगा नो अजीवाणं मोगा कतिविहाणंभंते भोगापन्नत्ता गोयमातिविहामोगा पन्नत्तातंजहा-गंधारसा फासाकतिविहा णं भंते काम-मोगा पनत्ता गोयमा पंचविहा काम-मोगा पत्रत्ता तं जहा-सहा रूवा गंधा रसा फासा जीवाणभंते किं कामी भोगी गोयमाजीवा कामी विभोगी विसेकेणटेणंमतेएवं वुघाइ-जीयाकामी विभोगी विगोयमासोइंदिय-चविखदियाई पच्च कामी धाणिदिय-जिपिदिय-फासिंदियाईपच मोगी से तेणटेणं गोयमा एवं दुखाइ-जीवा कामी वि मोगी वि नेरइया गंभंते किंकामी भोगी एवं चेव जाव थणियकुमारा पुढविकाइयाणं पुच्छा गोयमा पुठविकाइया नो कामी मोगी से केणद्वेणं जाव भोगी गोयमा फासिंदियं पडुन से तेणगुणंजाव भोगी एवं जाव वणस्सइकाइया बेइंदिया एवं चेव नवरं-जिभिदियफासिंदियाइं पडुन तेइंदिया वि एवं चेव नवरं-याणिदिय-जिमिदिय-फासिंदियाई पडुछ चारिदियाणं-पुच्छा गोयमा चाउरिदिया कामी विक्षोगी वि से केपट्टेणंजाव भोगी वि गोयमा चक्खिदियं पडुच्च कामी धाणिदिय-जिबिंदिय-फासिंदियाई पबुद्ध भोगी से तेणटेण जाय भोगी वि अवसेसा जहाजीवाजाव देमाणिया एएसिणं मंते जीवाणकाममोगीणं नोकामीणं नोभोगीणं भो For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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