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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११ 1911-1 पासी-2 पीटाणं - उदेसो-३ रम्मगवासे चेव जंबुद्दीवे दीये दोसु चासेसु मणुया सया सुसमदूसममुत्तममिड्ढि पत्ता पञ्चणुभवमाणा विहरंति तं जहा-हेपवए चेव हेरण्णवए चेव जंबुद्दीवे दीवे दोसु खेत्तेसु मणुया सया दूसमसुसममुत्तममिड्ढि पत्ता पचणुभवाणा विहरति तं जहा-पुव्वविदेहे चेव अवरविदेहे चेव जंबुद्दीवे दीवे दोसु चासेसु मणुया छविहंपि कालं पञ्चणुभवमाणा विहरंति तं जहा परहे चेव एएवते चेव ।८९)-89 (९०) जंयुद्दीवे दीवे-दो चंदा पभासिंसु या पभासंति या पभासिस्संति वा दो सूरिआ तविसुंधा तवंति वा तविस्संति वा दो कित्तियाओ दो रोहिणीओ दो मग्गसिराओ दो अदाओ [दो पुणब्वसू दो पूसा दो अस्सलेसाओ दो महाओ दो पुवाफगुणीओ दो उत्तरफगुणीओ दो हत्था दो चित्ताओ दो साइओ दो विसाहाओ दो अणुराहाओ दो जेट्ठाओ दो मूला दो पुव्वासादाओ दो उत्तरासाढाओ दो अभिईओ दो सवणा दो घणिट्ठाओ दो सयभिसया दो पुवामद्दवयाओ दो उत्तरामद्दवयाओ दो रेवतीओ दो अस्सिणीओ दो भरणीओ !९०-१1-90-1 (९१) कत्तिया रोहिणि मगसिर अद्दा य पुणव्वसू अ पूसो य तत्तोऽवि अस्सलेसा महा य दो फागुणीओ य (१२) हत्थो चित्ता साई विसाहा तह य होति अणुराहा जेट्ठा मूलो पुवाऽऽसाढा तह उत्तरा चेव (९३) अभिई सवणे घणिट्ठा सयभिसया दो य होति भद्दवया रेवति अस्सिणि भरणी नेयव्या आणुपुवीए 11३||-3 (९४) दो अगी दो पयावती दो सोमा दो रुदा दो अदिती दो बहस्सती दो सप्पा दो पिती दो भगा दो अज्जमा दो सविता दो तट्ठा दो वाऊ दो इंदग्गी दो मित्ता दो इंदा दो णिरती दो आऊ दो विस्सा दो पम्हा दो विण्हू दो वसू दो वरुणा दो अया दो विविद्धी दो पुस्सा दो अस्सा दो यमा दो इंगालगा दो वियालगा दो लोहितक्खा दो सणिचरा दो आहुणिया दो पाहुणिया दो कणा दो कणगा दो कणकणगा दो कणगचिताणगा दो कणगसंताणगा दो सोमा दो सहिया दो आसासणा दो कजोवगा दो कब्बड़गा दो अयकरगा दो टुंदुभगा दो संखा दो संखवण्णा दो संखवण्णमा दो कंसा दो कंसवण्णा दो कंसवण्णाभा दो रुप्पी दो रुप्पभासा दो नीला दो नीलोभासा दो भासा दो भासरासी दो तिला दो तिलपुप्फवण्णा दो दगा दो दगपंचवण्णा दो काका दो कक्कंधा दो इंदग्गी दो धूमकेऊ दो हरी दो पिंगला दो बुद्धा दो सुक्का दो बहस्सती दो राहू दो अगत्थी दो माणवगा दो कासा दो फासा दो धुरा दो पमुहा दो विगडा दो विसंधी दो णियल्ला दो पइला दो जडियाइलगा दो अरुणा दो अग्गिल्ला दो काला दो महाकालगा दो सोत्थिया दो सोवत्यिया दो वद्धमाणगा दो पलंबा दो णिचालोगा दो णियुछेता दो सयंपभा दो ओभासा दो सेयंकरा दो खेमंकरा दो आभंकरा दो पमंकरा दो अपराजिता दो अरया दो असोगा दो विगतसोगा दो विमला दो वितता दो वितत्या दो विसाला दो साला दो सुब्बता दो अणियट्टी दो एगजडी दो दुजडी दो करकरिगा दो रायागला दो पुष्फुकेतू दो भावकेऊ ।९०1-90 (९५) जंबद्दीवस्स णं दीयस्स वेड्या दो गाउयाई उड्ढे उच्छेत्तेणं पण्णत्ता लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साई चक्कवालविखंभेणं पपणते लवणस्स णं समुदस्स वेइया दो For Private And Personal Use Only
SR No.009729
Book TitleAgam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size3 MB
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