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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra - पइण्णग समवाओ लिक्सरीरस्स णं भंते केमहालिया सरीरोगाहणा पत्रत्ता गोयमा जहणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोरोणं साइरेगं जोयणसहस्सं एवं जहा ओगाहणासंटाणे ओरालियपमाणं तहा निरवसेसं एवं जाव मनुस्सेत्ति उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई कइविहे णं भंते वेउच्चियसरीरे पत्ते गोवमा दुविहे पत्ते - एगिंदियवेउब्वियसरीरे य पंचिंदियवेउव्वियसरीरे य एवं जाव ईसाणकम्पपचंतं सणकुमारे आढतं जाय अनुत्तरा भवधारणिजा तेसिं रयणी-रवणी परिहावइ आहारवसरीरे णं भंते कइविहे पन्नत्ते गोयमा एगाकारे पत्ते, जइ एगाकारे पत्ते किं मणुस्सआहारवसरीरे अमगुस्स आहारयसरीरे गोयमा मणुस्स आहारगसरीरे तो अमणुस्स आहारगसरीरे जइ मणुस्स आहारगसरीरे किं गभवक्कंतियमणुस्स आहारगसरीरे संमुच्छिममणुस्सआहारगसरीरे गोयमा गद्भवक्कंतियमणुस्स आहारवसरीरे नो संमुच्छिममणुस्स आहारय सरीरे जइ गभवक्कंतियमणुस्स आहारबसरीरे किं कम्पभूमग-गभवक्कमियमणुस आहारबसरीरे अकम्मभूमग गव्भवतियमणुस्स आहार यसरीरे गोयमा कम्पभूमग- गभव क्कंतियमणुस्स आहारयसरीरे नो अकम्पभूमगगच्भवक्कंतियमणुस्स आहारयसरीरे जइ कम्पभूमगगव्भवतियमणुस्स आहारबसरीरे किं संखेज्जावासाज्य कम्मभूमग गव्भवक्कतियमणुस्स आहारबसरीरे असंखेजवासाउयं-कम्मभूमग-गर्भववकंतियमणुस्स आहारयसरीरे गोयमा संखेजवासाज्य कम्मभभूमग गव्भवॠकंतियमणुस्स आहारबसरीरे नो असंखेज्जवासाउयकम्पभूमग-गवअभवकंतियमणुस्स आहारयसरीरे जइ संखेजवासाज्य - कम्मभूमग गव्भवकतियमणुस्स आहार यसरीरे किं पचत्तय संखेञ्जवासाज्य कम्मभूमग- गद्भवतियमगुरस आहारचसरीरे अपत्तय संखेजवासाज्य कम्मभूमगगदभवक्कंतियमणुस्स आहारचसररे गोवमा पञ्जत्तय संखेन्जवासाय- कम्पभूमग गव्भवक्कंतिमणुस्स आहारयसरीरे नो अप ज्वत्तव - संखेज्जवासाउच - कम्मभूमग गव्भवक्केतियमणुस्स आहारवसरीरे जइ पत्तय- संखेजवासाज्य-कम्मभूमग-गव्भवतियमणुस्स आहारयसरीरे किं सम्मद्दिट्टि पजत्तयं संखेजवासाज्य-कम्मभूमग गव्भवक्कंतियमणुस्स आहारवसरीरे मिच्छदिट्ठि-पञ्जत्तय संखे- जवाभाज्य-कम्मभूमग -गव्ववक्कतियमगुस्स आहारयसरीरे सम्मामिच्छदिठ्ठि पञ्जत्तव-संखेज्जवासाउय कम्नभूमग गव्यदक्कं तियमणुस्स आहारयसरीरे गोयमा सम्मद्दिट्ठि - पत्तयसंखेज्जवासाउच -कन्मभूमग -गव्भवतियमणुस्स आहारयसरीरे नो मिच्छदिट्ठि- पचत्तय-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गन्भदक्कंतियमणुस्स आहारवसरीरे नो सम्मामिच्छदिट्ठि-पजत्तयसंखेन वासाउय-कम्मभूमग - गदभवक्कंतियमणुस्स आहारयसरीरे जइ समद्दिट्टि - पज्जतयं संखेजवासाउय कम्मभूमग गद्भवकूकंतियपणुस्स आहारयसरीरे किं संजय - सम्पदिद्विपज्जत्तयंसंखेजवासाज्य - कम्पभूमय गभवक्कतियमणुस्स आहारयसरी असंजय सम्मद्दिद्विपज्जत्तय-संखेजवासाय्य-कम्प'भूमग-गद्भवक्कंतियमणुस्स आहारयसरीरे संजया संजय सम्पद्दिट्ठि-पञ्चत्तय संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गद्भवक्कंतियमणुस्स आहारयसरीरे गोयमा संजयराम्मद्दिट्टि · पचत्तग-संखेजवाराराउय-कम्मभूषण गव्भवतियमणुस्स आहारयसरी नोअसंजब सम्पद्दिति पज्जत्तय संखेज्जवासाज्य कम्पभूमग-गद्भवकंतियमणुस्सा आहार- यसरीरे नो संजयासंजय-सम्मद्दिद्दि-पजत्तय-संखेजवासाज्य-कम्मभूमग ग्भवतियमणुस्स आहात्यसरीरे जइ संजय सम्मद्दिट्ठि-पजत्तय संखेजवासाउय कम्मभूमग-गव्भवति यमणुआहारवसरीरे किं पमतसंजय सम्मद्दिटि-पचत्तव संखेज्जवासाउयं कम्म भूमगगभव - M - www.kobatirth.org - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - For Private And Personal Use Only ६१
SR No.009730
Book TitleAgam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages82
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 04, & agam_samvayang
File Size2 MB
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