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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३/२/१६१ असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सामाणिताणं देवाणं तओ परिसाओ पण्णत्ताओ तं जहासमिता जहेव चमरस्स, एवं तावत्ती सगाणवि लोगपालाणं तुंबा तुडिया पव्वा एवं- अग्गमहिसीवि बलिस्सवि एवं चेव जाव अग्गमहिसीणं धरणस्स य सामाणिय-तावत्तीसगाणं चसमिता चंडा जाता लोगपालाणं अग्गमहिसीणं ईसा तुडिया दढरहा जहा धरणस्स तहा साणं भवणवासीणं कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरण्णो तओ परिसाओ पण्णत्ताओ तं जहा - ईसा तुडिया दढरहा एवं सामाणिया- अग्गमहिसीणं एवं जाव गीयरतिगीयजसाणं चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो तओ परिसाओ पण्णत्ताओ तं जहा तुंबा तुडिया पव्वा एवं-सामाणिय अग्गमहिसीणं एवं सूरस्सवि सक्कस्स णं देविंदस्स देववण्णो तओ परिक्षाओ पण्णत्ताओ तं जहा समिता चंडा जाया एवं जहा चमरस्स जाव अग्गमहिसीणं एवं जाव अच्चुतस्स लोगपालाणं |१५४-154 - ( १६३ ) तओ जामा पण्णत्ता तं जहा- पढमे जामे मज्झिमे जाने पच्छिमे जाये तिहिं जामेहिं आया केवलिपण्णत्तं धम्मे लभेज्ज सवणयाए तं जहा पढने जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जाये [तिहिं जामेहिं आया केवलं बोधिं बुज्झेजा तं जहा- पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे तिहिं जामेहिं आया केवलं मुंडे मवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वज्जा तं जहा - पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे तिहिं जामेहिं आया केवलं भचेरवासमादसेना तं जहा- पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे तिहिं जामेहिं आया केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा तं जहा- पढमे जामे मज्झिमे जाये पच्छिमे जाये तिहिं जामेहिं आया केवलेणं संचरेणं संवरेजा तं जहा- पढने जामे मज्झिमे जाये पच्छिमे जाने तिहिं जामेहिंआया केवलमाभिणिबोहियनाणं उप्पाडेजा तं जहा- पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे तिहिं जामेहिं आया केवलं सुयनाणं उप्पाडेजा तं जहा- पढमे जामे मज्झिमे जाये पच्छिमे जाये तिहिं जामेहिं आया केवलं ओहिनाणं उप्पाडेजा तं जहा- पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे तिहिं जामेहिं आया केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेजा तं जहा-पढमे जामे मज्झिमे जाने पच्छिमे जामे तिहिं जाहिं आया केवलं ] केवलनाणं उप्पाडेजा तं जहा- पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, तओ क्या पण्णत्ता तं जहा- पढमे बए मज्झिमे बए पच्छिमे वए तिहिं वएहिं आया केवलिपन्नतं धम्मं लभेज सवणयाए तं जहा- पढमे वए मज्झिमे वए पच्छिमे बए [तिहिं एहिं आया- केवलं बोधिं बुज्झेज्जा केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वज्जा केवलं बंभचेरवासमावसेज्जा केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा केवलमाभिणिबोहिनाणं उप्पाडेजा केवलं सुयनाणं उप्पाडेजा केवलं ओहिनाणं उप्पाडेज्जा केवलं वाणं उप्पाडेज्जा केवलं केवलनाणं उप्पाडेजा तं जहा- पढमे वए मज्झिमे वए पच्छिमे वए । १५५/- 155 ( १६४ ) तिविहा बोधी पण्णत्तां तं जहा- नाणबोधी दंसणबोधी चरित्तबोधी तिविहा बुद्धा पण्णत्ता तं जहा - नानाबुद्धा दंसणबुद्धा चरित्तबुद्धा तिविहे मोहे पण्णत्ते तं जहानानामोहे दंसणमोहे चरितमोहे] तिविहा मूढा पण्णत्ता [तं जहा - नाणपूढा दंसणमूढा चरितमूढा 19५६/- 166 ( १६५ ) तिविहा पव्वज्जा पण्णत्ता तं जहा इहलोगपडिबद्धा परलोगपडिबद्धा दुहतो ठाणं For Private And Personal Use Only -
SR No.009729
Book TitleAgam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size3 MB
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