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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सपवाओ - ७३.१५१ उकोसेणं वायत्तरि वाससहरसाइं टिई पत्रत्ता ।७२। -72 • वारतरिमो समवाओ तमत्तो . तेवत्तरिमो-समवाओ (१५१) हरिवासरम्मवासियाओ णं जीवाओ तेवत्तरि-तेवत्तरि जोयणसहस्साइं नव एक्कुतरे जोयणसए सतरस य एकूणवीसइभागे जोपणस्स अद्धभागं च आयामेणं पत्रत्ताओ विजए णं वलदेवे तेयत्तरि वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे (युद्धे मुत्ते अंतगडे परिनिव्युड़े सव्वदुक्ख] प्पहाणे ।७३} -73 . तेवत्तरिपो सफ्याओ तमत्तो . चोवत्तरिमो-समवाओ (१५२) थेरे णं अग्गिभूई गणहरे चोवतरि वासाई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्ध [बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिणिबुड़े सव्वदुक्ख ] प्पहीणे निसहाओ णं वासहरपव्ययाओ तिगिछियहाओ सीतो. दामहानदी चोवत्तरि जोयणसवाई साहियाई उत्तराहुतिं पवहित्ता वतिरामतियाए जिटिभयाए चउजायणायामाए पण्णासजोयणविक्खंभाए वइरतले कुंडे महया धडमूहपवत्तिएणं मुशावलिहारसंठाणसंटिएणं पवाएणं महया सद्देणं पवडइ एवं सीतावि दक्खिणहुत्ति भाणिवच्या वक्त्यवञासु पसु पुढवीसु चोवत्तरि निरयावाससयसहस्सा प. १७४।-74 • चोरतरिमो सपनाओ तमत्तो . | पत्रत्तरिमो-समवाओ (१५३) सुविहिास णं पुष्पदंतस्स अरहओ पन्नतरि जिणसया होत्था सीतले णं अरहा पत्नतरि पुव्वसहस्साई अगारमज्झवसित्ता मुंडे भवित्ता णं अगाराओ अणगारिअं पच्चइए संती णं अरहा पन्नत्तरं वाससहस्साई अगारवासमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराआ अणगारिवं पव्वइए ।७५1-75 • पनतरिपो सपवाओ समत्तो . छायत्तरिमो-समवाओ (१५४) छावत्तारें विझुकुमारावाससयसहस्सा पत्रता १७६। -76 (१५५) दीवदिसाउदहीणं विजुकुमारिंदथणिवमग्गीणं छहंपि जुगलयाणं छावत्तरिमो सवसहस्सा • छावत्तरिमो समवाओ समत्तो . सत्तत्तरिमो-समवाओ (१५६) भरहे रावा चाउरंतवक्कवट्टी सत्तत्तरि पुब्यसयतहस्साई कुमारवासमझावसित्ता पहारावाभिसेयं संपत्ते अंगवंसाओ णं सत्तत्तरिं राशणो मुंहे भवित्ता णं अगाराओ अणगारिअं पव्वइया दग्गतोयतुसियाणं देवाणं सत्तत्तरि देवसहस्सा परिवारा पन्नत्ता एगमेगे णं मुहुत्ते सतत्तरं लवे लवगेणं पत्रत्ते १७७। -77 • सत्तरिमो सपवाओ समतो. 15911-1 For Private And Personal Use Only
SR No.009730
Book TitleAgam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages82
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 04, & agam_samvayang
File Size2 MB
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