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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पइष्णग समवाओ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २३५) आसीयं वत्तीसं अट्ठावीस तहेव वीसं च अट्ठारस सोलसगं अट्ठात्तरमेव बाहल्ल ( २३६) तीसा य पत्रवीसा पत्ररस दसेव सयसहस्साई ॥६६॥ तिष्णेगं पंचूर्ण पंचेच अनुत्तरा नरगा ॥६७॥ (२३७) दोच्चाए णं पुढवीए तच्चाए णं पुढवीए चरत्थीए पुढवे पंचमीए पुढवीए छट्टीए पुढवीए सत्तमीए- पुढवीए गाहाहिं भाणियव्या सत्तमाए ण पुढवीए केवइयं आंगाहेत्ता केवइया निरया पन्नत्ता गोयमा सत्तमाए पुढवीए अद्भुत्तरजीवणसय सहरसाई बाहल्लाए उवरेिं अद्धतेवणं जीयणसहस्साई ओगाहेत्ता हेट्ठा वि अद्धतेवणं जोयणसहस्साई वजेता मज्झे तिसु जीवणसहस्सेसु एत्थ णं सत्तमाए पुढवीए नेरइयाणं पंच अनुत्तरा महइमहालया महानिरया पत्ता तं जहा-काले महाकाले रोरूए महारोरूए अप्पइड्डाणे नामं पंचमए ते णं नरया वट्टे वतंसाय आहे खुरप्पसंठाणं संठिया [निबंधयारतमसा ववगयगह- चंद-सूरनक्खत्त जोइसपहा मेदवास-पूय-रूहिए-मंसचिक्खिल्ललित्ताणु लेवणतला असुई वीसा परमदुभिगंधा काऊअणिवमण्णाभा कक्खडासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभाओ नरएस वेयणाओ | १४९-149 (२३८) केवइया णं भंते असुरकुमारबासा पत्रत्ता गोयमा इमीसे गं रवणप्पभाए पुढबीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सवाहल्लाए उवरि एवं जोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेद्वा चेगं जोयणसहस्सं वज्रेत्ता मज्झे अट्ठहत्तरे जोयणसयसहस्से एत्य णं रयणप्पभए पुढवीए चउसट्ठि असुरकुमारा वाससयसहस्सा पत्रत्ता ते णं भवणा वाहिं वट्टा अंती चउरंसा अहे पोक्खर कण्णिया संठाण - संठिया उक्कण्णंतर- विपुल- गंभीर- खात- फलिया अट्टाल चरिय-दारगउर्-कवाडतोरण - पडिदुवार- देसभागा जंत मुसल मुसुंढि सतग्धि परिवारिया अझा उडयालकोट्ठयरइया अड्याल - काय वणमाला लाउल्लोइय महिया गोसीस सरसरत्तचंदण- दद्दर-दिण्णापंचंगुलितला कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क उज्झत-धूव-मधमर्धेत-गंधुद्धयाभिरामा सुगंधिवरगंधा-गंधिया गंधवट्टियाभूवा अच्छा सण्हा लण्हा घट्टा मट्टा नीरया निम्मला वितिमिरा विसुद्धा सप्पभा समिरीया सउज्जीया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा एवं जस्स जं कमती तं तरस जं-जं गाहाहिं भणियं तह चेव वण्णओ- 1१५०-१/-150-1 For Private And Personal Use Only ५९ ( २३९) चउसट्ठी असुराणं चउरासीइ च होइ नागाणं बावत्तरि सुवन्नाणं वायुकुमाराण छन्नउति (२४०) दीवदिसाउदहीणं विज्जुकुमारिदयणियमग्गगीणं छहपि जुवलयाणं छायत्तरिमो सयसहस्सा ॥६९॥-2 (२४१) केवइया णं भंते पुढवीकाइयावासा पत्रत्ता गोयमा असंखेज्जा पुढवीकाइया वासा पत्रता एवं जाव मणुरसत्ति केवइया णं भंते वाणमंतरावासा पत्रत्ता गोयमा इमीसे णं स्यणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स उवरि एगं जोयणसयं ओगाहेत्ता हेट्ठा चेगं जोयणसयं वज्रेत्ता मज्झे अडसु जोयणसएस एत्य णं वाणमंतराणं देवाणं तिरिय- मसंखेज्जा भोमेजनगरावासस्यसहस्सा पन्नत्ता ते णं भोमेजा नगरा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा एवं जहा भवणवासीणं तहेव नेयव्वा नवरं पडागमालाउला सुरम्मा पासाईया दरिसणिजा अभि- हवा पडिरूवा केवइया णं भंते जोइसियाणं विमाणावासा पत्रत्ता गोयमा इमीसे णं रयणप्पभाए ॥६८॥-1
SR No.009730
Book TitleAgam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages82
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 04, & agam_samvayang
File Size2 MB
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